घातांक का प्रतिलोमी फलन log
जानी: तो semilog पेपर पर अपसारी घातांक का स्लोप पोज़िटिव होता है और अभिसारी घातांक का नैगेटिव, यह तो मजा आ गया । पर अभी भी मेरे दिमाग में घूम रहा है कि उन्होंने 2,3,4 इत्यादि की रेखाओं की स्थिति का निर्णय कैसे किया ।
सैरा: पढ़ना पड़ेगा । हमारी पुस्तक में logarithms के विषय पर एक अध्याय है । फिर कभी बात चीत करेंगे ।
इसके बाद जानी घर चला गया, खुश था सैरा की मां जी का जादुई ग्राफ़ देखकर जिससे उसे सहायता मिली थी । अपने घर पर उसने बीजगणित की पुस्तक पर थोड़ी से नज़र मारी और फिर दूसरे कामों मे व्यस्त हो गया । अगली सुबह जानी और सैरा स्कूल की ओर चल रहे थे जब जानी ने फिर कल वाली बात का चर्चा किया । सैरा ने कहा कि बाद मे बात करेंगे । स्कूल के बाद इकट्ठे घर आ रहे थे जब सैरा को कुछ समय के लिए अपने घर आने के लिए कहा । सैरा एक दम मान गई क्यों कि वह तो अपने बायफ़्रैंड के साथ गप शप लगाना बहुत पसंद करती थी । दोनो उसके घर गए और वहां इधर उधर की हांकते हुए जलपान किया ।
सैरा ने अपनी घड़ी को देख कर कहा: मुझे एक घंटे के बाद घर जाना है क्योंकि हमारा परिवार खाने के लिए बाहर जा रहा है । तो अच्छा होगा यदि हम कल रात वाला वार्तालाप अभी शुरू कर दें ।
जानी: मैने बीजगणित की पुस्तक देखी थी । कुछ समझ नहीं आ रहा था तो मै कोई दूसरे काम में लग गया ।
सैरा: कोई बात नहीं, पर मैं देखना चाहती हूं कि तुझे माध्यमिक स्कूल से क्या याद है ?
जानी: हां पूछ । उन दिनो भी मैं गणित अच्छी तरह नहीं समझ पाता था ।
सैरा: योग की प्रतिलोमी (inverse) क्या होता है ?
जानी: इतना बुरा भी नहीं था मैं । योग करने की प्रतिलोमी संक्रिया (inverse operation) होती है घटाना, गुणा की भाग और वर्ग का प्रतिलोमी होता है वर्गमूल । इन सब का घातांक से क्या संबंध है ?
सैरा: घातांक फलन का होता है log फलन । हम या लिख सकते हैं y = 10m और या m = log10 y । दोनो का एक ही अर्थ है ।
जानी: तूने log की जगह log10 क्यों लिखा ?
सैरा: क्योंकि हम दशमलव संख्याओं का प्रयोग करते हैं, इस लिए आसान रहता है कि हम संख्याओं को 10n समझें, बजाय किसी और आधार की घात । इसलिए, आम तौर पर 10 के आधार के log का प्रयोग होता है । इसे log10 या केवल log भी लिख सकते हैं । अब से मैं log लिखूंगी पर असल में यह log10 होगा ।
घातांक के नियम log में कैसे लागू होते हैं
जानी: घातांक के नियम log में कैसे लागू होते हैं ?
सैरा: 100 = 102, इस लिए log 100 = 2 हो गया ।
जानी: तेरा मतलब है log 1000 = 3, और क्योंकि 100 x 1000 = 105 इस लिए, log 105 = 5 हो गया । घातांक के नियमों से हम जानते हैं कि 10m x 10n = 10m+n । अब log 10m = m और log 10n = n, इस लिए log (10m x 10n) = m + n हो गया । अरे यह तो बहुत सरल है, पता नहीं पुस्तक से क्यों नहीं समझ आया ?
