तानिया का प्रस्ताव
तानिया की मां भागी के घर में लक्षमी मेड का काम करती थी । बहुत मेहनती थी वह । रोज़ प्रात: को 3 घंटे और सायंकाल को 3 घंटे वह इस घर में काम करती थी, और अपना घर भी संभालती थी । उसका पति मज़दूरी करता था – वह भी उसे हर दिन नहीं मिलती थी । उसके दो बच्चे भी थे – 12 साल का बेटा रामू और 9 साल की बेटी गौरी । दोनो बच्चे स्कूल जाते थे पर गर्मियों की छुट्टियों में केवल आवारागर्दी ही कर रहे थे ।
आज लक्षमी रामू और गौरी को अपने साथ काम पर ले आई । वह उन्हें मालकिन से मिलवाना चाहती थी, और पूछना चाहती थी कि क्या बच्चों को इस घर में कुछ काम दिया जा सकता है । वैसे ही उसकी आर्थिक अवस्था खराब थी और घर होने पर बच्चे भी मांगें करते रहते थे । भागी ने साफ़ साफ़ कह दिया कि वह नाबालिक बच्चों को काम पर नहीं रखेगी ।
तानिया भी छुट्टियों में घर रह कर ऊब सी गई थी । इस साल कहीं जाने का कार्यक्रम भी नहीं बन रहा था । उसने अपनी मां जी के कान में कुछ कहा और फिर सबके सामने बोली ।
तानिया: आंटी मेरा एक प्रस्ताव है, पता नहीं आप को कैसा लगेगा । मैने मां जी से तो अनुमति ले ली है ।
लक्षमी: तानिया बेटी, क्या है तेरा प्रस्ताव ?
तानिया: रामू और गौरी खाली बैठे हैं और मैं भी बैठे बैठे ऊब गई हूं । हम तीनों मिल कर कुछ कर सकते हैं जिसमें हमारा दिल लगा रहेगा, हमें कुछ शिक्षा भी मिलेगी और यदि हमारा भाग अच्छा निकला तो हम कुछ कमाई भी ।
लक्षमी: बेटी तूने तो मेरा दिल जीत लिया । मालकिन की अनुमति भी है । जा, गौरी और रामू को अपने साथ लेजा कर समझा तेरा प्रस्ताव ।
हम तीनो व्यवसाय करना सीखेंगे
तानिया गौरी और रामू को अपने साथ ले गई और कहने लगी: हम तीनो व्यवसाय करना सीखेंगे । मेरी सहेलियों के पास सुंदर सुंदर बार्बी डाल्ज़ हैं । वह बाज़ार में जा कर उनके लिए नई नई मंहगी मंहगी पोशाकें खरीदती हैं । हम भी पोशाकें बना कर बेच सकते हैं । क्यों कैसा लगा यह प्रस्ताव ?
रामू: मुझे तो सिलाई भी नहीं आती ।
तानिया: हम सिलाई नहीं करेंगे । टेप से कपड़े को चिपका देंगे । आर्ट की क्लास में तेरा हाथ कितना साफ़ है ?
रामू: थोड़ा थोड़ा, पर गौरी बड़े मजे का आर्ट वर्क कर लेती है । और, शुरू में हमें कपड़ा इत्यादी खरीदने के लिए पैसे कहां से आएंगे ?
तानिया: मैने जेब खर्ची के कुछ पैसे बचा रखे हैं । उनसे सब कुछ खरीद लेंगे । पहनावे बिकने पर मैं पहले वह पैसे वापिस ले लूंगी । बाद में हम तीनों लाभ को बराबर बराबर बांट लेंगे ।
रामू: और यदि यह व्यवसाय असफल रहा तो ?
