ईशू और बिनाल – फ़ैशन माडल
ईशू और बिनाल स्कूल की दो शोखीबाज़ किशोरियां थी जो फ़ैशन माडल बनना चाहती थी । दोनो स्कूल में लोकप्रिय थी । अपने आप को सुंदर समझती थी और सुंदरता कि प्रतियोगिताओं में भाग लेने का निर्णय भी कर चुकी थी । दोनो की उत्तम देह, सुंदर चेहरे, मंहगे सलोन में जाना और उनके दिखावे वाले फ़ैशनेबल लिवास उनकी लोकप्रियता को बढ़ावा देते थे । उनका उद्येश्य था स्कूल में सब से सुंदर दिखना और हर लड़के की पसंद बन जाना । लगता था कि दोनो एक दूसरे का दिखावे का सम्मान करती थी । सम्मान तो करना ही था क्यों कि वह एक दूसरे के सारे राज़ जानती थी ।
ईशू की एक कमज़ोरी थी उसकी टाफ़ी की लत । उसे जितनी भी टाफ़ी दिख जाए वह खा जाती थी । ईशू और बिनाल बैठ कर इधर उधर की हांक रही थी ।
ईशू: पिछले महीने में मेरा भार ढाई किलो बढ़ गया है । मैं स्वास्थ्यहित खाना खाती हूं और तेरे साथ रोज़ जिम में व्यायाम के लिए भी जाती हूं । मैं मोटी भैंस नहीं बनना चाहती । कई लड़के तो अब मेरी ओर देखते भी नहीं । पहले तो सीटियां मारते थे । अंश भी अब मेरी अपेक्षा करने लगा है । क्या करूं ?
बिनाल: क्या तू सोचती है कि तू सचमुच स्वास्थ्यहित वस्तुएं ही खाती है ?
ईशू: तू मेरी टाफ़ी खाने की बात कर रही है न ? क्या करूं मुझे तो इसके स्वाद का चस्का, नहीं, लत पड़ गई है ।
सैरा की लोकप्रियता से ईर्ष्या
ईशू तो गहरी चिन्ता में पड़ गई और अपने आप को निष्ठुर ढंग से धिक्कारने लगी कि वह टाफ़ी की लत से क्यों नहीं छुट्टी पा सकती । इतनी देर में बिनाल ने छात्रों के एक गुट को देखा और ईशू को बताया । वह सब छात्र एक लड़की को घेरे एकत्र हो कर उसी से बातें कर रहे थे । दोनों लड़कियों ने ईर्श्यापूर्वक सोचा कि यह उन से अधिक लोकप्रिय लड़की कौन हो सकती है । उन्होंने पता करने का फ़ैसला किया । गुट में से एक लड़के को बुलाया और उससे पूछा कि वह लड़की कौन है । उसने बताया कि लड़की का नाम सैरा था, वह बहुत होशियार थी और सबसे अच्छा व्यवहार करती थी । ईशू और बिनाल को विश्वास नहीं हुआ कि वह लड़की उनसे अधिक लोकप्रिय थी । लड़की ने साधारण कपड़े पहने हुए थे न कोई ब्रांडिड पहनावा, न ऊंची हील वाले जूते, न सलोन के बनाए बाल, कुछ भी तो नहीं था । उन्होंने निर्णय किया कि पता करें यह लड़की इतनी लोकप्रिय क्यों है । क्या असल में ही वह इतनी बुद्धिमान और चतुर है ? वह उससे बात करने उस गुट में जा मिली । सैरा का बायफ़्रैंड जानी भी वहीं था ।
ईशू: क्या तू सैरा है ? मैने तेरे बारे में बहुत कुछ सुना है ।
सैरा: हां मेरा नाम सैरा है और यह मेरा बायफ़्रैंड जानी है । क्या सुना है आपने मेरे बारे में ? आप तो ईशू हैं न ?
ईशू: अच्छा तू मेरा नाम जानती है । यह मेरी मित्र बिनाल है । हम दोनो बात कर रहे थे कि तू कितनी लोकप्रिय है ।
सैरा: धन्यवाद, मुझे नहीं पता था कि कोई मुझे जानता तक है ।
बिनाल: लोकप्रिय और चतुर भी ।
सैरा: अच्छा, बंद करो, मुझे शर्मिंदा करना ।
ईशू: मेरी एक समस्या है । मैने सोचा कि तुम्हारे जैसी होशियार लड़की से ही उसका हल पूछ लूं ।
सैरा: कैसी समस्या ? बताओ, यदि मैं सहायता कर सकूंगी तो अवश्य पर पहले से ही वचन नहीं दे सकती ।
ईशू: पिछले महीने मेरा भार ढाई किलो बढ़ गया है । मैं स्वास्थ्यहित खाना खाती हूं और रोज़ जिम में व्यायाम के लिए भी जाती हूं । मैं मोटी भैंस नहीं बनना चाहती पर मेरी एक टाफ़ी खाने की लत है, उसे छोड़ नहीं पा रही ।
सैरा ने कुछ पल के लिए सोचा और फिर कहा: आप प्रयत्न करके इस लत को धीरे धीरे छोड़ सकती हैं । अभी तो मेरी क्लास है, उसके बाद हम मिल कर आपकी सफ़लता के लिए एक योजना बनाएंगे । क्या हम इस क्लास के बाद यहीं मिल सकते हैं ?
