कनाट प्लेस की सैर – भाग 1

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(वैसे तो छ्त्तीसों स्थानो का नाम कनाट प्लेस है, यह कहानी नई दिल्ली, भारतवर्ष वाली  कनाट प्लेस की है)

कनाट प्लेस

कनाट प्लेस दिल्ली का शायद सबसे बड़ा आर्थिक और व्यवसायिक केंद्र है ।  यही नहीं, चाहे वह भारत से हों या विदेश से, भ्रमणकारियों के लिए यह एक दिल्ली का शायद सर्वप्रथम आकर्षण है  । अमेरिका और यूरोप से आए लोगों के लिए तो जैसे एक आरामदेय मार्किट है । स्कूल और कालिज के विद्यार्थियों को भी यहां आवारागर्दी करने में मज़ा आता है । यह क्षेत्र अंग्रेज़ों के ज़माने के बनाया गया था जब उनकी राजधानी, कलकत्ता छोड़ कर, दिल्ली में बसाई गई थी । इसके इर्द गिर्द खास कर दक्षिन की ओर अंग्रेज़ी अफ़सरों और कई राजाओं की कोठियां थी ।  यह क्षेत्र उनकी शान की मार्कीट की तरह बनाया गया था । इस के दक्षिण में तो राजसीय क्षेत्र भी हैं ।

आजकी दिल्ली में कनाट प्लेस लगभग मध्य में या मध्य के थोड़े से पूर्व की ओर है । सब दिशाओं से यह आबादियों से घिरा हुआ है ।    दिल्ली के नक्शे में इस क्षेत्र की पहचान है एक बड़ा वृत्त जिसके केंद्र से  किरणो की तरह सड़कें बाहर की ओर फैल रही हों । कनाट प्लेस की  मौलिक परिकल्पना है तीन संकेंद्रीय वृत्त । बिल्कुल बीच में है एक मैदान जहां बैठने के स्थान हैं और समारोह भी किए जा सकते हैं । यह मैदान एक लगभग 150 मीटर के अर्धव्यास की गोल सड़क से घिरा हुआ है जिसे इन्नर सर्कल कहा जाता है । एक दूसरा संकेंद्रीय वृत्त इन्नर सर्कल से लगभग 100 मीटर दूर है और मिड्डल सर्कल कहलाता है । 100 मीटर और दूरी पर है तीसरा संकेंद्रीय वृत्त जिसको कनाट सर्कट का नाम दिया गया है । इन वृत्तों को काटती हैं आठ सड़कें जो पार्लियामेंट स्ट्रीट और एक से सात नंबर की रेडियल रोड कहलाती हैं । इन सब सड़कों के बीच बनी हुई हैं दुकाने, भोजनालय, बैंक , होटल, सिनेमा हाल इत्यादी । इस क्षेत्र की ऐरियल फ़ोटो में स्पष्ट सममिति दिखाई देती है । और हां, कनाट सर्कट के पूर्व और दक्षिन में भी कई देखने लायक स्थान हैं । कई लोग इन्हें भी कनाट प्लेस में ही गिन लेते हैं ।  इस क्षेत्र की सुंदरता से मोहित हो कर यहां बालीवुड ने कई फ़िल्में भी बनाई हैं । यहां तक पहुंचने के लिए भांति भांति के यातायात के साधन भी हैं । शायद इन सब कारणों से ही कनाट प्लेस में हर समय भीड़ रहती है ।

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तानिया और आदी

तानिया एक सोलह वर्षीय होनहार पटना वासी लड़की है । वह अ

पने माता पिता की एक अकेली संतान है ।  दशहरे की छुट्टियों में वह अपनी मौसी के पास दिल्ली आई है । पहली बार वह दिल्ली अकेली आई है । पिछली बार तो वह अभी दस वर्ष की थी जब यहां आई थी अपनी मांजी के साथ । मौसी का बेटा आदी उसका हमआयु है । तानिया उसे हर साल राखी भेजती है । भाई बहन कभी कभी फ़ोन पर भी बात कर लेते हैं । तानिया इसी लिए दिल्ली आई थी कि आदी का साथ भी मिल जाएगा । दोनो बैठे बातें कर रहे थे – राम जाने कौन सी बातें, होंगी कोई युवा भाई बहन वाली बातें ।

तानिया: मैने आज तक कनाट प्लेस नहीं देखा । मेरी पटना वाली एक सखी देख कर गई थी । कहती थी कि मस्त जगह है – देखने लायक । मुझे कल कनाट प्लेस घुमाने ले जा – ले जाएगा ना ?