गौरी: ऐसी बातें न किया कर भैया । मैं तो खुशी से इसमें भाग लूंगी । यह तो खेल लग रहा है । रामू तू भी मान जा ।
तानिया: रामू, तू पौशाकें बेचने का काम कर लेना ।
रामू: तो ठीक है । कब शुरू करें ।
तानिया: मैं आज मां जी के साथ जा कर सामान ले आऊंगी । कल सुबह शुरू कर देंगे ।
सामान की खरीददारी
तानिया मां जी के साथ कपड़े की दुकान में गई । वहां उसने पता किया कि थानो में से बचे हुए कपड़े यानि कटपीस कहां पर हैं । कटपीस अक्सर बहुत सस्ते होते हैं । दुकान में सारे कटपीस 1.5 मीटर के बर के थानो में से थे । तानिया ने अलग अलग डिज़ाइन और मैटीरियल के तीन कपड़े लिए । पहला कटपीस तो केवल 0.5 मीटर ही था और दुकानदार ने उसका दाम 10 रुपए लिखा हुआ था । दूसरा 0.8 मीटर का और 30 रुपए का था । तीसरा पीस सुंदर भी था और बड़ा भी । यह 1.5 मीटर था और 100 रुपए में मिला । तो तानिया को यह तीनो कपड़े 140 रुपए में मिल गए । याद रहे कि यह सारे कपड़े 1.5 मीटर बर वाले थानो में से निकले थे । दुकानदार ने बतलाया कि यह अच्छे कपड़े थे और यदि कटपीस न होते, तो इनके लिए 1000 रुपए से ऊपर लग जाते ।
उसने दो तरह के स्काच टेप खरीदे – एक जो दोनो तरफ़ से चिपकने वाला था और दूसरा जो एक ही तरफ़ से चिपकता था । दोनों का बड़ा साइज़ ले लिया । उसने चिपकने वाली एक लाल पट्टी भी खरीदी जो 0.5 x 0.5 मीटर थी । उसने एक और मस्त चीज़ खरीदी । वह था एक रंग बिरंगे बिल्लौर पत्थर के चमकीले टुकड़ों से भरा डिब्बा । इन सब चीज़ों पर लग गए 260 रुपए । तो तानिया ने कपड़ों को मिला कर कुल 400 रुपए व्यय किए ।
तानिया का डिज़ाइन
अगले दिन रामू और गौरी दोनो तानिया के पास आ गए । तानिया ने तीनो कपड़े दिखाए । गौरी तो बहुत प्रभावित हुई कि किसी किस्मत वाली लड़कियों की गुड़िया से इस बढ़िया कपड़े की नई पोशाक मिलेगी ।
गौरी: हमारी पौशाकों का डिज़ाइन क्या होगा ?
तानिया: मैं सोच रही हूं स्कर्ट और चुस्त ब्लाउज़ । स्कर्ट के लिए हम एक 30 से.मी. x 30 से.मी. वर्ग कपड़ा ले लेंगे । इसके कोनो से एक X बना लेंगे । कैंची से X पर कपड़े को काट कर चार एक समान समकोण समद्विबाहू त्रिकोणे बन जाएंगी । इस त्रिकोण को लम्बी भुजा पर लेटा देंगे । लम्बी भुजा 30 से.मी. और त्रिकोण की ऊंचाई 15 से.मी. । इस आकार की लम्बी भुजा से गोलधारा बनाने पर एक कोन बन जाएगा । हम इस कोन के ऊपर से 2 से. मी. को काट कर स्कर्ट बना देंगे । कोन वाले ऊपर वाले भाग को सुंदर बनाने के लिए इस लाल पट्टी की बैल्ट लगा देंगे । तो यह 13 से.मी. की ऊंचाई की स्कर्ट बन जाएगी ।
गौरी: हां अच्छा लगेगा । और ब्लाऊज़ ?
तानियां: उसी कपड़े का 3-4 से.मी. ऊचाई वाला ट्यूब टाप ब्लाऊज़ बना देंगे ।
गौरी: हां जचेगा । आज कल हर बालीवुड मूवी की हीरोइन अपना पेट दिखा कर नाचती है । पर सिलाई वगैरा कैसे करेंगे ?