ईशू और बिनाल ने इकट्ठे ही हां कर दी । दोनो देखना चाहती थी कि इस लड़की में कोई अकल है या वैसे ही बड़ी बड़ी बातें करती है । ईशू तो चाहती थी कि सैरा कोई सफ़ल होने वाली योजना बना ले पर यदि न भी बनाए तो नीचा दिखाने का अवसर मिल जाएगा । बस चित मैं जीती पट तू हारी वाली अवस्था थी ।
सैरा की योजना
क्लास के बाद तीनो मिले, तो सैरा ने कहा: मैने एक योजना बनाई है और आशा करती हूं कि आप को यह पसंद आएगी । इस में दो शर्तें हैं । पहली की आज के बाद आप टाफ़ी नहीं खरीदेंगी । दूसरी कि किसी भी दिन आपके पास जितनी भी टाफ़ी हो, उसका केवल आधी मात्रा ही खाएंगी । इस तरह आप की कम टाफ़ी खाने की आदत बढ़ती जाएगी और अंत में टाफ़ी की आदत से मुक्त हो जाओगे ।
ईशू तो बड़ी प्रसन्न हुई कि इस तरह वह टाफ़ी की लत छोड़ कर अपने भार का ध्यान रख सकेगी । उसे परवाह नहीं थी कि यदि वह सफ़ल रही तो उसे सैरा की होशियारी का आदर करना पड़ेगा । वह तो फिर से स्कूल के हर लड़के के सपनो की रानी बनना चाहती थी ।
ईशू ने, घर में रसोईघर वाले तराजू पर, सारी टाफ़ियां तोली तो वह 256 ग्राम निकली । उसने उसकी आधी मात्रा यानी 128 ग्राम मस्त हो कर खा ली । रोज़ तो इससे भी कम खाती थी । बड़ा मजा आया । अगले दिन 128 ग्राम टाफ़ी बची थी और उसकी आधी यानि 64 ग्राम खा ली । अगले दिन 32 ग्राम खा ली । करती रही । अब केवल 1 ग्राम टाफ़ी बची थी । उसे प्राकृतिक रूप से ही अब कम टाफ़ी खाने की आदत हो गई थी । उसे सफ़लता मिली थी और अपना स्वाभिमान भी वापिस आ गया था । वह इस स्वाभिमान की चर्चा बिनाल से भी कर रही थी । उसे लगता था कि वह स्कूल में फिर से लड़कों का आकर्षण केंद्र बन रही थी ।
वैलेंटाइन डे
किंतु ईशू एक बात भूल गई – वैलेंटाइन डे । उसे चाहने वाले कई लड़के थे जो उससे दोस्ती चाहते थे । उन चाहने वालों को यह तो याद था कि ईशू टाफ़ी की गुलाम थी पर इतने विचारशील नहीं थे कि सोचें वह इस गुलामी से निकलने का प्रयत्न कर रही थी । बेचारी ईशू, उन्होंने ईशू को चाकलेट और कई तरह की टाफ़ियां बड़े प्रेम से भेंट की । वह मोहित रंगों के कागज़ों में लपेटी थी और उन पर दिल के आकार की लाल चिप्पियां भी लगी हुई थी । अब ईशू इन भेंटों को कैसे अस्वीकार करती – सब ले ली । यह सब लड़के उसके प्रशंसक और प्रेमी थे ।
बिनाल: ईशू, तुम तो बहुत लड़कों की चहेती हो ।
ईशू: चहेती तो हूं, पर अब मेरी टाफ़ी की लत का क्या होगा ?
बिनाल: इन्हें अपने छुटकू भाई को दे दे ।
ईशू: कभी नहीं । मैं इन भेंटों को उस बदमाश को क्यों दूं ? इन सुंदर लड़कों ने मुझे बड़े प्यार से दी हैं । इन टाफ़ियों से तो मुझे उनके चुम्मे मिलने जैसा अहसास हो रहा है ।
बिनाल: कम से कम यह एक किलो टाफ़ियां हैं । तू कहीं पुराने नियम के अनुसार एक दिन में आधी टाफ़ियां खाने की तो नहीं सोच रही, हैं ?
