छोटे से शहर में भी एक अनाथालय
तानिया, टिन्कू, पुरु और दीपिका टीवी पर एक स्थानिक चैनल देख रहे थे । उससे उन्हें पता लगा कि उनके छोटे से शहर में भी एक अनाथालय था । वहां रहने वाले बच्चे अनाथ थे – या तो उनके माता-पिता की मृत्यु हो जाने के कारण और या उनके माता-पिता ने उन्हें छोड़ दिया था । बच्चों के रहने के लिए और कोई स्थान नहीं था । इस कार्यक्रम को देख कर उन्हें आभास हुआ कि सरकार इस अनाथालय को थोड़ी सी ही सहायता देती थी, बाकी सहायता का धन लोगों के दान से आता था । अगले दिन इन चारों को स्कूल में पता चला कि और दोस्तों ने भी यह कार्यक्रम देखा था । विद्यार्थी क्लास में भी इसी विषय पर बातचीत कर रहे थे । क्लास में बातें करने के कारण, अध्यापक ने दस बच्चों को प्रिन्सिपल के पास भेज दिया ।
क्लास में बातें करने की सज़ा
प्रिंसिपल के पास भेजे गए विद्यार्थी सहमे हुए थे कहीं वह उन्हें कड़ी सज़ा न दे दे या उनके माता-पिता को न बता दे । यदि माता-पिता को पता चला तो घर से भी सज़ा मिल सकती थी । प्रिंसिपल ने विद्यार्थिओं को कहा कि वह ईमानदारी से सब कुछ बताएं । पूरी कहानी सामने आने पर यह वार्तालाप हुआ ।
प्रिंसिपल: अच्छा, अब तुम अनाथों और अनाथालय की विविधा के बारे में जान चुके हो । तो बताओ कि तुम इस समस्या के बारे में क्या करोगे ?
पुरु: मैं अपना आने वाले सप्ताह की जेब-खर्ची दान कर दूंगा । बाकी सब का तो मुझे पता नहीं ।
मनाल: शायद हम सब ऐसे कर सकते हैं पर ऐसे तो हम केवल अपने माता-पिता की कमाई ही उन्हें दे रहे हैं । पर हमें अनाथालय के लिए स्वयं कुछ करना चाहिए ।
तानिया: क्या हम उन बच्चों के लिए कुछ बना सकते हैं ? नहीं नहीं, मेरा एक और सुझाव है, पिछले साल मैंने कुछ लोगों को ठंडा पेय पिलाते हुए देखा था ।
टिन्कू बीच में टोक कर बोला: हम एक निम्बू पानी की अस्थाई दुकान लगा सकते हैं । इस तरह हम लोगों की प्यास भी बुझा देंगे । हम उन्हें कहेंगे कि निम्बू पानी के गिलास के लिए कुछ पैसे दें और हम लाभ के पैसे अनाथालय को दान कर देंगे ।
समाज सेवा की शिक्षा या सज़ा ?
प्रिंसिपल का निर्णय था कि युवाओं को सज़ा देने से इस समाजिक सेवा की शिक्षा देना ज़्यादा अच्छा होगा । उसने कहा कि यह कार्य अगले रविवार को होगा । सब विद्यार्थियों को अपने माता-पिता की अनुमति लेनी पड़ेगी । वह दुकान के स्थान, और कई छोटे मोटे कामों को स्वयं संभाल लेगी पर विद्यार्थियों को अगले दिन आ कर बताना पड़ेगा कि निम्बू पानी पिलाने के लिए क्या क्या सामग्री चाहिए ।
अगले दिन आधी छुट्टी में यह 10 छात्र मिले । सारा कुछ ध्यान से लिखने की ज़िम्मेदारी टिन्कू को दी गई क्यों कि उसे हर बात के विस्तार में बड़ा शौक था ।
निम्बू पानी की दुकान के लिए सामग्री
टिन्कू: हमें जल, चीनी, निम्बू और गिलासों की आवश्यकता होगी ।
मनाल: जल स्वच्छ और पीने योग्य होना चाहिए । मुझे पता है कि बोतलों का प्रयोग वातावरण के लिए इतना अच्छा नहीं है । फ़िर भी हमें बोतल का पानी प्रयोग करना चाहिए और यह पता होने पर लोग थोड़े अधिक पैसे देना बुरा नहीं मानेगे । हम एक एक लिटर की 100 बोत लें ला सकते हैं । एक गिलास में 200 मिलीलिटर पेय आएगा, अतः हम 500 गिलास निम्बू पानी बना सकते हैं । इतने तो बिक ही जाएंगे ।
दीपिका: चीनी का प्रयोग ठीक नहीं है । मेरी आंटी को शूगर की बीमारी है । औरों को भी हो सकती है । आंटी मिठास की गोलियां डालती है । एक 500 गोलियों की डिब्बी ले लो ।
पुरु अपने मोबिल पर बातें कर रहा था और सब उस पर गुस्सा कर रहे थे जब तक उसने यह नहीं कहा: मेरे पास सब वस्तुओं का मूल्य है । एक लिटर पानी की बोतल 12 रुपए की है पर 100 बोतल 9 रुपए बोतल के दर पर 900 रुपए में मिल जाएंगी । मिठास की गोलियां 50 रुपए की आएंगी, 200 रुपए निम्बूओं मे लगेंगे, 100 रुपए उपयोग करके फैंकने लायक गिलासों में, 100 रुपए गार्बेज बैग्ज़ में और 200 रुपए के करीब बर्फ़ में लगेंगे । तो कुल दाम होगा 900 + 50 + 200 +100+ 100 +200 यानि 1550 रुपए ।
टिन्कू: तो हम एक गिलास निम्बू पानी के लिए कितने पैसे मांगें ?