तानिया: सिलाई तो बहुत परिश्रम का काम होगा । हम दो कपड़ों को दो तरफ़ चिपकाने वाली टेप से जोड़ देंगे ।
गौरी: हां, स्कर्ट के अंदर की तरफ़ एक तरफ़ वाली टेप भी लगा देंगे ताकि वह नीचे से भारी हो कर सुंदर लगे ।
तानिया: पौशाक बना कर हम रंग बिरंगे बिल्लौर पत्थर के चमकीले टुकड़े चिपका देंगे ताकि वह और भी सुंदर लगे । चलो हम इस कटपीस से शुरू करते हैं । यह 50 x 150 से.मी. है । इसमें से पहले हम एक 30 से.मी. x 150 से.मी. का पीस काट लेंगे और फिर उसके 30 से.मी. वर्ग के 5 टुकड़े बना लेंगे । जैसे मैने पहले बताया है हर वर्ग टुकड़े से 4 स्कर्ट बन जाएंगी । तो इस कट पीस से कुल 20 स्कर्ट बनेगी ।
रामू, जो अभी तक चुप था बोला: नहीं, हम इससे ज्यादा स्कर्ट बना सकते हैं ।
तानिया: अभी तक तो चुप था । मैने सोचा सो गया है । बता जीनियस कैसे ।
रामू: इस कटाई से एक 30 से.मी. वर्ग में से 4 त्रिकोण बनेंगी । हर त्रिकोण का आधार है 30 से.मी. । क्यों कि यह एक समकोण समद्विबाहू त्रिकोण है, मैने पाइथागोरस की थ्योरम से गणन किया है कि हर दूसरी भुजा 30/√2 यानि 21.2 से.मी. होगी । तो, क्यों न हम कपड़े में से एक 30 से.मी का लम्बा पीस काटने की जगह दो 21.2 x 150 से.मी. के बना पीस लें । एक लम्बे पीस में से 21.2 से.मी. वर्ग के 7, यानि सारे कपड़े में से 14 टुकड़े बन जाएंगे । इन टुकड़ों को कोनो से काट कर दो त्रिकोण बन जाएंगी उसी आकार और नाप की जो तुमने अभी बनाई थी । पर इस तरह हमें 20 नहीं 28 स्कर्ट मिल जाएंगी और हां, ट्यूब टाप्स के लिए भी कपड़ा बच जाएगा । (दोनो की काटने की विधि के लिए चित्र देखें)
गौरी: भैया तुमने तो हमारा लाभ बढ़ा दिया, है न तानिया ?
तानिया: मजा आ गया । अब बताओ बाकी कपड़ों को कैसे काटना है ।
रामू थोड़ी सोच में पड़ गया और फिर उसने कहा: यह चित्र देखो । इस 80 x 150 से.मी. वाले टुकड़े में से तीन लम्बे टुकड़े बनाओ – एक 30 से. मी. चौड़ा और दो 21.2 से. मी. । यह चित्र देखो । इस तरह 48 स्कर्ट बन जाएंगी और 6.6 x 150 से. मी. कपड़ा ब्लाउज़ बनाने के लिए बचेगा ।
तानिया: और सबसे बड़ा कपड़ा ?
रामू: यह 150 x 150 से.मी. है । इसमें से 30 x 30 से.मी. के 25 पीस बन जाएंगे । यदि 3 पीस ट्यूब टाप्स के लिए रख लें, तो 22 बचेंगे जिन में से 88 स्कर्ट बन जाएंगी ।
गौरी: तो भैया, इसका अर्थ है कि सारे कपड़े से 28 + 48 + 88 यानि 164 स्कर्ट बन सकती हैं ।
तानिया: पर मेहनत का कम होगा इतनी सारी पौशाकें बनाना । कोई बात नहीं, गर्मी की छुट्टियां सारी पड़ी हैं ।
रामू: एक पौशाक कितने की बेचेंगे हम ?
तानिया: रामू, अब तू डाल्ज़ की दुकानो में जा कर देख कि वह कितने पैसे लेते हैं । फिर हम फ़ैसला करेंगे ।
रामू तो बाज़ार चला गया और तानिया और गौरी ने मिलकर पहली पौशाक बना ली ।
अगले दिन रामू फिर बाहर के काम पर था । तीन घंटों में तानिया और गौरी ने मिलकर 3 पौशाक और बना लीं ।
रामू दोपहर को आया और उसने कहा: अधिकतर पौशाकें तो गुड़ियों के साथ ही बिकती हैं । कभी कभी 3-4 पौशाकों का डिब्बा बिकता है – 700 से 1100 रुपए का । बहुत ही कम दुकानो में एक पौशाक का डिब्बा बिकता है । तब उसके लिए 300 से 500 रुपए लेते हैं ।
गौरी: तो भैया, हम एक पौशाक कितने की बेचेंगे ?
तानिया: देखो, न तो हम कोई बड़ी दुकान हैं और न ही हम सुंदर डिब्बों में सजा रहे हैं । तो मेरे विचार से 50 रुपए की एक पौशाक उचित रहेगा, क्यो रामू ?