आदी: मुश्किल है । मैं गणित में बहुत कमज़ोर हूं और रोज़ ट्यूशन कालिज में जाता हूं । उसका होम वर्क भी करना पड़ता हैं । मेरी मांजी अनुमति नही देंगी – ऐसे आवारगर्दी करने की ।

तानिया: अनुमति तो मैं तुझे ले दूंगी । मैं मौसाजी की मुंहलगी भांजी हूं । मेरे पूछने पर तो वह तुझे जाने को कह भी देंगे । वैसे गणित में कौन सा कोर्स कर रहा है ।

आदी: त्रिकोणमिति, कुछ पल्ले ही नहीं पड़ता ।

तानिया: फिर तो अपने होठों पर मुस्कान ले आ भैया । त्रिकोणमिति का तो मैं तुझे इतना जीनियस बना दूंगी कि तू दूसरों को भी सिखाया करेगा । ट्यूशन स्कूल भी नहीं जाना पड़ेगा । बस कल और परसों दो दिन मुझे कनाट प्लेस घुमाना होगा । घबरा मत, अनुमति ले दूंगी और खर्च के लिए थोड़े बहुत पैसे भी मेरे पास हैं – पिताजी ने दिए थे आने से पहले ।

अपनी बात की पक्की, तानिया मौसा जी के पास गई: मौसाजी, यह क्या हो रहा है । आप लोग आदी भैया को ट्यूशन स्कूल भेज कर दुखी कर रहे हैं । त्रिकोणमिति तो मैं उसे मैं अच्छी तरह सिखा दूंगी –  कुछ अब और कुछ पटना जा कर स्काइप पर । उसे निकालो इस कष्ट से और कहो कि अगले चार दिन का समय अपनी बहन के साथ बिताए । मुझे कहीं घुमाए फिराए – दिल्ली की सैर कराए । उसका दिमाग भी ताज़ा हो जाएगा और आपके ट्यूशन स्कूल के पैसे भी बच जाएंगे ।

बस फिर क्या था ? मौसाजी जानते थे कि तानिया के हर विषय में लगभग सौ प्रतिशत नंबर आते हैं, उसकी संगत ही शायद आदी को कुछ सिखा दे ।

वह बेटे के पास गए: आदी, देख तेरी बहन 6 साल बाद आई है । पता नहीं, अगली बार कब आएगी । यह ले कुछ पैसे और उसे घुमा फिरा, उससे बातचीत कर । कुछ दिन के लिए ट्यूशन स्कूल से भी छुट्टी ले ले ।

आदी ने पिताजी को हां कह दी, पैसे ले कर अपनी जेब में डाल लिए , और फिर तानिया के पास पहुंचा: दीदी जी महाराज, तूने मेरे पिताजी पर कोई जादू कर रखा है । उन्होंने आदेश दिया है कि मैं तुझे  दिल्ली की सैर कर्वाऊं और उसके लिए पैसे भी दिया है । अच्छा एक बात बता कि तुझे इतना आत्मविश्वास क्यों है कि तू मुझे त्रिकोणमिति में इतना निपुण कर देगी ।

तानिया: एक तो मेरे इस विषय में सौ प्रतिशत नंबर आए थे, दूसरा मैंने कई मित्रों की सहायता की थी, और तीसरा भैया तेरे लिए मैंने अपने मोबाइल पर एक विशेष ऐप लगाई है । तो कल कितने बजे चलें कनाट प्लेस की सैर करने ?

अगले दिन सुबह मौसीजी ने तानिया और आदी को भरपेट भोजन दिया । तत्पश्चात भाई बहन दोनो निकल गए, मैट्रो पकड़ा और कनाट प्लेस पहुंच गए । वहां केंद्रीय पार्क में थोड़ी देर टहले और कनाट सर्कट (बिल्कुल बाहर वाली गोल सड़क) के पूर्वी भाग में ओडियन स्वीट हाउस  के पास पहुंच गए । वहां पहुंचते ही तानिया ने अपना मोबाइल निकाला ।

आदी: क्या घर फ़ोन करना है ?

