शोभा

cardinal

कार्डिनल पक्षी के मधुर चहक की धुन

कैनेडा में देवदार की छोटी छोटी पँखियां टहनियों पर फिर सुगंध से आने लगी थी, और प्रातः की ओस की बूंदें धरती से उड़ कर आकाश की धुंध में मिलने जा रहीं थी । एक जाड़ा और बीत गया और बसंत फिर से आ ग​ई । वनों में बसंत आने की एक विशेष पहचान है उत्तरी कार्डिनल पक्षी के मधुर चहक की धुन; यह पक्षी केवल प्रजनन की ऋतु में ही गीत गाते हैं और यह ऋतु बसंत के प्रारम्भ से लेकर गर्मियों के मध्य तक चलती है ।  पहले नर पक्षी  चहकता है अपने इलाके का दावा देने के लिए, पर दूसरे पंछियों से ये इस तरह अनोखे हैं कि बाद में मादा भी गाने गाती है । इस मादा की चहक संसार के मधुरतम रागों में मानी जाती है, और ये राग भाग्यशाली सुनने वाले लोगों का मन हरण कर लेते हैं । यह कहानी ऐसी एक शोभा नाम की मादा पक्षी की है ।

उत्तरी कार्डिनलों के प्रजनन का रिश्ता एकविवाही होता है

कठोर सर्दियों में भी शोभा उड़ कर दक्षिन की ओर नहीं जाती, इस की अपेक्षा वह ठंड को शांतिपूर्वक सहन कर लेती है ।  वह पूरा जीवन जन्मस्थान के केवल एक मील के घेरे में ही बिताती है । शोभा रैडवुड या देवदार के पेड़ों की शाखाओं पर बैठती है  । दूसरे पक्षियों से भिन्न उत्तरी कार्डिनलों के प्रजनन का रिश्ता एकविवाही होता है ।  और हर वर्ष बसंत की ऋितु आने पर ये पक्षी अपने प्रीतम को मिलने के लिए गाना गाते हैं, और उस गाने से ही अपने प्रजनन के साथी को फिर से ढूंढ लेते हैं ।

कई बार बसंत आई और गई जब शोभा की चहक अनुत्तरित ही रही

शोभा, गौरवशाली और शांत, बैठ कर चहकती है । उस की चहक अपनी बहनों से भी ऊंची है, और उसका गाना और पंछिओं के गानों को निस्तेज कर रहा है और इस धुन में मिले हैं उसके दुख और सुख, हर्ष और दर्द, सहानुभूति और असीमित सहनशक्ति । अब कई बार बसंत आई और गई, जब शोभा की चहक अनुत्तरित ही रही, पर फिर भी बेचारी गाती रहती है । यद्यपि हर वर्ष कार्डिलों का गाना प्रजनन और घोंसला बनाने के पश्चात बंद हो जाता है, शोभा का गाना निरंतर चलता रहा बिना उत्तर मिले । यह गाना बसंत से ले कर गर्मियों के मध्य तक, पिछले सालों की तरह, भावपूर्ण और शानदार ही रहता है । विश्वासनीय भाव से गाती हुई शोभा प्रतीक्षा करती रही अपने लाल रंग, मूंगी चोंच वाले श्याम  वीर की ।

छोटे से धड़कते हुए दिल में, शोभा जानती थी कि अब न ही वह लौटेगा और न ही उसके ऊंचे स्वर की वाणी सुनने को मिलेगी । वह यह भी जानती थी कि अब वह प्रजनन में भाग ना लेगी और ना ही घोंसला बनाएगी । वह फिर भी शान से गाती रहती है इस आशा से कि किसी दिन उसकी चहक का उत्तर मिलेगा, और बसंत की खुशियां फिर मिलेंगी ।

सर्वोत्त्म इनाम

शोभा के दिल को एक गहरी परत में पता है कि उसके साथी ने उसे अनुपस्थिति में भी बहुत  कुछ दिया है, शायद उपस्थिति की देन से  अधिक । उसकी अनुपस्थिति ने उसे एक ऐसी निजि धुन खोजने में सहायता दी है, जो दूसरे सब गानों को निस्तेज कर देती है, एक ऐसा अभिन्न गीत कि वह केवल उसी के गाने के लिए है । यह गाना शोभा को उसके साथी की भेंट है, ताकि वह अब इसे सारे संसार को सुनाए । वह गाना अब स्वतंत्रता से धर्ती के कानों के द्वारा सब को सुनाती है । यह पुरस्कार सर्वोत्त्म था जो किसी को दिया जा सकता था, और जीवनभर यही देन अब वह सब को देगी ।

शोभा की भक्ति और गौरव

`          गर्मी की ऋतु एक और बार आई और चली ग​ई, अब पतझड़ आएगी और फिर शोकमय सर्दी । वह सर्दी को भी उसी गौरव से सहेगी जिस से वह गाती है । जब एक बार पेड़ों की टहनियों पर छोटे छोटे अंकुश फिर निकलेंगे और न​ए पत्ते खुलेंगे, हवा देवदार की सुगंध से भर जाएगी, और न​ई बसंत आएगी, तब शोभा फिर भक्ति और गौरव के साथ गाएगी । अगली बार. मादा उत्तरी कार्डिनल की आवाज़ सुनते हुए यह सोचना कि वह अपने प्रीतम को ढूंढ रही है, और साथ साथ शोभा की कहानी को भी याद करना ।

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