(कहानी के अंत में अस्वीकरण पढ़ें)
भाग 1. अर्जुन की मान मर्यादा
अर्जुन, क्लास 11 का एक विद्यार्थी, स्कूल के कैफ़िटेरिया में अकेले बैठा हुआ था । उसका चेहरा देख कर कोई भी कह सकता था कि वह शायद गुस्से में या उदास था – हो सकता है दोनो । जब उसकी गर्लफ़्रैंड दीपिका ने उसे परेशान देखा, तो वह उसके साथ बैठ गई और उससे बातें करने लगी । दीपिका को पता था कि अर्जुन मैडम बैनर्जी की क्लास के कांड से खफ़ा था । दीपिका को यह भी पता था कि अर्जुन के घर वाले कितने सख्त थे ।
मैडम बैनर्जी गणित की एक अच्छी अध्यापिका थी जो दो सालों में रिटायर होने वाली थी । वह अनुशास्ता स्वभाव की थी । जो छात्र उनका, या किसी भी अध्यापक का निरादर करते थे, वह उनसे घृणा करती थी । जब मैडम क्लास में पढ़ा रही थी, कई विद्यार्थी हैडफ़ोन कानों में लगा कर मोबाइल इस्तेमाल कर रहे थे । मैडम ने उन्हें रूक्षता से डांटा, हैडफ़ोन को कानो से निकालने को कहा और धमकी दी कि अगर वह किसी विद्यार्थी को क्लास में मोबाइल इस्तेमाल करते देख लेंगी, उसे सीधा प्रिंसिपल साहिब के कार्यालय में भेज देंगी – सजा के लिए । फिर एक भाषण भी दिया कि लंबे काल के लिए मोबाइल के प्रयोग का उनकी समझशक्ति पर असर पड़ सकता है और हो सकता है कि उन्हें परीक्षा में भी कम सफ़लता मिले । मैडम जी तो पूरी क्लास के साथ बात कर रही थी, पर जाने क्यों, अर्जुन ने सोचा कि वह केवल उसी को डांट रही थी ।
दीपिका: अर्जुन, क्या तू अभी भी मैडम बैनर्जी की क्लास के बारे में सोच रहा है ।
अर्जुन: क्यों किया मैडम जी ने ऐसा ? उन्होंने डांटने के लिए मुझे ही क्यों चुना ?
दीपिका: अर्जुन, इतना भावुक न हो । वह तो सब को डांट रही थी । तू इसे निजी तौर पर मत ले ।
अर्जुन: नहीं मैडम जी मुझे अकेले को डांटा था । मुझे लगता था कि मुझे प्रिंसिपल के कार्यालय में भेजेंगी । यदि मेरे माता पिता को पता लग गया तो वह मेरे स्वाधिकार वापिस ले लेंगे ।
दीपिका: तो उन्हें आज की बात मत बताना ।
और भी कई छात्र इन दोनो के पास आकर खड़े हो गए थे । एक तमाशाई छात्र ने कहा: अर्जुन, तो आज मैडम जी तेरे पर बरस पड़ी थी ना ।
दीपिका: चल भाग यहां से । स्कूल में तेरा मान तो कोई नहीं करता । जा, अपने काम से काम रख ।
जानी: सॉरी अर्जुन, हम सब वहां चुप बैठे रहे जब मैडम बैनर्जी इतना कुछ बोल गई बिना किसी प्रमाण के । हमें सबूल मांगना चाहिए था पर नहीं हम तो डर से बैठे रहे जैसे एक हिरण भेड़िए से डरता है ।
दीपिका: जानी सही है, हमें उन्हें चुनौती देनी चाहिए थी ।
अर्जून: मैडम जी इतने गुस्से में थी । यदि मै ज़रा भी दिखाता कि मुझे उनकी बातों में कोई शक है तो वह मुझे सीधे प्रिंसिपल साहिब के पास भेज देती (सिसकते हुए गुस्से के मारे असंगित) ।
दीपिका: तो क्या तू अब सारी उमर आलाप करेगा ? मेरे माता पिता ने तो सिखाया है कि अपनी मान मर्यादा वापिस लाने के लिए जो भी अपने वश में हो, करो ।
अर्जुन: क्या मतलब है इसका, जो भी तुम्हारे वश में हो ? क्या है मेरे वश में ?