तानिया: दस रुपए, पर हमें अनाथालय को दान के लिए एक अलग डिब्बा भी रखना चाहिए ।
फिर वह छात्र प्रिंसिपल के पास अपना निर्णय बताने गए । प्रिंसिपल ने कहा: मैं अपने पैसों से सारी सामग्री खरीद लूंगी पर बिक्री के बाद तुम्हें यह वापिस करने होंगे । दीपिका और मनाल की ज़िम्मेदारि होगी कि वह इश्तिहारों के लिए चार बड़े बड़े साइन बोर्ड बनाएं । हर साइन बोर्ड पर बड़े बड़े अक्षरों में निम्बू पानी और इसका मूल्य और स्वच्छ जल का प्रयोग दिखने चाहिएं । और इन पर यह भी लिखना होगा कि लाभ अनाथालय को दान किया जाएगा और तुम किस स्कूल के छात्र हो । यह है मार्कीट में एक दुकान का पता और रविवार को 10 बजे सब वहां पहुंच जाना । इस दुकानवाले ने इस भले काम के लिए इस स्थान को प्रयोग करने की अनुमति के साथ एक मेज़ भी दे दी है । मैं चार बच्चों के माता या पिता को देखभाल के लिए भी बुला लूंगी ।”
निम्बू पानी की बिक्री
रविवार को सब छात्र निर्धारित समय पर आ गए । तीन की ज़िम्मेदारी थी ताज़ा निम्बू पानी बनाते रहना, दो पैसे लेने के काम में लगे हुए थे, चार उन बड़े बड़े साइन बोर्ड को लेकर घूम रहे थे और हां, एक का काम था प्रयुक्त गिलासों को गार्बेज बैग में डालना यदि किसी लापर्वाह ने उन्हें सड़क पर फैंक दिया हो ।
शुरूआत थोड़ी धीरे थी पर जल्दी ही लोगों की पन्क्तियां लग गईं । लोग पन्क्ति में इस लिए खड़े थे क्यों कि वह प्यासे थे और उन्होंने दूसरों से इस निम्बू पानी की तारीफ़ सुनी थी । फिर 10 रुपए का दाम भी कोई अधिक नहीं था क्यों कि लाभ तो अनाथालय को दिया जाना था । तीन बजे तक सब निम्बू पानी बिक चुके थे, पानी भी बाकी नहीं बचा था, बर्फ़ भी पिघल गई थी । एक दो निम्बू ही बचे थे । गार्बेज बैग भी बंद करके फैकने के लिए तैयार थे ।
अनाथालय को दान की राशी
टिन्कू: मैंने गिना है कि हमारे पास 5000 रुपए नकद हैं जो हिसाब से 500 गिलास 10 रुपए प्रति गिलास के साथ मिलता है । अब हम 1550 रुपए प्रिंसिपल जी को वापिस दे कर बाकी 3450 रुपए अनाथालय को दान कर सकते हैं ।
मनाल: इतनी जल्दी न कर टिन्कू । मैंने अभी अभी गिना है कि दान के डिब्बे में लोगों ने 2300 रुपए डाले हैं । तो हमारी निम्बू दुकान के कारण कुल 3450 + 2300 यानि 5750 रुपए का चंदा अनाथालय के लिए इकट्ठा हो गया है ।
प्रिंसिपल: मैं प्रसन्न हूं कि तुम छात्रों ने अपनी समाजिक ज़िम्मेदारी को समझ कर अमल किया है । सामग्री की कीमत वापिस देने के बजाए वह पैसे पर अनाथालय को दे दो ।
टिन्कू: अरे दान के लिए पैसे तो आते ही जा रहे हैं । अब 7300 रुपए हो गए ।
कुछ दर्शक माता-पिता भी बच्चों के इस कार्य से प्रभावित और प्रसन्न थे । उन्होंने कुछ और दान दे कर पूरे 10000 रुपए कर दिए ।
अगले दिन टीवी पर एक स्थानीय चैनल ने समाचार दिया कि एक स्कूल के 12 वर्ष के बच्चों ने मिल कर एक निम्बू दुकान लगा कर 10000 रुपए का लाभ अनाथालय को दान किया । एक स्थानीय समाचार पत्र ने भी इन की सराहना की ।
चुनौती
तुम्हारी क्लास एक पिकनिक पर जाना चाहती है पर प्रिंसिपल ने दो शर्तें रखी हैं । पहली तो कि हर छात्र को अपने माता-पिता से एक अनुमति पत्र लेना होगा । दूसरी कि पिकनिक के बाद सब खर्चों का विस्तारपूर्वक व्यौरा देना पड़ेगा । और हां, खर्चों का 15 % किसी संस्था को दान भी करना पड़ेगा । अपनी क्लास के ट्रिप के बारे में सोचो, निर्णय करो कि क्या करोगे । सारे खर्चों और दान का हिसाब करो । हर व्यक्ति को कितने पैसे देने पड़ेंगे ।
हम इस चुनौती का उत्तर नहीं दे सकते क्यों कि हमें तुम्हारा निर्णय तो पता ही नहीं ।