लालू की बेकरी

fig.g11.2   थकी हुई रानी

लालू की एक छोटी सी बेकरी थी, किशनगंज के छोटे से शहर में जहां बहुत कम लोग शिक्षित थे । वहां वह अपने बेटे भोलू और एक नौकर के साथ काम करता था । बहुत कम आय थी । इसलिए उसकी पत्नी रानी ठाकुर रघुवीर सिंह के घर काम करती थी जहां वह उनकी 12 वर्ष की लड़की तानिया के साथ घुल मिल गई थी ।  एक शनिवार को रानी जब काम पर आई तो वह थकी-थकी लग रही थी जैसे रात भर सोई ना हो ।

तानिया अपनी मां से: मां जी, लगता है कि रानी आंटी का हाल ठीक नहीं है ।

तानिया की मां: रानी, ठीक तो हो ना ?

भीगी हुई आंखों से रानी बोली: मुझे अपने घर के दुख यहां काम पर साथ नहीं लाने चाहिएं । मैं ठीक हूं ।

तानिया: रानी आंटी, बताओ ना ।  शायद हम कुछ सहायता कर सकें । दुख अपने आप थोड़ा ही दूर हो जाएंगे ।

रानी: बेटी, तुझे चिंता करने की आवश्यकता नहीं है ।

तानिया: आंटी, आपने मुझे बेटी कहा है । यदि भोलू पूछता तो आप उसे ज़रूर बता देती । अब तो अपना दुख तानिया बेटी को बताना ही होगा ।

रानी: लालू और भोलू बहुत परिश्रम से काम कर रहे हैं । दोनो रोज़ थके-टूटे रात को घर आते हैं । फिर भी बेकरी से कुछ आय ही नहीं होती । हमें तो समझ में नहीं आ रहा कि हम क्या करें  ।

रानी तो काम करती रही । लालू की बेकरी ज्यादा दूर नहीं थी । तानिया उसे देखने के लिए उत्सुक थी । उसने मां जी से पूछा कि वह और तानिया बेकरी देखने जा सकते हैं । मां जी मान गई यह सोच कर कि इसी बहाने मां बेटी की थोड़ी सैर हो जाएगी ।

लालू स्पेशल

जब तानिया बेकरी पर पहुंची तो वहां लालू स्पेशल बिस्कुट बन रहे थे ।  लालू का अपना गुप्त नुस्खा था । उसके अनुसार आटा गुंथा गया था और एक बड़ी सी ट्रे पर उस आटे को 1 मीटर x 100 मीटर परत में बेला गया था । नौकर के हाथ में एक  कट्टर था जिससे वह 10 से. मी. व्यास के वृत्त बना रहा था । एक पंक्ती में काटने पर 10 वृत्त बने, सारे आटे से 10 पंक्तियां यानी 100 वृत्त बन गए । उन्हें भट्टी में डाल दिया । नौकर ने बचे हुए आटे को फैंक दिया ।

तानिया: मां जी, मुझे पता लग गया है कि लालू अंकल की सहायता कैसे करनी है । विश्वास करें और उन्हें बुलाएं ।

मां जी: सच में ?

तानिया: केवल बात करने में तो कुछ नहीं लगेगा ।

मां जी ने नौकर को कह कर लालू को बुलाया, और वह आ गया ।

तानिया: लालू अंकल, नौकर ने 100 बिस्कुट काट कर बाकी आटे को फैंक क्यों दिया ?

लालू: गुंथा हुआ आटा इस समय तक सूख जाता है । उसे दोबारा प्रयोग करने से बिस्कुट अच्छे नहीं बनते । इसलिए हम उसे फैंक देते हैं ।

तानिया: लालू अंकल, मैं तुम्हें अमीर बना दूंगी । मुझे पता है कि आप इन्हें 3 रुपए प्रति बिस्कुट के हिसाब से बेचते हैं  । इस तरह एक ट्रे में से  100 बिस्कुट यानि 300 रुपए मिलते हैं । इसमें लगी हुई सामग्री का क्या दाम होता है ?

लालू: हम रोज़ 1000 रुपए की सामग्री में से 5 ऐसी ट्रे बनाते हैं । तो एक ट्रे की सामग्री का दाम हो गया 200 रुपए । सामग्री सस्ती हुआ करती थी पर मंहगाई के कारण अब इतने अधिक दाम लग जाते हैं ।

नौकर को भी रोज़ी देनी होती है, और फिर दुकान का किराया और बिजली पानी का बिल । कुछ नहीं बचता । भोलू और मैं रोज़ रात तक काम करते हैं ।

तानिया: अंकल यदि आप और ज्यादा बिस्कुट बनाएं, तो क्या उनकी बिकरी हो जाएगी ?