एक योजना
जानी: अर्जुन, मेरी एक योजना है । पता नहीं तू उसके लिए तैयार भी है या नहीं ।
अर्जुन: तू और तेरी योजनाएं । मुझे नहीं भाती (फिर रुक गया) । अब तू क्या चाहता है ?
जानी: हम मैडम बैनर्जी को चुनौती दे सकते हैं, बिना उनके कहने पर सवाल उठाए । हम कह सकते हैं कि हम पढ़ाई पर मोबाइल फ़ोने के इस्तेमाल का परीक्षण करना चाहते हैं ।
अर्जुन: लगता है कि तेरी योजना चल सकती है, पर हमें क्या करना होगा ?
जानी: हम मैडम बैनर्जी से कह सकते हैं कि हम साइंस फ़ेयर में भाग लेना चाहते हैं और हमें उनसे निदेशन की आवश्यकता है । हमारा विषय है, “मोबाइल प्रयोग और शैक्षिक कार्य-निष्पादन में संबंध” ।
अर्जुन: कैसे करेंगे हम इस प्रॉजेक्ट को ?
जानी: क्लास में तेरे कई मित्र हैं जैसे मैं और दीपिका । हम मिलकर एक सर्वेक्षण कर सकते हैं ।
अर्जुन अब तक थोड़ा शांत हो गया था और अपने मोबाइल फ़ोन से खेल रहा था । अचानक उसके दिमाग में एक “युरेका” (मैने पा लिया) वाला पल आया और वह जोश-खरोश से बोला: मैं अपनी चाह पर मेरा फ़ोन इतिहास पा सकता हूं और इससे पता कर सकता हूं कि मैने कोई भी दो नियनित दिनों के बीच कितने समय के लिए फ़ोन का प्रयोग किया था ।
जानी: बढ़िया, कोई भी अपने स्मार्ट फ़ोन से पता लगा सकता है कि पिछली परीक्षा के माह में उन्होंने कितने समय के लिए उसे इस्तेमाल किया था । हर विद्यार्थी को यह भी पता होगा कि उसके कुल कितने प्रतिशत नंबर आए थे ।
दीपिका: सर्वेक्षण करने का काम हम तीनो बांट सकते हैं । क्लास 11 में मेरे कई मित्र हैं, तुम दोनो के भी होंगे ।
अर्जुन: रुक जाओ । पहले मुझे मैडम बैनर्जी से बात कर लेने दो । नहीं तो वह समझेंगी कि हम उनकी पीठ पीछे कोई साज़िश कर रहे हैं ।
अर्जुन मैडम बैनर्जी के पास गया और बोला: मैडम जी, आज जो कुछ भी क्लास में हुआ, मैं उसके लिए क्षमा मांगता हूं । दीपिका, जानी और मैं आपको देखा देंगे कि हम शिक्षा को गंभीरता से लेते हैं, हम तीनो अगले साइंस फ़ेयर में भाग लेंगे ।
मैडम बैनर्जी: साइंस फ़ेयर में भाग से पहले स्कूल में एक प्रदर्शन करना होगा, नहीं तो स्कूल तुम्हें वहां नहीं भेजेगा । यह प्रदर्शन तो एक सप्ताह में है । कैसे करोगे सब कुछ ? क्या विज्ञान के अध्यापकों से बात की है ? मुझे नहीं पता कि इस में मैं कैसे तुम्हारी सहायता कर सकती हूं ।
अर्जुन: हमारे प्रॉजेक्ट का शीर्षक है, “मोबाइल प्रयोग और शैक्षिक कार्य-निष्पादन में संबंध” । हम क्लास 11 के छात्रों की सर्वेक्षण करेंगे । हम मिलकर यह काम बहुत शीघ्र ही कर सकते हैं । हमारी अगली समस्या होगी डेटा का विश्लेषण । हम सोच रहे थे कि यह तो गणित का काम होगा, और इस लिए मैं आपसे सहायता का आवेदन करने आया था । यदि आप दिशा दिखा सकें तो ।
मैडम बैनर्जी की भावना तो मिश्रित थी पर इस विषय की अध्यापिका होने के नाते वह गाणित समझाने में मना नहीं कर सकी और हां कह दी ।
