चंडीगढ़ की लोहड़ी

          लोहड़ी

लोहड़ी उत्तर पश्चिमी भारत में सर्दियों के अंत और लंबे दिनों की शुरुआत का जश्न मनाता है। उत्साह का एक हिस्सा रबी की फसल का आगमन है। लोहड़ी पंजाब, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा का एक प्रमुख त्यौहार  है। इसे गांवों में सामूहिक  आग जलाकर, उत्सव का खाना खाकर, नाचकर और उपहार इकट्ठा करके मनाया जाता है । जिन घरों में हाल ही में शादी या बच्चे का जन्म हुआ हो, लोहड़ी  बड़े चाव से मनाई जाती है । अतीत में केवल एक लड़के के जन्म को मनाया जाता था लेकिन आजकल लड़का और लड़की दोनो के जन्म को ।

           लोहड़ी से लगभग 10 से 15 दिन पहले, युवा लड़कों और लड़कियों के समूह पड़ोस में घूमते हैं जैसे कि पश्चिम में हैलोवीन के लिए दावत माँगते हैं। गांवों में वे अनाज, गुड़, रेवड़ी, गच्चक, मूंगफली, फुल्लियां, और कभी-कभी, पैसे जैसी चीज़ें इकट्ठा करते हैं।

चंडीगढ़ की लोहड़ी

              एक पास के गांव की लड़की जब बस में चढ़ी तो जस्विंदर थी पर चंडीगढ़ उतरते ही वह जैज़ बन गई । वह सलवार कमीज़ पहन कर चली थी पर टी शर्ट और शार्ट्स में उतरी ।  अब  वह मज़दूरी करने की अपेक्षा मॉडल बनना चाहती है । चंडीगढ़ का लोहड़ी उत्सव भी अलग सा है । सांप्रदायिक आग की अपेक्षा,   डांस क्लब पार्टियां होती हैं । अनाज और गुड़ के बजाय, बच्चे ललित चॉकलेट और अन्य कैंडी की उम्मीद रखते हैं ।

           डेव  और  सिम्मी

           यह कहानी चंडीगढ़ के डेव (दविंदर, 10 साल का) और उसकी बहन  सिम्मी (सिमरन, 12 साल की) की लोहड़ी   के बारे में है । वे दोनों एक दूसरे को मात करना चाहते हैं । उन्हें अपने माता-पिता से लोहड़ी मांगने की अनुमति मिली । डेव ने सिम्मी के साथ जाने से मना कर दिया क्योंकि वह बहुत ज्यादा बातें  करती है और इस कारण  वे ज़्यादा घरों में नहीं जा सकते । यह उसके द्वारा एकत्र की जाने वाली लूट की मात्रा को सीमित कर देगा । इसलिए वह अपने दोस्तों के साथ जाना चाहता था, बहन के बिना । सिम्मी को इसकी परवाह नहीं थी । उसने अपने दो दोस्तों को बुलाया और उनके साथ चली गई ।

           शाम ठंडी हो रही थी जो चंडीगढ़ के लिए लोहड़ी के दिन होता ही है । डेव के पास एक बड़े तकिए का उछाड़ था । हर घर डेव और उसके दोस्त लोहड़ी के गीत का केवल एक छंद गा कर  लोहड़ी मांग लेते थे । लोग उनके झोले में कुछ डाल देते थे । फिर, वह   जल्दी से अगले घर में चले जाते थे । वह कोई समय बर्बाद नहीं करना चाहते थे क्योंकि वे अधिक से अधिक घरों में जाना चाहते थे ।  वह   कुल 60 घरों में गए।

           सिम्मी का अंदाज अलग था । लड़कियों ने निर्णय किया कि वे केवल उन्हीं घरों में जाएंगी जिन में या तो पिछले एक साल में  शादी हुई है या  एक नवजात शिशु है । इन घरों में उत्सव अधिक उत्साहपूर्ण  होता है । वह  एक घर में जाते और गीत गाते । बाद में,  कोई दावत  मांगे बिना, वह   परिवार की नई दुल्हन के साथ कुछ समय बिताते थे या देखना चाहते थे कि नया बच्चा कैसा दिखता है । वह  उनसे बात करते हुए कुछ मिनट बिताते थे । परिवार   स्वचालित रूप से उन्हें उचित भेंट दे कर विदा करते थे ।   धन्यवाद कहा, फिर आने का वादा किया और चले गए । इस तरह वह   कम ही घरों में गए । ओह, उन्होंने केवल एक किराने का थैला रखा जिसमें उनकी  की सामूहिक भेंट   थी । अंत में, वह   सिम्मी के घर आए, दावतों की गिनती की और सभी ने अपना अपना हिस्सा लिया ।

