तानिया रोज़ कहानी सुनना चाहती है
बारह साल की होकर भी तानिया चाहती थी कि रोज़ उसे सोने से पहले कोई कहानी सुनाए । आम तौर पर उसे दादाजी कहानी सुनाते थे पर इस दिन वह कहीं गए हुए थे । तानिया की मांजी ने भी कह दिया कि वह व्यस्त थी । अब वह टपकती हुई उदास सा मुंह बना कर दादीजी के पास पहुंची ।
तानिया: आप मुझे कभी भी कहानी नहीं सुनाती, आज सुनाओ न ।
दादीजी: हां चल, तेरे कमरे में आकर सुनाउंगी, चल ।
तानिया: ऐसी छोटी सी कहानी नहीं कि एक था राजा एक थी रानी, दोनो मर गए खतम कहानी । असली कहानी सुनाना ।
दादीमां का एक अनंत कहानी सुनाने का वचन
दादीजी: मेरी प्यारी बच्ची, मैं तुझे एक अनंत कहानी सुनाउंगी ।
यह सुनकर तानिया के कान खड़े हो गए, ऐसी कहानी जो कभी खतम ही नहीं होगी !
दादीजी: एक अमीर आदमी था जो अपने खेतों में उगे मक्की के दानों को एक खलिहान में रखता था । खलिहान बहुत बड़ा था और मक्की के दानो से भरा हुआ । खलिहान पूरी तरह से बंद था पर उसमें एक छोटा सा छेद था जो उसके पीछे वाली दिशा में था और जिसका किसी को पता ही न था । एक दिन एक चिड़िया आई । उसने वह छेद देखा, और खलिहान में मक्की के दाने भी । चिड़िया ने एक मक्की का दाना अपनी चोंच मे रखा, और फुर्र कर के उड़ गई ।
तानिया: दादीमां, मैं तो सोच रही थी कि यह एक लम्बी कहानी है, इसके बाद क्या हुआ ?
चिड़िया ने एक मित्र चिड़िया को बताया
दादीमां: चिड़िया ने एक मित्र चिड़िया को बताया । एकदम दोनो आई, खलिहान में घुसी और दोनो एक एक दाना लेकर उड़ गई, फुर्र ।
तानिया: और फिर ?
दादीमां: फिर दोनो चिड़िया ने एक एक मित्र को बताया और चार चिड़िया उस छेद से खलिहान में घुस गई, और चारों एक एक दाना ले कर उड़ गई, फुर्र ।
तानिया की आंखें आधी बंद – आधी खुली थी पर वह बोली, “फिर” ।
दादीमां: फिर चारों चिड़िया ने एक एक मित्र को बताया और आठ चिड़िया उस छेद से खलिहान में घुस गई, और आठों एक एक दाना ले कर उड़ गई, फुर्र ।
दादीमां: फिर आठों चिड़िया ने एक एक मित्र को बताया और सोलह चिड़िया उस छेद से खलिहान में घुस गई, और सोलहों एक एक दाना ले कर उड़ गई, फुर्र ।
दादीमां ने देखा कि तानिया सो गई थी पर पक्का करने के लिए कह दिया: फिर सोलहों चिड़िया ने एक एक मित्र को बताया और बत्तीस चिड़िया उस छेद से खलिहान में घुस गई, और बत्तीसों एक एक दाना ले कर उड़ गई, फुर्र ।
अब तक तानिया गहरी नींद में सो रही थी ।
तानिया हर रोज़ की तरह सुबह उठी, तैयार हुई और स्कूल चली गई । स्कूल से वापिस आने के बाद वह अपनी मांजी से बात कर रही थी ।
दादीमां धोखेबाज़ हैं
तानिया: मांजी, दादीमां धोखेबाज़ हैं ।
मांजी: तानिया (झिड़कते हुए), बड़ों के बारे में बुरी बातें नहीं करते । वह तेरी दादीमां हैं और तुझे बहुत प्यार करती हैं ।
तानिया: मांजी, दादीमां ने कहा था कि वह एक अनन्त कहानी सुनाएंगी पर उनकी कहानी का अंत तो अनिवार्य है ।
इसके बाद तानिया ने मांजी को पूरी कहानी बताई ।
बढ़ते हुए घातांक का फलन
मांजी: पहले तो मैं बताऊंगी कि तुझे इस कहानी से क्या सीखना चाहिए और बाद में हम इसके अंत की बात करेंगे । तुझे गणित के अध्यापक बढ़ते हुए घातांक फलन (increasing exponential functions) के बारे में पढ़ाएंगे । घातांक में एक आधार होता है और एक उसकी घात । दादीमां की कहानी में आधार 2 है क्योंकि हर बार आने वाली चिड़िया की संख्या 2 – गुणी हो जाती है । इसकी घात है कितनी बार चिड़िया 2 – गुणी हो जाती हैं । पहले दौरे में अकेली चिड़िया आकर एक दाना ले कर चली गई थी । एक बार उसके बताने के बाद पहले दौरे में 2 चिड़िया आईं । हर अगले दौरे में उनकी संख्या बढ़ती गई – 2 से 4, 4 से 8, 8 से 16 इत्यादि । इसे एक घातांक फलन कहा जा सकता है: 1 x 2 की घात कितनी बार मित्रों को बताया गया ।
तानिया: दादीमां की कहानी में हर चिड़िया केवल एक ही मित्र को बताती थी ताकि 2 – गुणी चिड़िया आ जाती थी । पर मान लो मैं अपनी कहानी में कहूं कि हर बार चिड़िया दो मित्रों को बताती थी ताकि 3 – गुणी चिड़िया आ जाती थीं ।
मांजी: तो आधार 2 को स्थान पर 3 हो जाएगा । तब चिड़िया की संख्या का फलन होगा 1 x 3 की घात 3 – गुणा होने की संख्या ।
तानिया: मांजी, मेरे दो प्रश्न हैं ।
मांजी: बता ।
तानिया: यदि इस क्रम के अनुसार बढ़ती से बढ़ती संख्याओं में चिड़िया आकर दाना लेती जाएंगी तो क्या खलिहान खाली नहीं हो जाएगा ? फिर बेचारी चिड़िया खाली चोंच उदास हो कर वापिस जाएंगी, और लौट कर नहीं आएंगी । तो क्या यहां कहानी का अंत नहीं आ जाएगा ?