भाग 2. मोबाइल प्रयोग और शैक्षिक कार्य-निष्पादन: सर्वेक्षण
अर्जुन वापिस आया दीपिका और जानी के पास । जांच करने पर पता लगा कि तीनो के बीच वह क्लास 11 के सभी विद्यार्थियों को जानते थे । तीनो ने चुन लिया कि कौन किस किस से बात करेगा । सब लोगों को बताया गया कि यह एक अनाधिकारी सर्वेक्षण था ताकि अर्जुन साइंस फ़ेयर में भाग ले सके और इसका स्कूल अथवा स्कूल के अधिकारियों से कोई लेना देना नहीं था । किसी का नाम या और कोई और पहचान किसी को नहीं बताया जाएगा । उन्हें यह भी बताया गया कि वह पिछली परीक्षा वाले माह का अपना मोबाइल के प्रयोग का कुल समय कैसे देख सकते हैं । उन्हें कहा गया कि वह कुल समय और अपने उस परीक्षाओं के प्रतिशत नंबर अर्जुन को टैक्स्ट कर दें ।
अच्छे मित्रों और स्मार्ट फ़ोन की टैक्नॉलॉजी के बलबूते पर अर्जुन को सारा डेटा 48 घंटों के अंदर मिल गया । उसने सारे आंकड़े अपने लैप टाप को भेज दिए । अब प्रश्न यह था कि सारे डेटा के साथ करना क्या था । पहला काम उसने किया इस्तेमाल के समय को घंटे प्रतिदिन में परिवर्तन करने का । उसने इन डेटा को बढ़ते हुए समय के क्रम में लगाया । फिर उसने एक रेखा चित्र बनाया जिसमें क्षैतिज अक्ष था मोबाइल के प्रयोग का समय और लंब अक्ष था प्रतिशत नंबर । उसने इस रेखा चित्र को अपने मोबाइल को भेजा और अगले दिन दीपिका और जानी को स्कूल में मिलने के लिए गया ।
अर्जुन कैफ़िटेरिया में जानी और दीपिका से मिला । जानी की गर्लफ़्रैंड भी वहीं थी क्योंकि वह जानी के साथ ही रोज़ स्कूल आती थी । उसने कहा कि यदि उन्हें उसका वहां होना अनुचित लगता है तो वह चली जाएगी । दीपिका ने उसे रुकने के लिए कहा ताकि वह देख सके कि क्या हो रहा है । अर्जुन ने भी हामी भरी ।
अर्जुन: मैने दो रेखा चित्र बनाए हैं । मैं पहले रेखा चित्र से बहुत उत्साहित हूं । पहले, यह 35 छात्रों वाला रेखा चित्र देखो । स्पष्ट है कि मोबाइल प्रयोग के साथ साथ छात्रों के परीक्षा के नंबर बढ़े । तो मैडम जी ने उल्टा कहा था (आत्मसंतुष्टि की हंसी के साथ) ।
दीपिका: हां, यह चित्र तो साइंस फ़ेयर प्रदर्शन के लिए बढ़िया होगा । सभी छात्र बहुत उत्साहित होंगे ।
जानी: निश्चय ही, परीक्षा के परिणाम और मोबाइल फ़ोन के प्रयोग समय में एक धनात्मक सहसंबंध (positive correlation) है ।
अर्जुन: मैं यह बताना भूल गया था कि दो वद्यार्थी जिनके नंबर सबसे बहुत ऊपर थे, इस चित्र में नहीं हैं ।
सैरा: शायद उनमें से एक मैं हूं । पर काम की बात, जानी ने बताया था कि 175 विद्यार्थियों का डेटा था ।
अर्जुन: हां, मैने कह था कि मैने दो रेखा चित्र बनाए थे । हम साइंस फ़ेयर में क्यों ना हम केवल यह चित्र ही दिखाएं ?
जानी: तो क्या यह 35 सहसा उत्पन्न (random) छात्रों के हैं ?
