स्वतंत्रता दिवस

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व्याख्यान प्रतियोगिता

पूरे भारत में स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाया जाता है । यह उत्सव केवल भारत की राजधानी में ही नहीं, हर प्रदेश, हर नगर, हर गांव में मनाया जाता हैं । स्कूलों में तो छात्र इस दिवस को बड़े उत्साह से मनाते हैं । तानिया के स्कूल में इस उत्सव पर छात्रों के लिए एक व्याख्यान प्रतियोगिता रखी गई जिस का विषय था, “उत्तर प्रदेश का भविश्य” । छात्रों से निवेदन किया गया कि वह पूरे स्कूल के सामने, मंच पर आकर, उत्तर प्रदेश के भविश्य के बारे में वार्तालाप करें । क्यों नहीं, बच्चे ही तो होते हैं हर प्रदेश की आशा ।  उन्हें यह भी बताया गया की सर्वोत्तम व्याख्यान के लिए पुरस्कार मिलेगा ।

तेरह वर्षीय तानिया, टिन्कू, दीपिका और पुरु अच्छे मित्र थे जो कई बार एक दूसरे से बातें करते थे ।

टिन्कू: मैं इस प्रतियोगिता में भाग लेना चाहता हूं । मैं मम्मी या डैडी से लिखवा कर भाषण नहीं देना चाहता, यह धोखा होगा । क्यों न हम मित्र मिल कर कुछ तैयार करें, कुछ ऐसा करारा जो कभी किसी ने सोचा भी न हो ?

तर्क, वितर्क और विरोध

दीपिका: मुझे तो फ़ैशन बहुत पसंद है । यदि हम फ़ैशन के बारे में कुछ प्रस्तुत करें तो मुझे मज़ा आएगा ।

पुरु: दीपिका, क्यों हम तीनो का मज़ाक उड़ा रही है ? क्या हमारे प्रदेश का भविश्य फ़ैशन में है ? फ़ैशन केवल स्त्रियों के लिए होता है, पुरुषों के लिए नहीं ।

दीपिका: पुरू जी महाराज, स्कूल के विद्यार्थियों और अध्यापकों में लगभग आधी स्त्रियां हैं । व्याख्यान को परख कर पुरस्कार का निर्णय भी शायद स्त्रियां ही करें ।

पुरु के लिए तो फ़ैशन का विषय पर बात ही करना असंभव सा हो गया, और वह गुस्से में अपने घर चला गया ।

टिन्कू: मेरी पसंद का विषय तो आंकड़े हैं ।

दीपिका: तो आंकड़े सुन, जानता है मुम्बई कितना कमाता है फ़ैशन उद्योग में ? जानता है कि बालीवुड की कितनी कमाई है ? इन उद्योगों को बढ़ा कर, क्यों न उत्तर प्रदेश भी अपनी खुशहाली के लिए सोचे ?

तानिया: मैंने तुम दोनो की बातें सुनी हैं । दीपिका फ़ैशन-पसंद है और टिन्कू को गणित भाता है । क्या तुम दोनो चाहते हो कि हम इस प्रतियोगिता में जीतें ?

टिन्कू: यह कैसा प्रश्न है ? बिल्कुल में जीतना चाहता हूं ।

केतली: मैं भी, पर फ़ैशन के बारे में हो तो मुझे अधिक भाएगा ।

तानिया: तो सुनो, हमे तीनो इकट्ठे भाग लेंगे, एक गुट में । मैंने तुम्हारी दोनो की बातें सुन ली हैं । दोनो की पसंद का एक प्रस्ताव बनाऊंगी । तुम्हें मेरा साथ देना होगा, और हम जीतेंगे ।

तानिया की इस बात का टिन्कू और केतली पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि दोनो ने मिल कर काम करने को झट से स्वीकार कर लिया ।

क्या चुने – फ़ैशन या गणित ?

जैसे अक्सर होता है, कई बच्चों ने अपने माता-पिता या बड़े भाई-बहन से इस प्रतियोगिता के लिए सहायता मांगी । कुछ बच्चों को तो यह कह कर टाल दिया गया कि वह ऐसे विषय के  लिए अभी  बहुत छोटे हैं ।  कुछ और को वही घिसी पटी बातें पुरस्कृत की गईं । मंच पर आकर उन्होंने वही रटी हुई बातें अपने भाशण में कह दीं, जैसे: शीघ्र ही उत्तर प्रदेश तरक्की करेगा और संसार मे सर्वश्रेष्ठ प्रदेश बन जाएगा । उन छात्रों ने रोबाट की तरह अनर्थ से व्याख्यान दिए बिना कोई विधि या दिशा बताए । तब प्रिंसिपल साहिब ने घोशणा की,”यह अंतिम प्रस्ताव है टिन्कू, दीपिका और तानिया का । इसका शीर्षक है, चुने – फ़ैशन या गणित । टिन्कू आरंभ करेगा ।