सैरा: तूने अभी 10 के आधार का घातांक लिखा था, किसी आधार का घातांक बना सकता था, तब am x an = am+n । इस लिए log (am x an) = log am+n or log (am x an) = log am + log an । और हां, log am = mlog a ।
जानी: हम यह भी तो लिख सकते हैं: log (j x k) = log j + log k ।
सैरा: कई संख्याओं के लिए ऐसे भी लिख सकते हैं log (j x k x l,,,,) = log j + log k + log l……,
। अरे यह रहा बोनस log (j/k) = log j – log k ।
जानी: क्या इसका मतलब है कि हम बड़ी संख्याओं को गुणा करने की जगह उनके log का योग कर सकते हैं और भाग की बजाए log की घटान ?
सैरा: मेरी मां जी ने बताया था कि जब वह स्कूल में थी तो उन्हें परीक्षा में कैल्कुलेटर का प्रयोग मना था । पर उन्हें एक log table दिए जाते थे ताकि वह कठिन गुणा या भाग कर सकें ।
जानी: हमने घातांक (am)n की बात नहीं कि पर मुझे लगता है कि n log (am) उचित होगा ।
सैरा: उचित है, अब मुझे पता लगा कि तुझे log के अध्याय में से क्यों कुछ समझ नहीं आया । जीनियस, शायद तूने इस अघ्याय को पढ़ा ही नहीं था ।
जानी: हमें एक काम और भी करना है । हमें पता लगाना है कि 1 और 10 के बीच की संख्याओं की log संख्या कैसे निकाली जा सकती है । तूने कहा ता कि तुझे कुछ अनुमान है ।
2, 3, 4, 5, 6 के log निकालने का प्रयत्न
सैरा: मुझे नहीं पता की जान नैपियर्स और दूसरे गणतज्ञों ने यह काम कैसे किया, उन्हें सुविज्ञ विधियां आती होंगी । पर चल, हम 2, 3, 4, 5, 6 के log निकालने का प्रयत्न करें ।
जानी: पर कैसे ?
सैरा: याद है, जब हम घातांक की बाद कर रहे थे, तो हमने यह किया था: 2 x 2 x 2 x 2 x 2 = 32 और 32 x 32 =1024 जो लगभग 1000 हो जाएगा ।
जानी: समझ गया, 210 ≈ 1000, इस लिए log (210) = log (1000) or 10 log 2 ≈ 3 या log 2 =3/10 ≈ 0.3 । वाह भाई वाह, तो इस तरह पता लगा कि दो की रेखा log पेपर पर कहां होनी चाहिए ।
सैरा: जीनियस, तूने उचित उत्तर निकाला है । मैने अभी कैल्कुलेटर से जांचा है और log 2 = 0.3010 ।
जानी: अब log 3 के लिए, मैं लिख सकता हूं कि log (32) = log 25 या 5 log 2 या
log (32) = 5 x 0.3010 = 1.505, और इस तरह log 3.2 = 1.505 -1 = 0.505 । इसका मतलब है कि log 3 थोड़ा सा कम होगा 0.505 से थोड़ा सा कम होगा । कैल्कुलेटर क्या कहता है ?
सैरा: कैल्कुलेटर कहता है कि log 3 = 0.4771 । तो तेरा उत्तर कुछ हद तक ठीक था । चार के लिए तो सरल है: 4 = 22, तो log 4 = 2 log 2 = 0.6020 । अब लोग log 5 कैसे निकालेंगे?
जानी: मैं इतना बुद्धू नहीं हूं । मुझे, के. जी. में दिखाया गया था कि, 5 x 2 =10, इसलिए मैं ऐसे करूंगा log 5 + log 2 = log 10 = 1 या log 5 = 1 – 0.3010 or 0.6990, बस ।
सैरा: तो सरल है क्यों कि 6 = 3 x 2, इस लिए log 6 = log 3 + log 2 हो गया । आठ और नौ भी आसान हैं क्यों कि log 8 = 3 x log 2 और log 9 = 2 x log 3 । क्यों कि 8 x 9 = 72 या लगभग 70, या 8 x 9/10 = 7.2 या लगभग 7, इसलिए log 7 = (log 8 + log 9 – log 10) । देख, हमने 2 से 6 तक कहे थे पर 7, 8, 9 के log भी आसान निकले ।
जानी: मैं खुश हूं कि हम इतनी आसानी से इन संख्याओं की log संख्या सरलता से कर पाए । पूरे जीवन के अनुभव वाले गणितज्ञों के पास तो इन्हें अच्छी तरह करने की कई विधियां होंगी ।
सैरा: तो बात खतम हो गई क्या ?