लालू: हां, कई और ग्राहक भी चाहते हैं कि हम उन्हें बिस्कुट बेचें । पर अधिक बिस्कुट बना कर बेचने से हमारा घाटा पूरा नहीं होगा ।

तानिया: अंकल, मैं अब घर जाऊंगी । मेरे कुछ विचार हैं, मैं दो घंटे में आकर उनको विस्तार में बताऊंगी ।

तानिया वापिस बेकरी पर आई

अपने वचन के अनुसार, दो घंटे बाद तानिया वापिस बेकरी पर आई ।

तानिया: अंकल, मेरी गणना के अनुसार आप का एक बिस्कुट   78.6 से.मी.2 है । एक 100 x 100 से.मी 2 में आप एक सौ बिस्कुट बनाते हैं जिनका क्षेत्रफल  7860  से.मी.2 होता है । बाकी की सामग्री यानि   21.4 % आप फैंक देते हैं । तुम वृत्त थोड़ी दूसरी तरह बना कर थोड़ी से बचत कर सकते है, पर इससे काम नहीं चलेगा । यदि  21.4%  सामग्री को ना फैंकें तो आप का लाभ बढ़ जाएगा ।

fig.g11.1

लालू: पर कैसे ?  मैं उस आटे को दोबारा प्रयोग करके खराब बिस्कुट नहीं बनाना चाहता, और ना ही मैं वर्ग आकार के लालू स्पेशल बनाऊंगा ।

तानिया: पर आप आकार को थोड़ा सो तो बदल सकते हो । यदि वृत्त के स्थान पर समबाहु षटभुज बना दें तो यह आकार में बड़ी बदल नहीं होगी । कोने से कोने तक समबाहु षटभुज का नाप भी वृत्त के व्यास जितना ही होगा ।

लालू: बेटी, यह मेरी समझ में नहीं आया ।

तानिया: देखो इस चित्र में मैने एक वृत्त बनाया है और उसके उत्कीर्ण बनाई है एक समबाहु षटभुज । कोने से कोने तक इस षटभुज का नाप वृत्त जितना ही है पर इसका क्षेत्रफल वृत्त का केवल  82.7 % है । आप 17.3% सामग्री बचा लेंगे और ग्राहक वैसे ही खुश रहेगा ।

लालू: चलो कह देंगे कि यह लालू स्पेशल का नया डिज़ाइन है । पर वह 21.4% सामग्री फैंकने का भी कोई हल है क्या ?

तानिया: आप को उस समस्या का हल एक मुफ़्त बिस्कुट ले कर ही बताऊंगी ।

लालू थोड़ा उत्सुक तो था पर एक बिस्कुट लाया और तानिया को दिया ।

लालू: अब बता कैसे ।

तानिया: मधुमक्खी के छत्ते के बारे में सोचें । उसमें ढेरों षटभुज होती हैं और कोई भी स्थान खाली नहीं छोड़ा जाता । यह रहा चित्र । आप एक षटभुज वाला कट्टर बनवा लेना और चित्र में देखो कैसे काटना है ।  एक 100 x 100 से.मी 2 में से 11 x 13 यानि 143 बिस्कुट बन जाएंगे, 100 की जगह ।

लालू: यह तो बढ़िया है । मैं 200 रुपए की सामग्री से 300 की जगह 429 रुप​ए के बिस्कुट बना लूंगा । और पता है क्या, मैं ऐसा कट्टर बनवाऊंगा जो 6 बिस्कुट इकट्ठे काट ले । इस तरह हम रोज़ 5 की जगह 10 ट्रे बनाएंगे । तब भोलू और मैं कुछ पैसे ले कर घर जाएंगे, ना की उदास चेहरे । तानिया बेटी, पर भोलू और मैने यह सब क्यों नहीं सोचा ?

तानिया: भोलू को स्कूल भेजते तो वह भी सीख जाता ।

महीनो बीत गए । अब रानी पहले से खुश थी । एक दिन  एक बिस्कुट का डिब्बा लाई, मां जी को दिया और कहा, “यह लालू ने तानिया के लिए भेजा है, उसकी सहायता और योग्यता की सराहना में” ।

चुनौती

तानिया ने 6 भुजाओं वाली बहुभुज क्यों बनाई, 5, 7 या 8 वाली क्यों नहीं ? इस प्रश्न के लिए चित्र बना कर आभास कीजिए । उत्तर नहीं दिया जाएगा ।

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