दादीमां की चहेती पोती
तानिया जानती थी कि वह दादीमां की चहेती थी – क्यों न होती, वह उनकी अकेली पोती थी और दादीमां का कोई पोता भी तो नहीं था । दादी मां को नानी कहने वाले भी कोई बच्चे नहीं थे । कुछ दिन पहले जब उसने मांजी के सामने दादीमां के बारे में कुछ बुरा भला कहा था तो मांजी ने भी उसे याद दिलाया था कि दादीमां उससे कितना प्यार करती थी । अब स्कूल से आकर तानिया पहले दादीमां को एक पप्पी देने के बाद ही अपने कमरे में जाती थी । उसके दादाजी भी उससे बहुत प्यार करते थे । उनसे तो तानिया को बहुत लगाव था । भाई, वही तो रोज़ रात को सोने से पहले उसे कहानी सुनाते थे । चाचाजी की तो वह चहेती प्रशंसक थी ही और वह भी उसकी किसी मांग को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे ।
माता-पिता को भी तानिया से ममता थी पर दोनो थोड़े व्यस्त रहते थे । और फिर मांजी उसे शिक्षा देने का कार्य भी करती रहती थी । तानिया बड़ी होशियार थी, शायद इसका एक कारण मांजी की नित्य शिक्षा भी थी । कुछ दिन पहले तानिया ने मांजी के साथ बढ़ते हुए घातांक क्रमों के बारे में एक प्रश्न किया था और मांजी ने कहा था, फिर किसी दिन । आज मांजी ने तानिया को बुला कर बातचीत आरम्भ की ।
मांजी: याद है तूने उस दिन पूछा था कि बढ़ते हुए घातांक क्रमों का साधारण जीवन में क्या प्रयोग है ? मैंने दादीमां के प्यार को याद रखने को कहा था । आज मैं एक कहानी सुनाऊंगी इन दोनो के बारे में ।
तानिया: मैं भी दादीमां को बहुत प्यार करती हूं । रोज़ स्कूल से आकर उन्हें पप्पी देती हूं ।
तानिया की उच्च शिक्षा का प्रोत्साहन
मांजी: तेरे जन्म के बाद दादीमां ने घर में सब को मनवाया था कि तेरी स्कूल के बाद उच्च शिक्षा को प्रोत्साहित किया जाय ।
तानिया: कैसे ?
मांजी: उनका कहना था कि स्कूल में पढ़ते हुए तो तुझे घर में प्रेरणा देते ही रहें, पर उच्च शिक्षा के लिए हमें धन के रूप में भी सहायता करनी होगी । दादाजी ने कहा कि वह दो लाख रुपए दे सकते हैं, और तेरे पिताजी ने कहा कि वह भी दो लाख देने का प्रबंध कर लेंगे । दादीमां ने कहा कि वह भी एक लाख डाल कर पूरे पांच लाख बना देंगी ।
तानिया: चलो दादाजी और पिताजी का तो व्यवसाय था, पर क्या दादीमां के पास इतने पैसे थे ?
मांजी: नहीं, बैंक में तो उनके थोड़े से ही पैसे थे, बाकी उन्होंने अपने ज़ेवर बेच कर दिए ।
तानिया: तो मेरी उच्च शिक्षा के लिए दादीमां ने अपने ज़ेवर बेच दिए ! !
मांजी: उनके पास बहुत ज़ेवर थे – कुछ दहेज़ मे मिले थे और बहुत सारे उनकी सासुमां ने भी दिए थे । दादीमां मेरी सासुमां हैं न, इस नाते उन्होंने मुझे भे ज़ेवर दिए थे । अभी कुछ तेरे चाचाजी की शादी के लिए भी रखे होंगे और शायद तेरे दहेज़ के लिए भी ।
तानिया: मुझे नहीं पता था कि घर में सब के लिए मेरी पढ़ाई इतनी महत्व है । अब तो स्कूल में ज़ोर से प्रयत्न करना होगा । और मांजी, जो कुछ घर वाले मेरी उच्च शिक्षा के लिए कर रहे हैं, उसके बाद दहेज़ का तो नाम भी नहीं लेना चाहिए ।
चक्रवृद्धी व्याज वाली एफ़ डी
मांजी: इस 5 लाख रुपए की एक एफ़ डी हमारे बैंक में बनाई गई थी । जब तू 18 वर्ष की हो जाएगी, यह पैसे निकलवा सकती है । तब तक बैंक तुझे 10% ब्याज देता रहेगा – वह भी साधारण व्याज (simple interest) नहीं चक्रवृद्धी व्याज (compound interest) ।
यदि मूल 5,00,000 रुपए हो, साधारण व्याज 10% प्रति वर्ष के दर से 18 वर्ष में बैंक तुझे इस पर 5,00,000 x 18 x 10/100 रुपए यानि 9,00,000 रुपए व्याज देता । तो तुझे 18 वर्ष की आयु पर मूल और व्याज मिला कर कुल 14,00,000 रुपए मिल जाते ।
तानिया: यह तो बहुत बढ़िया है । क्या उच्च शिक्षा में इतने पैसों की आवश्यकता होगी ?
