जादुई दरी
सैरा को सोने से पहले नैना अक्सर लोरी सुनाती थी और या फिर कोई कहानी । सैरा 13-14 वर्ष की आयु में भी कभी कभी सोने से पहले कहानी की मांग करती थी । इस रात नैना शहर से बाहर गई हुई थी । जब सैरा को नींद नहीं आई, तो वह कहानी की मांग करने अपनी मां जी के पास गई । सैरा ने मां जी को कोई नई कहानी सुनाने को कहा । मां जी ने अंत में हार मान ली । अब आगे देखो क्या हुआ ।
मां जी: यह भारत की एक पुरातन कहानी है । मुझे पता नहीं कि यह सच है कि नहीं । जब मैं स्कूल में थी मैने इसे एक रिसाले में पढ़ा था ।
सैरा: अब शुरू भी करो, सच नहीं तो क्या हुआ ।
मां जी: भारत में एक समय एक राजा था जिसे अनन्य भेंट बहुत पसंद आती थी । एक दिन एक व्यक्ति ने राजा को एक विचित्र डिज़ाइन की दरी दी । मुझे वह डिज़ाइन बड़ा अच्छा लगा था । इस लिए मैने रिसाले में से इसको फ़ोटोकापी कर लिया था । जब तूने कहानी सुनने की बात की तब मैं इसे अपने कमरे में से लाई हूं, देख (चित्र 1) ।
सैरा: मां जी यह तो कोई बारकोड का चित्र लगता है ।
मां जी: शायद, पर बारकोड तो कुछ ही वर्ष पहले शुरू हुए हैं । इस मनुष्य ने दशमलव अनुसार क्रम स्थान की धारणा का प्रयोग किया था । अपनी बुद्धिमानी और एक कुशल जुलाहे की सहायता से इस दरी का आविष्कार किया था । इसमें संख्याएं ऐसे लिखी गई थी कि संख्या 1 और 10 के बीच की दूरी उतनी ही थी जितनी कि 10 और 100 के बीच या 100 और 1000 के बीच । पर राजा की जानकारी में तो वह पुरानी धारणा थी कि 1 और बीच की दूरी उतनी होनी चाहिए जितनी की 2 और 3 के बीच या 3 और 4 के बीच । इस धारणा के अनुसार तो 10 और 100 के बीच की दूरी तो 1 और 10 के बीच की दूरी से बहुत अधिक होगी । आविष्कार करने वाले ने समझाने का प्रयत्न किया कि यह दरी संख्याओं की एक नई धारणा आरंभ कर दी । राजा ने कहा कि यह धारणा एक आम आदमी के दिमाग में घपला पैदा कर देगी । राजा ने इस तरह इस आविष्कार को नज़रअंदाज़ कर दिया, और फिर भी अपनी उदारता दिखाने को उस आदमी को एक भेंट दे दी । बस यह बात यहीं खतम हो गई ।
सोलहवीं सदी में, स्काटलैंड के गणितग्य जान नैपियर्स ने इस संख्या स्थान की विधि का फिर से आविश्कार किया । उसने इसे logarithmic (लघुगणकीय) scale कहा था ।
सैरा: कहानी के लिए धन्यवाद पर क्या हम अपने जीवने में दशमलव संख्याओं का प्रयोग नहीं करते जैसे मिलीमीटर, सैंटीमीटर, मीटर, किलोमीटर इत्यादि ।
यह कह कर सैरा सो गई ।
अगले दिन उसने जानी को यह कहानी सुनाई ।
जानी: तेरी मां जी भी अच्छी कहानी सुनाती हैं – तेरी नैना की बेटी जो हुई ।
सैरा: वह मेरी नैना की बेटी नहीं हैं । वह उनकी बहू हैं, बेटे की पत्नी । छोड़ इस बात को । तूने कहा था कि तेरे दिमाग में कुछ घपला था । क्या बात है ?