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तानिया ने अपना मोबाइल निकाला

तानिया: नहीं, मैने अपनी ऐप को स्टार्ट कर दिया है । जी पी एस से यह ऐप हमारी स्थिति निकाल लेती है । ज्यों ज्यों हम कनाट सर्कट पर चलते जाएंगे, मेरे फ़ोन पर रिकार्ड होता जाएगा कि हम कितने मीटर उत्तर की ओर ग​ए और कितने मीटर पश्चिम कि ओर ।

दोनो चलते गए, बातें करते करते और इधर उधर के दृश्य देखते हुए । धीरे धीरे चलते हुए वह कनाट सर्कट के उत्तर पर पहुंच गए । वहां कई दुकाने थी । तानिया कुछ सौगात खरीदने लगी तो आदी ने रोक कर कहा कि यह सब सामान जनपथ पर या पालिका बाज़ार में बहुत सस्ता मिलेगा । वहां से टहलते हुए वह जनपथ गए, तानिया ने पटना ले जाने के लिए कुछ भेंट खरीदी और एक टी शर्ट आदी के लिए भी । अब भूखे प्यासे थे, दोनो ने एक कैफ़े ढूंढा और वहां पर जलपान किया ।  फिर मैट्रो ली और घर वापिस पहुंच गए ।

मौसीजी ने दोनो के लिए लंच तैयार करवाया हुआ था । उनसे बातचीत करते हुए, दोनो ने खाया और विश्राम के लिए चले गए । अरे विश्राम कहां, तानिया ने ऐप वाला सारा डेटा अपने लैप में डाल लिया और उससे खेलने लगी । वास्तव में यह विश्लेषण था पर तानिया के लिए तो यह एक खेल ही था ।

तानिया: आदी ।

आदी: क्या बात है ?

तानिया: यह देख कनाट प्लेस का मैप ।

आदी: कोई नई चीज़ थोड़ा ही है । हज़ारों बार देखा है ।

तानिया: तो यह आरेखीय मैप देख । इसमें सारी सड़कें दिखाई गई हैं और सारे ब्लाक भी ।  मैने ओडियन स्वीट हाउस पर ऐप को शुरू किया था जो इस चित्र में दिखती है । हम कनाट सर्कस पर वामावर्त चलते गए और फिर मैने रेडियल रोड 6, भापे दा होटल, रेडियल रोड 5 और रेडियल रोड 4 पर नापा कि हम ओडियन स्वीट के कितना उत्तर और कितना पश्चिम की ओर चल चुके हैं । यह सब भी इस आरेखीय चित्र में हैं ।

आदी: अच्छा लग रहा है । आगे बता ।

रेडियल रोड 6

connaughtscheme1तानिया: अगला आरेखीय चित्र पहले वाले का प्रथम मंडल है । इसमें मैने केंद्र से एक रेखा AB अपने आरंभिक स्थान ओडियन स्वीट की ओर खींची है और एक रेखा AC रेडियल रोड 6 को । C से एक लंब रेखा CB, AB पर है । क्योंकि ओडियन स्वीट हाउस से लेकर रेडियल रोड 4 तक एक एक चौथाई वृत्त है, और रेडियल रोड 6 तक उसका तिहाई भाग है, कोण BAC का नाप 30° होगा  । तो ACB एक समकोण त्रिभुज है जिसका कोण  BAC 30°  है । मेरे मोबाइल के अनुसार हम 175 मीटर  (रेखा BC) उत्तर की ओर चले गए जब कि रेखा AC मैप के अनुसार 350 मीटर है ।

आदी: एक समकोण की ऊंचाई और कर्ण के अनुपात फलन को sin  कहते हैं ।  CB और AC के अनुपात को sin BAC  कहेंगे । तो तेरे अनुसार  175/350 यानी 0.5 होगा । अरे, मेरा कैल्कुलेटर भी यही बता रहा है ।  अच्छा, तेरे मोबाइल के अनुसार हम पश्चिम कि ओर कितना आए ?

तानिया: 46.9 मीटर, इसका मतलब है कि AB = 350 – 46.9 यानी 303.1 मीटर है । समकोण त्रिभुज के आधार और कर्ण का अनुपात  cosine (cos) होता है । तो  cos (BAC) 303.1/350    यानी 0.866 हो गया ।

आदी: अरे, मेरा कैल्कुलेटर भी यही बता रहा है ।

तानिया: वैसे AB को इस तरह निकालने की आवश्यकता तो नहीं थी । क्या तुझे रेखागणित में पढ़ाया गया पाइथागोरस प्रमेय याद है ?