मांजी: हां किसी अच्छे कालेज में जाने के लिए आवश्यकता होती है । पर तुझे साधारण नहीं, चक्रवृद्धी व्याज मिलेगा ।
इसमें पहले वर्ष के लिए तुझे 5,00,000 का 10% यानि 50,000 रुपए व्याज मिलेगा । इस व्याज को मूल से मिलाकर 5,50,000 हो जाएंगे तो दूसरे वर्ष इसका 10% यानि 55,000 रुपए व्याज मिलेगा । अब कुल मिला कर 6,05,000 हो जाएंगे और इस पर 10% व्याज मिलेगा । जिस रकम पर व्याज मिलेगा, वह इस तरह हर वर्ष बढ़ती जाएगी ताकि 18 वर्ष में साधारण व्याज की अपेक्षा इससे बहुत ज्यादा फ़ायदा होगा ।
तानिया: तो कितने पैसे हो जाएंगे यह 18 वर्ष में ?
एफ़ डी की कीमत और घातांक
मांजी: अच्छा रहेगा यदि तू स्वयं ही इसकी गणना करे, चाहे टिंकू की सहायता से । और हां, दादीमां की घातांक फलन वाली कहानी याद रखना ।
तानिया टिन्कू के घर गई और उसे बताया कि कुछ गणन करना है । उसने फिर उसे बताया कि दादीमां के कहने पर घर वालों ने पांच लाख रुपए की एफ़ डी उसके जन्म पर खोली थी और उसपर उसे 10% प्रति वर्ष चक्रवृद्धी व्याज मिलेगा । अब यह जानना चाहती थी कि 18 वर्ष के बाद उसे कितने पैसे मिल सकते हैं । टिन्कू ने लम्बी चौड़ी गुणा भाग आरम्भ कर दी । टिन्कू में तो क्षमता थी इसे धीरे धीरे करने की पर तानिया एक दम आखिरी रकम जानना चाहती थी ।
तानिया: तू बहुत समय लगा रहा है । कोई सीधा साधा तरीका निकालें । मांजी ने कहा था कि यह बढ़ता हुआ घातांक है ।
टिन्कू: यह घातांक क्या होता है ?
तानिया: मानलो कि किसी के पास एक रुपया है, पहले वर्ष 10% वृद्धी से यह 1.1 रुपया हो जाता है, और 10% वृद्धी से दूसरे वर्ष एक से 1.1 x 1.1 हो जाता है तो हम कहेंगे घातांक है 1.1 की 2 यानि 1.12 ।
टिन्कू: फिर यह तो सीधा साधा है, 18 वर्ष में 1 रुपए से 1.118 रुपए बन जाएंगे । मैंने कैल्कुलेटर से निकाला है कि 1.118 = 5.5599173 ।
तानिया: तो 5 लाख के 18 वर्ष में 5,00,000 x 5.5599173 यानि 27,79,959 रुपए बन जाएंगे । पता है साधारण व्याज से तो केवल 14,00,000 ही बनते ।
टिन्कू की मस्त बात
टिन्कू: तुझे एक मस्त बात बताऊं, टाफ़ी खिलानी पड़ेगी ।
तानिया: बता, टाफ़ी तो खिलाऊंगी पर बात मस्त होगी तब।
टिन्कू: मानले 18 वर्ष बाद तुझे 27,79,959 रुपए मिल सकते हैं । तू सारे पैसे तो एक दम खर्च नहीं करेगी । अगर तू 27,79,959 में से पहले वर्ष के लिए 7,79,959 खर्च के लिए निकाल ले, बाकी 20,00,000 पर एक वर्ष में 10% व्याज मिलाकर 22,00,000 हो जाएंगे । इसी तरह अगले वर्ष भी अगर तू 7,00,000 निकाल ले तो 15,00,000 बच जाएंगे जिन पर व्याज़ मिलेगा । इस तरह तुझे कुल इकत्तीस लाख रुपए से ऊपर मिलेंगे । है न मस्त बात ?
तानिया: इस बात पर तेरी टाफ़ी पक्की ।
तानिया ने मांजी को पूरी कहानी बताई और उनसे थोड़ी से टाफ़ी लेकर अगले दिन टिन्कू के साथ खाई ।
चुनौती
मनाल आठवीं श्रेणी में आ गई थी और उसके पिताजी ने कहा कि उसे 20 रुपए प्रति दिन जेब खर्ची के लिए मिलेंगे क्योंकि उसकी बहन रानी को भी आठवीं श्रेणी में इतने ही मिलते थे । मनाल खुश नहीं थी क्योंकि 20 रुपए में तो कुछ भी नहीं मिलता था । स्कूल में वह तानिया से मिली और बातचीत के बाद तानिया ने मनाल से रानी की आयु पूछी । मनाल ने बताया कि रानी उससे 9 वर्ष बड़ी थी । तानिया ने कहा, “देख पिछले वर्षों में भारत में मंहगाई 10% प्रति वर्ष की औसत से बढ़ी है । तू इस आधार पर जेब खर्च की बढ़ावे की बात करे तो शायद तेरे पिता जी मान जाएं ।” तानिया तो यह कह कर घर चली गई और तुम मनाल को विस्तारपूर्वक बताओ कितने पैसे और क्यों मांगे ।
उत्तर: यह प्रश्न एक घातांक फलन का उदाहरण है । रानी जिस सामान के लिए 1 रुपया देती थी, आज 9 वर्ष बाद उसी सामान के 1.19 रुपए लगेंगे यानी जो भी रानी को एक रुपए का मिलता था आज उसी के 2.36 रुपए लगेंगे । यदि रानी को 20 रुपए मिलते थो, तो मनाल को 20 x 2.36 यानि 47.20 रुपए मिलने चाहिएं ।
मनाल ने यह बात पिताजी को बताई । वह खुश हो गए की उनकी बेटी इतना कुछ समझ गई है और उसे 50 रुपए प्रति दिन देने शुरू कर दिए ।