टिन्कू: अभी अभी मेरे मित्र छात्रों से आपने सुना है कि उत्तर प्रदेश भारत की माला है । तब क्यों यह एक निर्धन प्रदेश है ? क्या हमें भी धनी और खुशहाल होने का अधिकार नहीं है ? हमें यह सब कैसे मिल सकता है ?  हम इस विषय पार आज व्याख्या करना चाहते हैं । मेरी मनोभावना तो गणित और आंकड़ों में है पर दीपिका समझती है कि फ़ैशन विद्या हमें खुशहाल बना सकती है । वह पहले आप से बात करेगी । उसके बाद आएगी तानिया जो कहना चाहती है कि प्रश्न फ़ैशन या गणित का नहीं होना चाहिए, दोनो को मिलाया जा सकता है । दीपिका, बताओ कि उत्तर प्रदेश के भविश्य में फ़ैशन का क्या महत्व है ।

दीपिका: मुम्बई की माडल और अभिनेत्रियां बहुत कमाती हैं, क्योंकि हम सब – निर्धन या धनी अपनी अवशिष्ट आय (disposable income) का कुछ भाग फ़ैशन में व्यय करते हैं । यदि हमारे प्रदेश के छात्र फ़ैशन-उद्योग को सीखें तो उत्तर प्रदेश भी इससे धन कमा सकता है । यदि हम फ़ैशन के बारे में सीखें, हम भी यहां अधिकतर लोकप्रिय कपड़ा और फ़ैशन वाले सुंदर पहनावे बना सकते हैं । हम सब जानते हैं कि रंगों के मेल-मिलाप से अधिक से अधिक पहनावे बनाए जा सकते हैं । तानिया इस कल्पना को आगे बढ़ाएगी यह दिखा कर कि हमें रंगों के क्रम संचय (permutations) के बारे में भी ध्यान देना चाहिए । अब टिन्कू प्रसन्न है क्यों कि क्रम संचय तो एक गणित का विषय है । तानिया, आओ ।

इंद्रधनुश – बैंगनी, गहरा नीला, नीला, हरा, पीला,  और लाल

ankafig.34.2             तानिया: धन्यवाद दीपिका, और जय भारत । मैं अपनी व्याख्या आरंभ करूंगी अपने दादाजी को धन्यवाद देकर  । स्वतंत्रता दिवस की खुशी में, दादाजी ने मुझे एक बैकपैक भेंट किया है । इस  बैकपैक पर इंद्रधनुश की धारियां बनी हुई हैं । सुंदर है ना ! ऊपर से नीचे तक हैं बैंगनी, गहरा नीला, नीला, हरा, पीला,  और लाल रंग । पहली बात तो यह उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं बना था ? यहां के व्यवसायकारियों को यह क्यों नहीं सूझा ?  सोच की बात है । दीपिका खुश है क्योंकि वह मेरी आगे वाली बात को जानती है ।

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दूसरी बात है अकसर हमारी इच्छा होती है कि किसी दूसरे के पास बिल्कुल मेरे डिज़ाइन की वस्तु नहीं होनी चाहिए । देखो यह कोई बड़ी समस्या नहीं है । यदि केवल दो ही रंग हों जैसे बैंगनी और गहरा नीला तो आप एक डिज़ाइन में बैंगनी ऊपर रख लो और दूसरे में  गहरा नीला । यदि तीन रंग की तीन धारियां हों जैसे बैंगनी, गहरा नीला, नीला तो आप इनमें से 3 x 2 यानि 6  क्रम संचय की धारियां बना सकते हो: बैंगनी गहरा नीला और नीला;  बैंगनी, नीला  और गहरा नीला; नीला, बैंगनी और गहरा नीला; नीला, गहरा नीला और बैंगनी; गहरा नीला,बैंगनी और नीला; और गहरा नीला,  नीला और बैंगनी । ध्यान से सुनो, अगर चार रंग की धारियां हों तो उन्हें 4 x 3 x 2 यानि 24 क्रम संचय के डिज़ाइन में बनाया जा सकता है । इस चित्र में दिखाया है कि 5 रंगों से 120, 6 से 720 और 7 रंगों से 5040 डिज़ाइन बन सकते हैं । हमारे स्कूल में तो केवल 500 विद्यार्थी हैं । यति 5040 अलग अलग डिज़ाइन हों तो क्या मस्ती है ?  हर एक का डिज़ाइनर  बैग अनुपम डिज़ाइन का होगा । मैं उत्तर प्रदेश के उपयोगियों को आज चुनौती देती हैं कि वह इतने भिन्न भिन्न डिज़ाइन बनाएं, और उनके इश्तिहार दें, ताकि अगले स्वतंत्रता दिवस पर मुझे इस फ़ैशन का थैला उत्तर प्रदेश में बना मिल जाए, बाहर से बना नहीं । इसके लिए 5040 मशीनों की आवश्यकता नहीं है, केवल एक ही मशीन के प्रोग्राम को बदलना है ताकि वह क्रमरहित विधि से धारियां बनाए । तो यह है गणित का चमत्कार जो फ़ैशन उद्योग को बदल सकता है । मैंने तो केवल एक बैकपैक के धारियों का ही उदाहरण दिया है । ऐसे सिद्धांत और विधियां तो चुनरिया, चोली, साड़ी, घागरा – किसी के लिए प्रयोग में लाए जा सकते हैं ।