जानी का घपला
जानी: याद है, नैना की अंकल शाह वाली कहानी । अंकल शाह की नैना को भेट की रकम यह घातांक फलन था: f(t) = Cआरंभिक x 2t । उन्होंने पहले साल एक डालर दिया था फिर हर साल पिछले से दुगने देते रहे थे । यह रसम नैना के 14 वर्ष की आयु तक चली । मैने पहले तो सारे सालों की रकम की तालिका बनाई । फिर में डालर और वर्षों का रेखा चित्र बनाना चाहता था ।
मैने एक साधारण ग्राफ़ पेपर पर क्षैतिज अक्ष (horizontal axis) वर्ष संख्या में समय और लंब अक्ष (vertical axis) पर भेट के डालर लिखे । चित्र 2 में मैने समय 1 से 1४ वर्ष तक और डालर 0 से 20000 तक लिखे । ऐसा करने पर मैं केवल 9 से 14 वर्ष की भेंट का चित्र बना पाया क्योंकि इससे पहले वर्षों की डालर संख्याएं यहां दिखाने के लिए बड़ी छोटी थी । फिर मैने चित्र 3 बनाया । इसमें लंब अक्ष केवल 20 तक ही था । इस लिए मैं केवल 5 वर्ष तक की भेंट का चित्र बना सका । मेरा तो दिमाग ही खराब होने लगा कि मैं सारे वर्षों का इकट्ठा क्यों नहीं बना सका ।
मां जी का जुगाड़
सैरा: जानी, सबसे बढ़िया बात तो यह है कि मुझे मां जी ने कहानी सुनाने के बाद एक जादुई ग्राफ़ पेपर दिया था । यह तेरी समस्या का हल है । तेरे वाले ग्राफ़ पेपर में क्षैतिज और लंब अक्ष दोनो रेखीय (linear) हैं । उदाहरण के तौर पर तेरे ग्राफ़ पेपर में 1000 और 10000 के बीच की दूरी है 1 और 10 के बीच की दूरी से लगभग 1000 गुणा । जादुई ग्राफ़ पेपर के लंब अक्ष में 1 और 10 के बीच की दूरी और 1000 से 10000 के बीच की दूरी एक समान हैं । हर दशक के बीच की दूरी समान है । मां जी ने इसे semilogarithmic (semilog) पेपर कहा था, semi इस लिए कि क्षैतिज अक्ष रेखीय है तेरे ग्राफ़ पेपर की तरह । इसके क्षैतिज अक्ष पर मैने 0 से 14 वर्ष लिखे हैं और लंब अक्ष पर 1 से 100000 डालर । इस जादुई पेपर में मैने तेरी तालिका वाली संख्याओं से हाथ से बिंदु लगा कर रेखा चित्र 4 बनाया था । हाथ से बिंदु थोड़े इधर उधर लग गए थे । फिर चित्र 5 में एक कंप्यूटर प्रोग्राम के साथ वही रेखा चित्र बनाया था ।
जानी: तेरी मां जी ने तो अच्छा जुगाड बना दिया । धन्यवाद सैरा की मां जी (हंसते हुए) । पर मुझे एक बात समझ नहीं आ रही । इसके लंब अक्ष के scale में एक और दो के बीच की दूरी का कैसे गुणन किया गया ।
सैरा: हमें विचार करना पड़ेगा कि इस लंब scale पर सब रेखाओं का निर्णय कैसे हो सकता है । बाद में करेंगे, मुझे कुछ अनुमान है ।
जानी: पहली बात तो तेरे चित्रों में तो यह संख्याएं एक सीधी रेखा पर आ रही हैं । दूसरी बात, यह तीसरा रेखा चित्र क्या है ?