ईशू सैरा के पास वापिस गई और कहा: सैरा, तेरी योजना अच्छी तरह से चल रही थी । मैं रोज़ बची हुई टाफ़ियों की आधी मात्रा खाती थी । कल केवल एक ग्राम टाफ़ी खाई थी पर फ़िर भी संतुष्ट थी । मेरी लत तो लगभग चली गई थी पर फिर वैलेंटाइन डे आ गया । मेरे मित्रों ने मुझे प्रेम से इतनी सारी टाफ़ी दी हैं । मैं इन्हें फैंक भी नहीं सकती, फस गई हूं, अब क्या करूं ?
सैरा ने टाफ़ी की मात्रा को देखकर कहा: मुझे नहीं पता था कि लोकप्रियता एक ऐसा अभिशाप भी बन सकती है । घबराओ मत, मेरे विचार में इस स्थिति का भी उपाय है । अभी तो क्लास है । आप कब खाली हैं ?
ईशा: क्या हम दो बजे मिल सकते हैं, स्कूल के कैफ़िटेरिया में ?
सैरा: हां, फिर दो बजे मिलेंगे, पर तब तक कोई भी टाफ़ी नहीं खाना ।
ईशा और बिनाल सोच रहे थे कि सैरा इतनी चतुर तो नहीं हो सकती कि इस उलझन का हल भी निकाल ले । चलो, अगर सैरा कोई यथोचित हल नहीं निकाल पाई तो उसका मज़ाक उड़ाने का मौका मिल जाएगा । यही सोच कर दोनो सैरा को मिलने के लिए आ गई । सैरा आई, उसके हाथ में उसका लैप टाप था और साथ में जानी भी आया था ।
सैरा: शुरू में, मैं तुम्हें एक रेखा चित्र दिखाती हैं, उसका जो आप अब तक कर रहे थे । इसे एक गिरता हुआ घातांक कहते हैं । इसका आधा जीवन एक दिन था क्यों कि हर दिन आप बची हुई टाफ़ी की आधी मात्रा खाती थी ।
बिनाल: वह तो हमें पता है । यह गणित की बकवास बंद कर और सीधे बता कि अब क्या करना होगा ।
सैरा: वह तो सरल है । हम योजना तो पहले वाली ही रखेंगे पर आधा जीवन एक दिन की जगह एक सप्ताह कह देंगे । आप के पास जितनी भी टाफ़ियां बची हों, हर सप्ताह उनमें से आधी खा लेना, बस ।
बिनाल: क्या तू कह रही है कि ईशू आधी टाफ़ी की मात्रा इस सप्ताह में खा ले और बाकी में से आधी अगले सप्ताह । चतुर योजना है, शायद चल जाए ।
ईशू ने सारी टाफ़ियों का भार निकाला, हां पहले से बची हुई 1 ग्राम को मिला कर – कुल भार 1024 ग्राम था । सैरा से पूछा: मैं आज कितनी टाफ़ी खाऊं ।
सैरा: देखिए 1024 का आधा 512 होता है । आपने यह मात्रा पहले सप्ताह में खानी है ।
ईशू: तो क्या मैं आज 512 ग्राम टाफ़ी खा लूं ?
सैरा अपनी हंसी को नहीं रोक सकी: मुझे पता है कि आपका स्वाभिमान तो यह नहीं करने देगा । यह मात्रा पहले सप्ताह के लिए है, पहले दिन के लिए नहीं । मैं आप को इस योजना के अनुसार अगले 7 दिन के लिए, प्रतिदिन खाने की मात्रा लिख देती हूं । उसके बाद फिर सात दिन की मात्रा लिख दूंगी ।
सैरा ने दिन संख्या 1 से 7 को खाने की मात्रा लिख दी, यह थी: 97, 87, 79, 72, 65 , 59 और 53 ग्राम ।
ईशू: मैं तो तेरी जीनियसे से प्रभावित हो गई हूं, इस लिए मुझे अब समझ में आया कि क्यों तुझे सब लड़के और लड़कियां इतना पसंद करते हैं
बिनाल: अगले महीने हम फ़ैशन शो कर रहे हैं । जानी को ले कर जरूर आना । मैं तुझे निमंत्रण पत्र भिजवा दूंगी ।
सैरा: धन्यवाद, जानी और मैं आप का शो देखने ज़रूर आएंगे, खुशी से ।
सारा समय जानी चुपचाप देखता रहा कि सैरा कैसे ईशू कि सहायता कर रही थी । स्कूल के बाद दोनो जानी के घर गए और कुछ जलपान किया ।
जानी: मैने देखा कि आज तूने घातांक के एक नए अनुप्रयोग का आविश्कार कर दिया ।