अर्जुन: नहीं मैने डेटा को बढ़ते हुए समय के क्रम में लगाया था और यह इस क्रम में पहले 35 के आंकड़े हैं । चित्र अच्छा लग रहा है, ना ।
जानी: अरे हमें मरवाएगा क्या ? अपनी इच्छा से आधे आंकड़े रखने पर हमें साइंस फ़ेयर से तो क्या स्कूल से निकाला जा सकता है । यह धोखा है । चल 175 छात्रों वाला चित्र दिखा ।
अर्जुन: अच्छा बाबा, यह रहा सारे 175 छात्रों वाला चित्र । इतना सुंदर और उत्साहिक नहीं है । पहले ऊपर जाता है और फिर नीचे, नीचे और नीचे ।
लगता था कि सैरा निरुद्येश आभाव से अपने फ़ोन पर खेल रही थी और उसने जानी की बात नहीं सुनी थी, पर वह अचानक से बोली: अर्जुन, यदि तू मैडम बैनर्जी को प्रसन्न करना या साइंस फ़ेयर में अछा परिणाम चाहता है तो तुझे इन संख्याओं का विश्लेषण करना होगा ।
अर्जुन: तू ही कुछ बता ।
द्विघाती समीकरण (quadratic equation)
सैरा: यह एक अनुवृत्त (parabola) सा लगता है । निश्चित यह परीक्षा परिणाम और फ़ोन प्रयोग समय में रैखिक संबंध तो नहीं है, शायद इसका विवरण एक द्विघाती समीकरण (quadratic equation) से हो जाए ।
अर्जुन: वह क्या बला है ?
सैरा: साधारण रूप से एक द्विघाती समीकरण को y = ax2 + bx + c लिखा जाता है । मैडम बैनर्जी ने इसके बारे में अभी हमें नहीं पढ़ाया है पर छुट्टियों में मैने अपनी बीजगणित की पुस्तक में देखा था । जब तुम बातें कर रहे थे मैं अपने फ़ोन से इंटरनैट देख रही थी । एक ओनलाइन प्रोग्राम है जो डेटा का द्विघाती समीकरण दे सकता है । अर्जुन, क्या तेरे फ़ोन पर सारा डेटा है ?
अर्जुन: फ़ोन पर तो नहीं, पर मेरे लैपटाप पर है । आगे क्या करना है ?
सैरा: ला, मैं कोशिश करती हूं । पहले मैंने तीन मुख्य डेटा से अलग वाले आंकड़ों को निकाल दिया । अब इस साइट पर बाकी डेटा भेज दिया । अरे, एक क्षण भी नहीं लगा । यह रहा द्विघाती समीकरण :
y = -2.4x2 + 9.6x + 76.8, इसमें y है प्रतिशत नंबर और x है मोबाइल के प्रयोग का समय ।
अर्जुन: धन्यवाद सैरा, क्या तुम भी हमारी साइंस फ़ेयर की टीम में शामिल हो सकती हो ?
सैरा: मैं कह नहीं सकती क्योंकि मेरा बहुत काम बचा हुआ है ।
दीपिका: बस तू सलाह देती रहना । हम तीनो बाकी का सब काम बांट लेंगे । हमें कोई ऐसा सदस्य भी तो चाहिए जो साइंस फ़ेयर में प्रश्नो का उत्तर दे सके । हमारी टीन में आ जा ना ।
सैरा: मैं सोचूंगी, पर अभी तो हम सब को क्लास में जाना है ।
अर्जुन ने मैडम बैनर्जी से बात की: मैडम जी, हम नें अपनी सर्वेक्षण पूरी कर ली है और अब सारा डेटा हमारे पास है ।
मैडम बैनर्जी: तूने कहा था कि विश्लेषण की आवश्यकता होगी । क्लास में सब को बता । शायद कोई छात्र सहायता कर दें ।
अर्जुन ने क्लास से कहा: हम ने सारी क्लास का सर्वेक्षण कर के यह डेटा इकट्ठा किया था । तुम सब जानते हो क्योंकि तुमने इस में भाग लिया था । परिणाम इस रेखा चित्र में है जो छात्रों के पिछली परीक्षा के प्रतिशत नंबर और उनके मोबाइल प्रयोग के समय में संबंध दिखलाता है । सैरा ने हमें बताया कि इस रेखा का विवरण एक द्विघाती समीकरण से हो सकता है । फिर एक वैबसाइट की सहायता से हमने इसका समीकरण
y = -2.4x2 + 9.6x + 76.8 निकाला, इसमें y है प्रतिशत नंबर और x है मोबाइल के प्रयोग का समय । बस अब तक तो इतना ही है, धन्यवाद ।
मैडम बैनर्जी: अर्जुन, तुम्हें सैरा को भी अपनी टीम में शामिल करना चाहिए । सैरा इनके साथ काम करोगी, ना ?