 कुलसिम्मी का हिस्सा 
50 g चॉकलेट4214  
20 g चॉकलेट  60  20  
अन्य मिष्टान6020
नकद₹450₹150

           कौन जीता और कौन हारा

           डेव घर आया, उस ने अपना बैग खोला, बड़ी मेज़ पर सारी लूट पलट दी, और बोला: इसे देखो, मुझे यह सब मिला है। इस में कई तरह की वस्तुएं थी – 30 रुपये नकद राशी, आलू के चिप्स के 10 छोटे बैग, 50 ग्राम के 6 चॉकलेट बार, 20 ग्राम के 20 चॉकलेट बार और अन्य मिष्टान के 50 टुकड़े।

               वह तुलना करना चाहता था कि किसे अधिक लूट मिली, उसे या सिम्मी को । तो उसने माँ से पूछा कि प्रत्येक वस्तु की कीमत क्या है । माँ ने उसे बताया कि प्रत्येक 50 ग्राम चॉकलेट बार की कीमत ₹200 है, 20 ग्राम बार की कीमत ₹80 है, आलू की चिप का बैग ₹10 का है और प्रत्येक अन्य मिष्टान की औस्तन कीमत लगभग ₹5 है । डेव उत्सुक था कि किसे अधिक  सामान मिला । इसलिए उसने लिखना शुरू किया ।

आइटमयूनिट मूल्यडेवसिम्मी
  संख्यामूल्यसंख्यामूल्य
50 g चॉकलेट₹20061200142800
20 g चॉकलेट₹80201600201600
अन्य मिष्टान₹55025020100
आलू के चिप्स₹101010000
नकद ₹  30 150
कुल ₹  3180 3650


            डेव  कैलकुलेटर लाया । उसने गणना की कि उसे 60 घरों से कुल ₹3180 मूल्य का सामान प्राप्त हुआ था । तो उसने हिसाब लगाया कि ₹3180 को 60 से भाग देने पर 53 आता है । इसका मतलब था कि औस्तन प्रत्येक घर ने उसे ₹53 मूल्य की सामग्री दी थी।

           डेव: माँ, मुझे प्रति घर से केवल ₹53 का सामान मिला है। हमने उपहारों के लिए प्रति बच्चे पर ₹80 खर्च किए थे । यह दूसरों के खर्च से कहीं अधिक था । 

           माँ: कुछ घरों ने तुझे पैसे दिए और कुछ ने  कैंडी दी ।   क्या बेहतर लगा ?

           डेव: बेशक, पैसा माँ । फिर मैं जो चाहूं खरीद सकता हूं ।

           माँ: डेव, यह अच्छा है कि तुम 60 घरों में गए । तुम पड़ोस में कई लोगों से मिले । मुझे यकीन है कि तुम ने नए दोस्त बनाए हैं ।  सामान इकट्ठा करने से यह ज्यादा महत्वपूर्ण हो सकता है ।

           डेव (जैसे कि उसने इस संदेश को नजरअंदाज कर दिया): माँ । अगले साल हमें सबको 50 रुपये देने चाहिएं ।  इस तरह आप कम पैसे खर्च करेंगे और बच्चे खुश रहेंगे ।

            सिम्मी: तो मुझे ₹3650 का सामान मिला और तुझे ₹3180 का । तो मुझे  तेरे से ज्यादा मिला । 

           डेव: मुझे लगता है, मुझे संख्या में अधिक मिला और तुझे बेहतर मूल्य मिला ।

           चुनौती

           डेव के पास एक कैलकुलेटर था जिस से 3180 को 60 से विभाजित करके 53 प्राप्त  हुआ  । आप बिना कैलकुलेटर के यह कैसे करेंगे ?

हल: एक बोरिंग तरीका   होगा   लॉन्ग डिवीज़न   । सोचने का एक और तरीका होगा:

            3180 को 60 से विभाजित करना, 318 को 6 से विभाजित करने के बराबर है जो 300/6 + 18/6 = 50 +3 है ।