आदी: क्यों नहीं ?  एक समकोण त्रिभुज में  आधार2 + ऊंचाई2 = कर्ण2  ।

तानिया: तो इस समीकरण की दोनो भुजाओं को  कर्ण2 से भाग करके क्या बन जाएगा ?

आदी: आधार2 / कर्ण2 + ऊंचाई2 / कर्ण2 = 1, अरे तानिया इससे तो sin2x + cos2 x = 1 हो गया । हमें यह  ऐसे तो किसी ने सिखाया ही नहीं । स्कूल सर और ट्यूशन मैडम दोनो ने कहा कि बस इसको याद रखना ।  इसी लिए मेरी सोच में नहीं आया कि हम उसका यहां पर प्रयोग हो सकता है ।

तानिया: हां, तो  cos x =   ±√(1 – sin2x)   ।  त्रिकोणमिति के और कौन से फलन होते हैं ?

आदी:   tangent (tan), cosecant (cosec), secant (sec) or cotangent (cot) । tan होता है ऊंचाई/आधार,   cosec होता है 1/sin, sec होता है  1/cos  और cot होता है 1/tan ।

तानिया: यदि किसी कोण के लिए, एक फलन के मूल्यांक का पता हो, तो बाकी सब निकाले जा सकते हैं क्योंकि इन सब फलनो का एक दूसरे से संबंध होता है । देखती हूं sin 30° के लिए और कौन से फलन का मूल्यांक निकाल सकता है ।

आदी:  तूने तो सब कुछ इतना सरल कर दिया । क्योंकि sin 30° = 0.5  और cos 30° = 0.866   होते हैं, tan 30° = sin 30°/cos 30° = 0.5/0.866 = 0.577 ।  बाकी सब तो इनके  व्युत्क्रम (reciprocal) हैं, भाग करके आसानी से निकल आएंगे । एक बात पूछूं दीदी, तूने और इस चित्र में ADE त्रिभुज आ और  AFG भी बनाई हुई हैं, किस लिए ?

तानिया: हां, देखना चाहती हूं कि तू कितना ध्यान दे रहा है, बता कोण  DAE और FAG का sin क्या होगा ।

आदी: सभी कोण 30° के हैं तो उनका sin भी समान  यानी 0.5 होगा । यदि मुझे इनके कर्णो की लम्बाई बता दे तो मैं इन तिकोणो की ऊंचाई और अधार भी बता सकता हूं ।

तानिया: मिड्डल वाली का कर्ण  250 मीटर है और छोटी वाली का 150  मीटर । ऊंचाई और आधार निकालने की आवश्यकता नहीं है । मैं तो तेरा आत्मविश्वास बढ़ाना चाहती थी ।

आदी: बस, या कुछ और भी है ।

भापे दा होटल

तानिया:  अभी तो शुरू हुआ है । यह देख दूसरा चित्र । जब हम भापे दा होटल पर पहुंचे, तो हम 247.5 मीटर उत्तर की ओर जा चुके थे । त्रिभुज ABC का कर्ण तो 350  मीटर ही रहेगा और समकोण त्रिभुज की ऊंचाई  मीटर और आधार दोनो 247.5 मीटर हैं । इस चित्र में भी कोण BAC के सब त्रिकोणमितीय फलन निकाल ।connaughtscheme2

आदी: क्योंकि ऊंचाई और आधार दोनो समान हैं तो यह एक समद्विबाहू त्रिभुज है । इसलिए कोण   BAC और BCA दोनो समान होंगे इनका नाप 45° होगा । तो

sin 45° = cos 45° = 247.5/350 = 0.707, tan 45° = 0.707/0.707 = 1

cosec 45° = sec 45° = 350/247.5 = 1.414, cot 45° = 0.707/0.707 = 1

तानिया: यार तुझे तो अच्छी भली त्रिकोणमिती आती है ।

आदी: यह तो तू रेखागणित करवा रही है ।

तानिया: तुझे रेखागणित तो अच्छी तरह आती है । बस त्रिकोणमिती समकोण त्रिभुज के गुणों को फलन में लिख देती है । इन दोनो का वही संबंध है जो अंकगणित और बीजगणित का ।