सैरा: मैडम जी, इस टीम के सदस्यों ने पूछा था । मैं सोच में थी पर यदि आप कहती हैं कि यह करना हमारे लिए अच्छा होगा, तो मैं अवश्य इन का निमंत्रण स्वीकार करूंगी ।
भाग 3. साइंस फ़ेयर प्रदर्शन
अर्जुन और उसकी टीम ने पोस्टर बनाया और स्कूल अधिकारियों ने उन्हें साइंस फ़ेयर में भाग लेने की स्वीक्रिती दे दी । इसमें उनका 175 छात्रों के डेटा से बनाया गया चित्र और इसका द्विघांतिक समीकरण से मेलजोल दिखाया था ।
यह रहे उनके प्रदर्शन के शीर्षक और सारांश:
मोबाइल प्रयोग से परीक्षा में नंबर बढ़े
हमने अपने स्कूल के क्लास 11 के छात्रों का सर्वेक्षण किया । हम ने उन से दो प्रश्न पूछे । पहला था कि उन्होंने पिछली परीक्षा के माह में कुल कितने समय के लिए अपने मोबाइल का प्रयोग किया । दूसरा था कि उनके सारे विषयों में मिला कर कितने प्रतिशत नंबर आए । छात्रों के नंबरों और मोबाइल प्रयोग में एक द्विघाती संबंध था जिसका समीकरण y = -2.4x2 + 9.6x + 76.8 था । दो घंटे प्रतिदिन मोबाइल प्रयोग से नंबर बढ़े, नंबरों मे लगभग 10% तक की तरक्की देखी गई, पर उसके बाद नंबर घटने शुरू हो गए ।
साइंस फ़ेयर के बाद अर्जुन मिला मैडम बैनर्जी से और उनका वार्तालाप कुछ इस तरह था ।
अर्जुन: हमारा पोस्टर बड़ा लोकप्रिय था । उसे देखने के लिए बहुत लोग आए और हमें पुरस्कार भी मिला । किंतु फ़ैसला करने वाले अधिकारी तो कठोर थे । उन्होंने कई प्रश्न पूछे जो मेरी समझ से तो बाहिर थे पर सैरा ने उनका उत्तर दिया ।
मैडम बैनर्जी: मुझे पूरा विश्वास है कि वह लोग निष्पक्ष थे । क्या थे प्रश्न ?
अर्जुन: अर्जुन: यह हैं कुछ प्रश्न ।
तुम्हारे रेखा चित्र में तो नंबर बढ़े और फिर बुरी तरह से गिरे । तुम्हारा शीर्षक तो गिरावट की बात ही नहीं करता । क्या यह कपट नहीं है ?
तुम्हारा डेटा तो केवल एक माह के हैं । क्या तुम्हारा स्कूल पूरे सेमेस्टर में होमवर्क और असाइनमेंट नहीं देता ?
तुम्हारा रेखा चित्र दिखाता है कि नंबरों और मोबाइल प्रयोग में ताल्लुक है, इसका क्या कारण है ?
तुम्हारे शीर्षक के अनुसार एक क्रिया का दूसरी क्रिया पर असर पड़ा । तुम्हारा रेखा चित्र केवल एक ताल्लुक ही दिखाता है । यह तो एक दैवयोग भी हो सकता है । इसे सबूत क्यों मान रहे हो ?
क्या वैज्ञानिक परीक्षण करोगे इसे साबित करने के लिए ?
और भी कई प्रश्न थे ।
मैडम बैनर्जी: लगता है कि फ़ैसला करने वालों ने तुम्हारे काम और भविष्य में बहुत रुचि दिखाई ।
अस्वीकरण
इस कहानी के आधार पर यह मत सोचिये कि मोबाइल प्रयोग का शिक्षा पर कोई असर होता है । यह एक काल्पनिक कहानी है । दिए गए सारे आंकड़े सिरजे हुए हैं केवल समझाने के लिए कि एक द्विघाती समीकरण क्या होता है । पहले यह आंकड़े y = -2.4x2 + 9.6x + 76.8 के अनुसार सिरजे गए थे और फिर भिन्नता दिखाने के लिए 0 और ± 5% के बीच सहसा उत्पन्न नंबर जोड़े गए थे ।