सैरा की हंसी छूट गई पर फिर बाद में बोली: जानी, याद है उस दिन हम ने एक से ऊपर आधार वाले घातांक की बात की थी । वह बढ़ता हुआ अपसारी घातांक था । मैने ईशू को कहा था कि वह किसी भी दिन बची हुई टाफ़ी की आधी मात्रा खा सकती है । इस लिए आधार आधा यानी 0.5 था जो 1 से कम है । यह घटता हुआ अभिसारी घातांक है जो असंख्य घात के बाद शून्य बन जाता है ।
जानी: हां, ऐसे घातांक फलन का निरूपण होता है:
f(t) = Cआरंभिक x am = Cआरंभिक x (1/2)( दिन संख्या)
सैरा: तुझे याद है कि 1/2 को 2-1 भी लिखा जा सकता है, इस लिए
f(t) = Cआरंभिक x am = Cआरंभिक x (1/2)( दिन संख्या) को Cआरंभिक x 2(- दिन संख्या) भी लिख सकते हैं ।
जानी: हां, तो इस फलन का अविशेषक निरूपण है
f(t) = Cआरंभिक x 2(-समय/(आधे जीवने का समय))
सैरा: याद है योजना 1 में मैने टाफ़ी के आधे जीवन के समय को 1 दिन रखा था । फिर वैलेंटाइन डे के बाद जब बहुत सारी टाफ़ी आ गई तो योजना 1 मैने इस समय को एक सप्ताह कर दिया था । क्यों कि एक सप्ताह में 7 दिन होते हैं, मैने उसके अनुसार भी लिख दिया था ताकि मैं उसकी प्रतिदिन टाफ़ी खाने की मात्रा का गणन कर सकूं
f(t) = Cआरंभिक x 2(-सप्ताह /आधे जीवने का समय सप्ताह में )
f(t) = Cआरंभिक x 2(-सप्ताह संख्या) = Cinitial x 2(-7 x दिन संख्या).
जानी: हां योजना 2 का रेखा चित्र ऊपर से शुरू होता है पर धीरे धीरे नीचे जाता है । तो जब तू अगले सप्ताहों के लिए कितनी टाफ़ी खाने के लिए बताएगी तो लगभग पूर्णांक ग्राम में बताएगी न ? यही उचित होगा ।
जानी बहुत प्रभावित था सैरा के सामर्थ्य से, खड़े खड़े ही घातांक का एक अनुप्रयोग निकाल लिया । पर उसने इस चुटकले से अंत किया: घातांक पहाड़ों की तरह होते हैं – आधार एक से ऊपर हो तो चढ़ाई चढ़ लो और आधार एक से कम होने पर नीचे ढलो ।
चुनौती
बप्पी, एक दसवीं क्लास का विद्यार्थी, स्कूल के कैफ़िटेरिया में मस्ती से मित्रों के साथ बैठा कुछ जलपान का आनंद ले रहा था । साथ में बैठी मित्र गुर्मीत ने बताया कि आगामी रविवार को वह कैंसर फ़ाउंडेशन के लिए 5 किलोमीटर की दौड़ लगाएगी ।
बप्पी: शायद मुझे भी इस दौड़ में भाग लेना चाहिए ।
सब खिलखिला कर हंसे क्योंकि किसी को विश्वास नहीं था की बप्पी दस मीटर भी दौड़ पाएगा ।
गुर्दीप: कितने समय में?
बप्पी: तुझे कितना समय लगता है?
गुर्दीप: 22 मिनट, पर मैं तो कई सालों से अभ्यास कर रही हूं ।
बप्पी: मैं अगले साल भाग लूंगा और दावा करता हूं कि तेरे इस 22 मिनट से कम समय में 5 किलोमीटर की दौड़ पूरी कर दूंगा ।
बप्पी ने दावा तो कर दिया था पर जब वह पहले दिन गया तो बहुत मुश्किल से वह 5 किलोमीटर चला जिसमें उसके 60 मिनट लग गए । पर उसने ठान लिया कि वह सप्ताह में तीन दिन अभ्यास करेगा और अंत में तेज़ी से दौड़ेगा ताकि वह हर सप्ताह उससे पिछले सप्ताह से 2% कम समय में भागे । यदि बप्पी डट कर अभ्यास करके यह शर्त पूरी करता रहता है, तो क्या वह अपना वादा पूरा कर सकेगा ?
उत्तर: क्यों कि वह हर सप्ताह पिछले सप्ताह से 2% कम समय लेगा, उसका समय हर पिछले सप्ताह से 0.98 गुणा होगा । तो यह एक अभिसारी घातांक का उदाहरण है
f(t) = Cआरंभिक x am
यहां है 60 मिनट, आधार है 0.98 और घात 52 सप्ताह है ।
इसलिए एक साल यानी 52 सप्ताह में उसकी दौड़ का समय होगा
60 x 0.9852 = 20.985 मिनट
अरे बप्पी, डटे रहो और गुर्दीप को 238 मीटर से भी अधिक पिछाड़ दोगे ।