रेडियल रोड 5

चल एक आज का अंतिम प्रश्न कर । जब हम ओडियन स्वीट हाउस से रेडियल रोड 5 तक पहुचे हम  303.1 मीटर उत्तर की ओर जा चुके थे । इसे लेकर सारे फलनो का मूल्यांक निकाल ।

connaughtscheme3आदी: क्योंकि इसमें हम 90° का दो तिहाई आ चुके हैं, कोण BAC 60°  का होगा । AC तो  350 मीटर ही रहेगा । इस लिए sin BAC = 0.866/1 = 0.866 होगा ।  दीदी जरा कैल्कुलेटर से देखो कि sin 60° 0.866  ही होता है ।

तानिया: हां, और इसका मतलब कि तेरा मानना कि कोण  BAC को 60°  का ठीक था ।

आदी: धन्यवाद दीदी । क्योंकि  sin BAC = 0.866  , इसलिए cos BAC = √(1 – sin2 BAC)   = 0.5.  और tan BAC = 0.866/0.5 = 1.732  है ।  बाकी तीनो फलन तो इनके व्युत्क्रम होने के कारण, आसानी से भाग करके निकाले जा सकते हैं । निकालूं ?

तानिया: नहीं, आज के लिए बहुत हो गया । कल फिर कनाट प्लेस जाएंगे और बाकी आकर करेंगे । चल अब सबसे बातें करें । शायद चाय भी मिल जाए ।

रेडियल रोड 4

आदी: तानिया, तूने रेडियल रोड 4 के ऊपर भी सितारा लगाया हुआ है । वहां से तो त्रिभुज नहीं बनेगी, या फिर शून्य आधार कि होगी । तो कह दें कि  sin 90° =1, cos 90° = 0  और tan  90° = ∞   ?

तानिया: हां, तू तो बड़ा स्मार्ट निकला ।

पूरे परिवार ने साथ बैठ कर चाय पी ।

आदी के पिताजी: तानिया, हां तो बता कनाट प्लेस कैसी लगी ?

आदी के मांजी: विस्तार में बता कि कहां कहां घूमें, क्या क्या खाया और खरीदा ।

तानिया: कनाट प्लेस तो बड़ी दिलचस्प जगह है । हम मैट्रो से उतर कर ओडियन स्वीट हाउस की ओर गए और फिर वहां से कनाट सर्कस पर उत्तर की ओर गए । वहां से जनपथ आए जहां मैने पटना के मित्रों के लिए कुछ भेंट खरीदी, फिर थोड़ा जलपान कर के हम घर वापिस आ गए ।

आदी: इसने मुझे एक टी शर्ट भी खरीद कर दी । त्रिकोणमिती की शिक्षा वहां पर, और घर आकर भी दी । पिताजी, स्कूल में और ट्यूशन में तो मुझे कुछ नहीं समझ आता था । जब तानिया ने सिखाया तो सब कुछ बहुत सरल लगा । हम कल फिर कनाट प्लेस जा रहे हैं ।

  रामजस स्कूल नंबर 2  चुनौती

दिल्ली का रामजस स्कूल नंबर 2 आनंद पर्बत की शिखा पर है । कई विद्यार्थी करोल बाग क्षेत्र से वहां पढ़ने आते हैं – मुन्ना भी ।  मुन्ना एक पुराने स्कूटर पर स्कूल आता है । वह पिताजी से कहता है कि उसका स्कूटर तो खटारा है । उसे रास्ते में घाटी रोड पर 350 मीटर के लिए पैदल चल कर स्कूटर घसीटना पड़ता है जिसके बाद चढ़ाई बहुत कम हो जाती है । घाटी रोड के शुरू का स्थान 231 मीटर समुद्र तल से ऊंचा है और 350 मीटर के बाद यह 318 मीटर ऊपर हो जाता है । गणित के सर जी को तरस नहीं आया, आज कहा कि इस चढ़ाई के सारे त्रिकोणमिती फलन बताओ ।

उत्तर

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एक समकोण त्रिभुज ABC बनाओ जिसका कर्ण AC 350 मीटर है और ऊंचाई BC 318 माइनस 231 यानी यानी 87 मीटर है । एक क्षैतिज रेखा को AB इसका आधार बनाओ । अब कोण BAC के फलन निकालो:

sin BAC = ऊंचाई / कर्ण = 87/350 = 0.25, cosec BAC = 1/sin BAC = 4

cos BAC = √(1 – sin2 BAC)   = 0.97, sec BAC = 1/0.97 = 1.03

tan BAC = sin BAC/cos BAC = 0.26, cot BAC = 3.89

arcsin 0.25 = 14.45° से मिल गया सड़क की चढ़ाई का कोण

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