सैरा: क्योंकि घातांक फलन की संख्याएं यहां logarithm (log) वाले scale पर हैं, हर दुगनी संख्या के बीच की दूरी समान है । हां, क्यों कि यह एक अपसारी घातांक था, यह रेखा चित्र समय के साथ ऊपर जा रहा है । चित्र 3 है पिछली कहानी की योजना 1 का । यह एक अभिसारी घातांक था । इस लिए समय के साथ यह रेखा नीचे गई ।
जानी: तो semilog पेपर पर अपसारी घातांक का स्लोप पोज़िटिव होता है और अभिसारी घातांक का नैगेटिव, यह तो मजा आ गया । पर अभी भी मेरे दिमाग में घूम रहा है कि उन्होंने 2,3,4 इत्यादि की रेखाओं की स्थिति का निर्णय कैसे किया ।
सैरा: पढ़ना पड़ेगा । हमारी पुस्तक में log के विषय पर एक अध्याय है । फिर कभी बात चीत करेंगे ।
चुनौती – बप्पी का रेखा चित्र
बप्पी, एक दसवीं क्लास का विद्यार्थी, स्कूल के कैफ़िटेरिया में मस्ती से मित्रों के साथ बैठा कुछ जलपान का आनंद ले रहा था । साथ में बैठी मित्र गुर्मीत ने बताया कि आगामी रविवार को वह कैंसर फ़ाउंडेशन के लिए 5 किलोमीटर की दौड़ लगाएगी ।
बप्पी: शायद मुझे भी इस दौड़ में भाग लेना चाहिए ।
सब खिलखिला कर हंसे क्योंकि किसी को विश्वास नहीं था की बप्पी दस मीटर भी दौड़ पाएगा ।
गुर्दीप: कितने समय में?
बप्पी: तुझे कितना समय लगता है?
गुर्दीप: 22 मिनट, पर मैं तो कई सालों से अभ्यास कर रही हूं ।
बप्पी: मैं अगले साल भाग लूंगा और दावा करता हूं कि तेरे इस 22 मिनट से कम समय में 5 किलोमीटर की दौड़ पूरी कर दूंगा ।
बप्पी ने दावा तो कर दिया था पर जब वह पहले दिन गया तो बहुत मुश्किल से वह 5 किलोमीटर चला जिसमें उसके 60 मिनट लग गए । पर उसने ठान लिया कि वह सप्ताह में तीन दिन अभ्यास करेगा और अंत में तेज़ी से दौड़ेगा ताकि वह हर सप्ताह उससे पिछले सप्ताह से 2% कम समय में भागे । यदि बप्पी डट कर अभ्यास करके यह शर्त पूरी करता रहता है, तो क्या वह अपना वादा पूरा कर सकेगा ?
क्यों कि वह हर सप्ताह पिछले सप्ताह से 2% कम समय लेगा, उसका समय हर पिछले सप्ताह से 0.98 गुणा होगा । तो यह एक अभिसारी घातांक का उदाहरण है
f(t) = Cआरंभिक x am
यहां है 60 मिनट, आधार है 0.98 और घात 52 सप्ताह है ।
इसलिए एक साल यानी 52 सप्ताह में उसकी दौड़ का समय होगा
60 x 0.9852 = 20.985 मिनट
बप्पी ने यह कहानी अपने गणित के अध्यापक को बताई । अध्यापक खुश तो हुआ पर अंत में उसने कहा: एक चित्र हज़ार शब्दों के समान होता है । इस बात को एक रेखा चित्र के रूप में बताओ । और हां, semilog ग्राफ़ पेपर पर ।
उत्तर: बप्पी ने एक semilog ग्राफ़ पेपर लिया । क्षैतिज रेखीय पैमाने पर अभ्यास अवधि समय को सप्ताहों में लिखा, लंब log scale पर दौड़ का समय मिनटों में लिखा और रेखा चित्र बनाया । देखो, रेखा चित्र का स्लोप नैगेटिव है क्यों की घातांक का आधार (0.98 ) एक से कम था । चित्र यह भी दिखाता है कि उसने गुर्मीत को पिछाड़ दिया था ।