इस लिए मेरी सोच है कि उत्तर प्रदेश का भविश्य लड़कियों की गणित शिक्षा में है ताकि वह अपने फ़ैशन प्रेम को आगे बढ़ा सकें । मैंने अब तक धारियों की ही बात की है । अंत में एक चित्र में दिखाती हूं कि यह सिद्धांत फूलों के डिज़ाइन में भी उतने ही लागू हैं । धन्यवाद ।

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नकद पुरस्कार और प्रशंसापत्र

निर्णयअध्यक्ष शीघ्र ही सर्वसम्मति से सहमत हो गए कि इस अंतिम गुट की व्याख्या सर्वोत्तम थी ।  प्रिंसिपल साहिब ने तानिया के माता-पिता से पूछा कि यदि उन्होने कोई सहायता की थी । तानिया के पिता ने कहा, नहीं, क्यों कि बच्चे ऐसी सहायता को धोखेबाज़ी समझते थे ।  तीनो बच्चों ने स्वयं ही सब कुछ किया था ।  प्रिंसिपल साहिब तो हैरान थे क्योंकि उन्हे तो क्रमसंचय बारहवीं श्रेणी में पढ़ाया गया था और तब भी यह विषय बहुत कठिन लगा था । इन आठवीं श्रेणी के विद्यार्थियों ने तो इतना सरल बना दिया था ।

स्कूल ने एक नकद पुरस्कार और तीनो को प्रशंसापत्र दिए । एक दुकानदार भी उत्सव पर आया था । उसने कहा कि वह लड़के के लिए एक तिरंगे झंडे वाली टी शर्ट और लिड़कियों को चुनरिया का पुरस्कार देगा । तानिया ने उसे झिड़क कर कहा कि लड़कों और लिड़कियों को एक ही भेंट दे । लड़कियां भी राष्ट्र के झंडे वाली टी शर्ट गर्व से पहनेगी । वह उन्हे झंडे वाली शर्ट न दे कर उनकी देश भक्ति का अपमान कर रहा था । दुकानदार ने माफ़ी मांगी और कहा कि तीनो को तिरंगा ही मिलेगा ।

नकद पुरस्कार में 1500 रुप​ए थे । तीनो ने 500-500 ले लिए और उनके माता पिता ने उनके बैंक में खाते खुलवा कर उसमें यह पैसे जमा करवा दिए । इस तरह बच्चों की सीख बैंक के बारे में भी आरंभ हो गई ।

चुनौती

तानिया, टिन्कू, दीपिका और पुरु चारों आठवीं श्रेणी में पास हो ग​ए । वह इस सफ़लता को मनाने के लिए एक पार्टी करना चाहते हैं । चारों एक ही बैंच पर बैठेंगे । टिन्कू अब यह जानना चाहता है कि कौन कहां बैठे, इसकी क्रमसंचय संख्या क्या है । कैसे निकालोगे इसका उत्तर ?

उत्तर: मान लो तानिए पहले एक सिरे पर बैठ गई । अब उसके साथ तीनों में से कोई भी बैठ सकता था । और किसी एक के बैठने के बाद दो अलग क्रमसंचय की संभावना थी । तो कुल 3 x 2 यानि 6 क्रमसंचय बन सकते थे । पर यदि पहले सिरे पर तानिया के सिवाय कोई भी होता, तो हर हाल में 6 अलग संचय बन सकते थे । तो कुल 4 x 3 x 2 यानी 24 क्रमसंचय बन सकते हैं । अरे हां, यही क्रम संख्या तो तानिया ने चार रंगों की बताई थी (कहानी में संभव क्रम संचय संख्या चित्र देखें) ।

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