रामू: हां, ठीक है ।
तानिया: रामू, गौरी के हाथ में अच्छी सफ़ाई है । इस लिए हम दोनो पौशाकें बनाएंगे और तू बाहर लेन देन का और बेचने का काम करना । पहले हम तीनो अपनी दोस्तों से बात करेंगे कि वह कितनी पौशाकें खरीदेंगी और उसके बाद यदि आवश्यक हुआ तो तुझे घर घर जा कर भी पौशाकें बेचनी होंगी । अच्छा अनुभव होगा कि चीज़ें कैसे बेची जाती हैं ।
पहली 8 पौशाकें तो तानिया के मित्रों ने ही खरीद लीं । यह 400 रुपए तो तानिया ने वापिस ले लिए । उसके बाद रामू जितने भी पैसे लाता था, तीनो बराबर बराबर बांट लेते थे । गर्मियों में 150 पौशाकें और बिकीं जिन से मिले 7500 रुपए । तानिया, गौरी और रामू ने 2500-2500 रुपए कमा लिए । लक्षमी तो हैरान थी कि उसके छोटे छोटे बच्चों ने व्यवसाय करना सिखा और दोनो ने मिल कर 5000 रुपए कमाए ।
रामू ने तानिया और गौरी को बताया कि उसने 80 पौशाकें तो दुकानो को बेची थी । दुकानो ने उने बढ़िया से डिब्बों में सजा कर 300 से 400 रुपए में बेचा था । दुकानदार तो और भी पौशाकों की मांग कर रहे थे ।
तानिया: स्कूल के दिनो में तो मां जी मुझे यह नहीं करने देंगी । गौरी की तीन चार सहेलियों को साथ लगा लो ताकि तुम स्कूल की पढ़ाई भी कर सको । हां, कभी कभी राय देने में मुझे प्रसन्नता होगी ।
चुनौती
अर्जुन कहता है कि वह 24 से.मी. परिमिति वाला एक से.मी. मोटी चांदी समबाहु अश्टभुज चादर चाहता है । चांदी का भाव 41 रुपए/ग्राम है । एक घन से.मी. चांदी के भार 10.5 ग्राम होता है ।
उत्तर: एक अश्टभुज ABCDEFGH बनाओ । इसकि परिमिति 24 से.मी. और 8 समान भुजाएं हैं, अत: एक भुजा की लम्बाई 24/8 – 3 से.मी. है । पहले हमने इसका क्षेत्रफल निकालना है । पहले इसकी चार भुजाओं को विस्त्रित करके चतुर्भुज LIJK बनाओ (चित्र देखें) ।
अश्टभुज ABCDEFGH = चतुर्भुज LIJK – (त्रिकोण BCI + त्रिकोण DJE + त्रिकोण FKG + त्रिकोण HLA )
पहले त्रिकोण BCI का क्षेत्रफल निकालेंगे ।
रेखा BC को X तक बढ़ाओ । कोण BCI कोण XCD का शीर्षभिमुख कोण होने के कारण इसके समान है ।
एक अश्टभुज के सारे बहिश्कोणो का योग 360° है, इस लिए हर बहिश्कोण 360/8 = 45° होगा । कोण IBC = कोण XCD = 45°. तो कोण BIC, त्रिकोण का तीसरा कोण होने के कारण, 180°- 45°- 45° = 90° है ।
पाइथागोरस थ्योरम के अनुसार BC2 = BI2 + CI2 । किंतु कोण IBC और BCI समान होने के कारण BIC एक समद्विबाहु त्रिकोण है जिस में BI = CI, अत: BI2 = BC2/ 2 । क्यों कि BC = 3 से.मी., BI = CI = 3/√2 = 2.12 से.मी ।
अत: त्रिकोण BIC का क्षेत्रफल होगा 2.12 x 2.12 = 2.25 से. मी.2 (आधार x ऊंचाई/2) ।
समबाहु अश्टभुज से बनी यह चारों त्रिकोण एक जैसी होंगी ।
अब LIJK का क्षेत्रफल निकालें
LI = LA + AB = BI = 2.12 + 3 + 2.12 = 7.24 से.मी. ।
क्योंकि यह एक समबाहु अश्टभुज है, चतुर्भुज की चारों बाहुएं समान होंगी । हर कोण 90° का होगा और एक वर्ग बन जाएगा ।
LIJK का क्षेत्रफल = 7.24 x 7.24 = 52.42 से. मी.2 ।
अश्टभुज ABCDEFGH = चतुर्भुज LIJK – (4 x त्रिकोण BIC ) = 52.42 – 4 x 2.25 = 43.42 से. मी.2 ।
चांदी के टुकड़े का घनफल = क्षेत्रफल x ऊंचाई 43.42 x 1 से. मी.3 ।
चांदी के टुकड़े का भार = 43.42 x 10.5 = 455.88 g .
चांदी के टुकड़े का मूल्य = 455.88 x 41.5 = 18919.02 रुपए ।