मांजी: तू ठीक कह रही है कि दादीमां ने सोचा था कि गोदाम में असंख्य दाने थे पर यह अनुचित था । खलिहान में मक्की के दानो की संख्या सीमित थी और इस लिए कहानी कभी न कभी खतम हो ही जाती ।
तानिया: हां, शायद दादीमां नहीं जानती कि मैं बड़ी संख्याओं के बारे में भी सोच सकती हूं ।
मांजी: तूने कहा था कि तेरे दो प्रश्न थे । दूसरा प्रश्न क्या है ?
तानिया: दादीमां ने तो एक काल्पनिक कहानी सुनाई थी । आप ने कहा कि यह कहनी बढ़ते हुए घातांक की है । क्या असली जीवन में इन घातांक का प्रयोग होता है ।
मांजी: क्यों नहीं, पर फिर किसी दिन बताऊंगी पर तुझे याद रखना होगा कि दादीमां तुझे बहुत प्यार करती हैं ।
चुनौती
एक दिन अकबर बहुत खुश था और उसने बीरबल से कहा: आज मै तुझे मुंहमांगा इनाम दूंगा, मांग ।
बीरबल: इस गरीब को तो खाने के लिए थोड़े से चावल दे दो । शतरंज मे 64 खाने हैं, पहले खाने में 1 दाना, दूसरे में 2, तीसरे में दूसरे से दुगने, चौथे में तीसरे से दुगने । बस ऐसे कर के इन सारे खानों को भर दो ।
अकबर: मैं इतना बड़ा सम्राट हूं । तू क्यों थोड़े से चावल की मांग करके मुझे नीचा दिखा रहा है ।
बीरबल: धन्य हो महाराज, बस इस गरीब की यही इच्छा है ।
जान सकते हो क्या हुआ ? यह तो पता ही होगा कि बीरबल कितना चालाक था ।
उत्तर: इसका सीधा साधा उत्तर तो है कि बीरबल की मांग के अनुसार हर खाने में दानों की संख्या बढ़ती जाएगी एक घातांक फलन के अनुसार । यह फलन होगा 1 x 2 की घात (खाने की संख्या -1) यानि 1 x 2(खाने की संख्या -1) ताकि चौसठवें खाने में 1 x 2 की घात 63 (263) दाने डालने पड़ेंगे । अब देखते हैं कि यह कितना चावल है ।
पहले खाने में 1दाना, दूसरे में 2, तीसरे में 4, चौथे में 8, पांचवें में 16 और छटे में 32 दाने चावल आएंगे जिनका भार लगभग 1 ग्राम होगा । अब छटे खाने में 1 ग्राम और फिर हर खाने में पिछले से दुगने करते जाएं तो 16वें खाने में 1024 ग्राम यानी लगभग 1 किलो ग्राम चावल आ जाएंगे । इसी क्रम से 26वें खाने में लगभग 1000 किलो, 36वें में लगभग 10,00,000 में (दस लाख) किलो, 46वें में 1000 गुणा दस लाख यानि लगभग एक अरब किलो, 56 वें मे लगभग 1000 अरब किलो चावल आ जाएंगे । इस तरह करते हुए 64वें खाने में लगभग 128000 अरब किलो चावल आएंगे । सब खानों के चावलों का योग इससे दुगना (लगभग 256000 अरब किलोग्राम) हो जाएगा (इस क्रम का योग बीजगणित में पढ़ाया जाएगा) ।
सन 2017 में पूरे संसार की चावल की उपज केवल 489 अरब किलोग्राम थी ।
चालाक बीरबल ने राजा को फिर से मात कर दिया ।