एक अमरीकन पर्यटक टोली थाइलैंड के घने जंगलों में प्रसिद्ध मंक वैनरेबल अजान चाह की खोज में यात्रा कर रही थी । काफ़ी समय की यात्रा के बाद अंत में उन्हें वह वानप्रस्थाश्रम मिल ही गया जहां वैनरेबल अजान चाह रहते थे । जब टोली वहां पहुंची तो मंक जी एक शीशे के गिलास में से पानी पी रहे थे । अजान चाह ने उन्हें बैठने का निवेदन किया और फिर कहा, “क्या आप इस गिलास को देख रहे हो जिस से मैं पानी पी रहा हूं ? मेरी देख में वह गिलास पहले से ही टूटा हुआ है” । इस प्रवचन को सुनने पर अमरीकी पर्यटक असमंजस में पड़ गए क्यों कि उन्हें तो वह गिलास कहीं से भी टूटा हुआ नहीं दिखा । बल्कि गिलास तो सही सलामत था और मंक जी उसमें से पानी पी रहे थे । अजान चाह कहते गए, “यदि मेरी लंबी बाजू के मेज पर घूमने से आघात के कारण यह गिलास नीचे गिर कर टूट जाए तो मैं कहूंगा “निस्संदेह” । या, यदि हवा का एक झरोका इस गिलास को गिरा कर तोड़ देता है तो मैं कहूंगा “निस्संदेह” । यदि बिल्ली या किसी और पशु के आघात से यह गिलास गिर कर टूट जाता है तब भी मैं कहूंगा “निस्संदेह” । जैसे भी यह गिलास टूटे, इसके टूटने पर मैं कहूंगा “निस्संदेह” । इस शीशे के गिलास की प्रक्रृति ही अनस्थिर है जिसके कारण यह किसी भी घटना से कभी भी टूट सकता है । यही कारण है कि मैं कहता हूं कि यह गिलास पहले से ही टूटा हुआ है ।
वैनरेबल मंक ने सामने बैठे हुए यात्रियों को ताका जिन्हें अब तक उनके प्रवचन का महत्व समझ आने लगा था । अजान चाह कहते गए, परन्तु जब एक बार मैने समझ लिया कि गिलास पहले से ही टूटा हुआ है, तब और केवल तभी मैं इस स्थिति मैं हूं कि मैं आनंदपूर्वक इस गिलास को सराहूं और उन सब पदार्थों की प्रशंसा करूं जो यह गिलास मुझे प्रदान करेगा । यह पूरी तरह और गहराई में मैं जान लूं कि यह गिलास पहले से टूटा हुआ है तत्पश्चात ही मैं सराह सकता हूं कि यह मेरे पीने वाले पानी को किस तरह रखता है । इस गिलास को सूर्य के प्रकाश में रखने पर जो प्रतिमा आकार और प्रतिबिंब बनते हैं, मैं उनका आनंद केवल तब ही ले पाऊंगा जब मेरे जीवि को पूर्ण अनुभूति हो जाएगी कि यह गिलास पहले से ही टूटा हुआ है । इस गिलास की समस्त अर्पण का आनंद मैं सच्ची तरह से ले पाऊंगा जब मेरे जीवि को पूर्ण अनुभूति हो जाएगी कि यह गिलास पहले से ही टूटा हुआ है । इसी लिए मैं कहता हूं कि यह गिलास पहले से ही टूटा हुआ है ।