जानी: मेरी एक नई उलझन है । log स्केल पर शून्य की लाइन कहां होगी ?
सैरा: इस उलझन का हल तो है । देख log 10 = 1, log 1/10 = -1, log 1/100 = -2 इत्यादी । अब log 0 = log (1/10)infinity = minus असंख्य । तो log (0) की रेखा दिखाने के लिए तुम्हें असंख्य लंबाई के log पेपर की आवश्यकता होगी ।
जानी: हमने अब तक केवल आधार 10 के log के बारे में बात की है । यदि आधार कोई ओर हो तो क्या कर सकते हैं ?
सैरा: मैं आधार 2 के log का उदाहण पहले बताती हूं । क्योंकि 21 = 2 इसलिए log की परिभाषा के अनुसार log2 2 = 1 है । तूने log10 2= 0.3010 अभी निकाला था । तो log10 m = 0.3010 log2 m, किसी संख्या m के लिए हम लिख सकते हैं
सामान्य रूप से किसी भी आधार n के लिए logn m = lognm x log10 n भी ठीक है ।
जानी: पुस्तक में एक शब्द था natural logarithm, इस नाम का क्या अर्थ है ? क्या बाकी सब बनावटी हैं और यह प्राक्रितिक ?
सैरा: जब आधार e नियतांक हो तो वह natural log (ln या loge) कहलाता है । मुझे नहीं पता कि यह नाम क्यों दिया जाता है पर यूलर के नियतांक (Euler’s constant) को e कहते हैं जो लगभग 2.7 होता है । मैने मां जी से पूछा था इस नियतांक के बारे में तो उन्होंने कहा था कि हम इसे द्विपद (binomials) के साथ सीखेंगे ।
जानी: तेरा घंटा तो हो गया, सैरा । अब जा और परिवार के साथ बाहर खाने का मजा ले ।
सैरा ने घड़ी देखी और कहा: हां अभी, नहीं गई तो देर हो जाएगी । घर में सब मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगे ।
यह कह कर सैरा अपने घर चली गई । कई दिनों बास जब स्कूल में इस विषय के बारे में पढ़ा तो जानी का काम आसान हो गया, खास तौर पर होमवर्क और परीक्षा के समय ।
चुनौती – अकबर और बीरबल
अकबर के दरबार में बीरबार सबसे चालाक मनुष्य था । एक दिन अकबर बीरबल पर बहुत खुश और दयालू हो गया ।
अकबर: बीरबल, आज तुम मुझ से कुछ भी मांग लो, मैं दे दूंगा ।
बीरबल: महाराज, आपकी कृपा होगी यदि मुझे थोड़े से चावल दे दें ।
अकबर: कितनी बोरियां
बीरबल: यह शतरंज का बोर्ड है इसमें 64 खाने हैं । पहले खाने में चावल का एक दाना रख दें, दूसरे में दो, बस इस तरह हर खाने में पिछले खाने से दुगने चावल के दाने रख दें । बस यही मेरी इच्छा है ।
अकबर: इतना तुच्छ पुरस्कार मांग कर, क्यों मुझे निरादर कर रहे हो जब तुम जानते हो कि मैं एक सम्राट हूं ?
बीरबल: महाराज, यह सेवक लालच में नहीं पड़ना चाहता । बस यह पुरस्कार मेरे लिए बहुत है ।
अरे बीरबल, यह क्या कर दिया ? राजा से कितने करोड़ों किलो चावल मांग लिए ?
उत्तर:
पहले खाने में चावल के दाने = 1 = 20
दूसरे खाने में चावल के दाने = 2 = 21
तीसरे खाने में चावल के दाने= 4 = 22
74 वें खाने में चावल के दाने= 263
log 263 = 63 log 2 = 63 x 0.3010 = 18.963
इस लिए 64 वें खाने में चावल के दाने = 1018.963 = 9.183326 x 1018
1 किलो में चावल के दाने = 35000 (इन्टरनैट से)
इस लिए 64 वें खाने में चावल के दाने का भार = 9.183326 x 1018 /35000 = 2.62 x 1014 किलो = 262,000,000,000,000 किलो ।
इतने चावल तो संसार में भी नहीं हैं । चालाक बीरबल ने फिर से राजा को शर्मिंदा कर दिया ।