
कौन बनेगा करोड़पति (के बी सी), तानिया की कहानी
(यह कहानी, तानिया और सारे आंकड़े काल्पनिक हैं)
भारत के टी वी पर एक खेल है केबीसी । यह अमरीका के खेल “हू वान्ट्स टू बी ए मिलियनेर के सिद्धांत पर बना हुआ है । जाने माने फ़िल्म एक्टर अमिताब बच्चन जी इसे होस्ट करते हैं । यह खेल इतना लोकप्रिय है कि इसकी नकल कर के “स्लम डाग मिलिओनेयर” नाम का मशहूर सिनेमा भी बन चुका है ।
यह खेल 8-15 साल के बच्चों के लिए भी बनाया जाता है । तब इसे केबीसी जूनियर कहते हैं । खेल पर आए हुए बच्चे बहुत बातें करते हैं और अमिताब जी भी इसमें रुचि दिखाते हैं । ग्यारह साल की तानिया आज बड़े प्रयत्न के बाद इस खेल की हाट सीट पर आई है । देखिये क्या होता है ।
अमिताबजी: लैट्स प्ले कौन बनेगा करोड़पति । तानिया जी, आज हाट सीट पर बैठ कर कैसा लग रहा है ?
तानिया: सर, मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि मैं यहां तक आ गई हूं ।
अमिताबजी: अच्छा, खेल के नियम तो आप जानती ही होंगी । फिर भी, हम हर खिलाड़ी को याद दिलाते हैं कि यदि किसी प्रश्न का उत्तर ना मालूम हो तो लाइफ़लाइन लेने से मत झिझकना । तीन तरह की लाइफ़लाइन हैं और पहले पांच प्रश्नों के बाद चौथी लाइफ़लाइन भी सक्रिय हो जाएगी । लाइफ़लाइन आपकी सुविधा के लिए बनी हैं ।
तानिया (मुस्कराती हुई): सर, मेरे चाचाजी ने मेरा नाम विश्लेषी रखा हुआ है क्यों कि मैं सदा से ही हर चीज़ का विश्लेषण करती आ रही हूं । । मैं अपना लाइफ़लाइन का विश्लेषण दिखाना चाहती हूं । मैने इसके लिए रेखा चित्र बनाए हैं ।
अमिताबजी: तानिया जी के रेखा चित्र दिखाए जाएं ।

तानिया: इन सब चित्रों में क्षैतिज अक्षरेखा पर स्तर और उनकी आर्थिक मान्यता दिखाई गई है । मैने और मेरे दोस्त टिंकू ने मिल कर यू ट्यूब से यादृच्छ यानी रैंडम एक सौ खिलाड़ियों के लाइफ़लाइन के प्रयोग का विश्लेषण किया । रेखा चित्र ए अलग अलग स्तरों पर उनके लाइफ़लाइन की प्रयोग संख्या दिखाता है ।
अमिताबजी: रुचिकर है । लाइफ़लाइन का प्रयोग स्तर के साथ साथ बढ़ता जाता है । पर आश्चर्य है कि फिर घटना शुरू हो जाता है । क्या यह सच है ?

तानिया: सर, यहीं तो विश्लेषण का महत्व काम आता है । रेखा चित्र बी दिखाता है कि स्तरों के बढ़ने के साथ साथ बचे हुए खिलाड़ियों की संख्या घटती जाती है । जो खिलाड़ी चले गए, वह तो अब लाइफ़ लाइन प्रयो कर नहीं सकते । इस लिए सी में मैने लाइफ़लाइन प्रयोग और बचे हुए खिलाड़ियों की संख्या का अनुपात को प्रतिशत में दिखाया है ।

अमिताबजी: यह प्रतिशत तो बढ़ती रहती है ।
तानिया: क्यों की और से और कठिन प्रश्न आते रहते हैं । देखो बिश्लेषण ने हमारा निष्कर्ष ही बदल दिया ।
अमिताबजी: तानियाजी, आपने आश्चर्यजनक विश्लेशण से निष्कर्ष निकाला कि स्तर के साथ साथ प्र्श्नो की कठिनाई अधिक होती जाती है । शायद यह निष्कर्ष ठीक हो पर इसे सिद्ध करने की आवश्यकता है ।

तानिया: आप यह तो मानते हैं कि कठिन प्र्श्न वह होते हैं जिनका उत्तर लोग न दे पाएं । तो फिर मेरा रेखा चित्र डी देखिये । एक लाइफ़लाइन होती है आडिएन्स पोल । यह चित्र स्पश्ट करता है कि स्तर के साथ साथ प्रश्नों की कठिनाई बढ़ती जाती है । जब शुरू के स्तरों में यह पोल लिया गया, 90 से 100 प्रतिशत आडिएन्स ने ठीक उत्तर दिया । किंतु अंतिम स्तरों में 50 या कम लोगों का उत्तर ठीक था । तो मेरी प्रश्न की कठिनाई वाली परिकल्पना सिद्ध हो गई ।
अमिताबजी: आजकल के बच्चे । आपको तानियाजी बुलाएं या विश्लेषीजी ? इतना ज्ञान तो हमें कालिज की पढ़ाई के बाद भी नहीं था । हम यह रेखा चित्र अपने कंप्यूटर वालों को दिखाएंगे और कहेंगे कि सारे खिलाड़ियों की जानकारी से विश्लेषण करें । चलो अब खेल शुरू किया जाए । मेरी इच्छा है कि आप आज ढेर सारी धनराशी जीत कर जाएं । तैयार हैं आप ?
तानिया: हां सर मैं तैयार हूं ।