दीपिका के घरमें खेल
दीपिका ने टिन्कू, तानिया और पुरु को अपने घर के अहाते में खेलने के लिए बुलाया । टिन्कू अपनी नई गेंद ले आया । चारों गेंद को इधर उधर फैंक कर बहुत खेले । उन्होंने बहुत भाग दौड़ की और थक गए । दीपिका ने अपनी मां से कहा कि कुछ खाने पीने के लिए दें । मां ने उन्हें पानी दिया और कहा कि यह सर्वोत्तम पेय पदार्थ है । मां ने साथ में कहा कि अगर सब मुस्कराएं तो वह उनके खाने के लिए भी कुछ बना देंगी । यह सुन कर बच्चों के मुख पर खिलखिलाती हुई मुस्कराहट आ गई ।
ककड़ी
दीपिका की मां रसोईघर से एक टोकरी ले आई । वह बच्चों के साथ ही बैठ गई ताकि वे देख सकें कि उन्हें खाने के लिए क्या मिलेगा । उसने एक लकड़ी की पट्टी पर दो ककड़ियां रख दीं । एक तेज़ चाकू से उसने दोनो ककड़ियों को आधा आधा कर दिया । यह करने पर उसके पास ककड़ियों के 4 टुकड़े हो गए । हर टुकड़े के फिर से दो बराबर बराबर टुकड़े कर दिए, और फिर हर टुकड़े के दो बराबर बराबर दो टुकड़े, और एक बार फिर से ऐसे ही काटा । इस तरह उसने कुल 4 बारी ककड़ियों को काटा (चित्र देखें) ।
दीपिका की मां ने ककड़ियों के सारे टुकड़े और थोड़ा सा चाट मसाला एक कटोरे में डाल दिए । दीपिका एक टुकड़ा उठाने लगी थी पर मां ने कहा – अभी नहीं ।
कचालू
मां ने एक बड़ा सा कचालू निकाला, जिसे वह पहले ही उबाल कर छील चुकी थी । उसने कचालू को भी दो बराबर टुकड़ों में काटा, फिर हर टुकड़े को आधा आधा किया और १६ टुकड़े होने तक ऐसे करती रही । अब उसने कचालू और ककड़ियों के टुकड़ों को मिला दिया ।
दीपिका की मां ने बच्चों को बांस के छोटे छोटे तीले दिए और कहा: तुम सब एक ही कटोरे में से खा सकते हो पर टुकड़ों को अपनी उंगलियों से मत उठाना । इन बांस के तीलों का प्रयोग करना । सब इकट्ठे एक एक टुकड़ा उठाओ । इससे पक्का हो जाएगा कि किसी ने दूसरों से अधिक टुकड़े नहीं लिए ।
चारों ने एकसाथ तीले से चाट का एक एक टुकड़ा उठाया । वे खाते खाते बातें भी कर रहे थे ।
पुरु: दीपिका तू तो केवल कचालू के टुकड़े ही ले रही है । मैं अभी आंटी को बताता हूं ।
दीपिका: तूं क्यों शिकायत करेगा ? यदि मैं केवल कचालू के टुकड़े लूं तो कटोरे में ककड़ी के अधिक टुकड़े रह जाएंगे । तुझे तो ककड़ी ज्यादा अच्छी लगती है, हिं, हिं, हिं ।
हर बच्चे को चाट के कितने टुकड़े मिले
टिन्कू: कटोरे में जाने कुल कितने टुकड़े थे । मैं गिनूगा । मेरे मस्तिष्क में टुकड़ों के बनते समय की पुरी तसवीर है ।
वह लम्बी सोच में पड़ गया जैसे सचमुच ही मानसिक गिनती कर रहा हो ।
तानिया: मेरे मित्र टिन्कू, मुझे दुख होता है तुझे देख कर जब तू चिन्ता करता है और घंटों के लिए मानसिक गिनती में खो जाता है । ज़रा ऐसे सोच । आंटी ने एक ककड़ी को आधे आधे हिस्सों में काटा, फिर हर टुकड़े से यही किया और कुल 4 बारी काटा । पहली बार काटने से 2 टुकड़े बन गए, दूसरी बार 2 x 2, तीसरी बार 4 x 2, और चौथी बार 8 x 2 यानि 16 ।
दीपिका: भूलो मत कि २ ककड़ियां थी और 16 टुकड़े कचालू के भी थे । तो कुल 16 + 16 + 16 यानि 48 टुकड़े हो गए ।
पुरु: तो हर एक के हाथ कितने टुकड़े आए ?
तानिया: मेरा हिसाब तो ऐसे है । एक ककड़ी के 16 यानि 4 x 4 हिस्से थे और हर एक ने 4 टुकड़े ले लिए । इसी तरह हर एक को 4 टुकड़े दूसरी ककड़ी और 4 टुकरे कचालू के ।
पुरु: लगभग, क्योंकि दीपिका केवल कचालू ही खा रही थी ।
भिन्न अंक (Fraction)
तानिया: हां, और पुरु तो ककड़ी के टुकड़े ही खा रहा था । किसी भी तरह, हर व्यक्ति को 12 टुकड़े मिले और कुल 48 थे । ऐसे भी कह सकते हैं कि हर एक को 12/48 हिस्सा मिला जो कि 48 का 1/4 भिन्न अंक (fraction) है । टिन्कू, क्या तू अब गणना से खुश है या सब कुछ लिखना चाहता है ।
पुरु: तानिया, हमेशा टिन्कू का दिल दुखाना क्या तेरे लिए ज़रूरी है ?
दीपिका की मां ने यह आखिरी वाक्य सुना और बोली: सुनो, तुम्हें लड़ने से मना किया था । ऐसे बात करना अच्छा नहीं । चलो सब अपने अपने घर जाओ ।
तो दिन इस तरह ख़त्म हुआ ।
चुनौती
एक 24 मीटर लम्बी रस्सी थी । तानिया और टिन्कू ने रस्सी को दोहरा कर, दो बराबर हिस्सों में काट दिया । हर टुकड़े को ऐसे ही दोहरा कर, फिर काटा । बराबर लम्बाई के कुल कितने टुकड़े बने और हर टुकड़े की लम्बाई कितनी थी ?
उत्तर ; रस्सी की लम्बाई 24 मीटर थी । पहली बारी काटने से दो टुकड़े बन गए । हर एक की लम्बाई 24/2 यानि 12 मीटर थी । दो टुकड़ों को दोबारा काटने से 2 x 2 यानि 4 हिस्से बन गए । हर हिस्से की लम्बाई 24/4 यानि 6 मीटर थी ।