अध्यापक शक्ती कक्कड़
अध्यापक शक्ती कक्कड़ जी ने अपनी ट्रिग की कक्षा में प्रवेश किया । देखने वाले को लगता था कि आज वह वहुत खुश थे । तभी कई विद्यार्थिओं को आभास होने लगा कि शक्ती सर कुछ अलग ही करने वाले हैं । वह जानते थे कि सर को चुनौती देने में आनंद मिलता है और सर की मुस्कान का एक ही अर्थ था कि चुनौती बड़ी जटिल होगी ।
शक्ती सर ने क्लास को संबोधित किया: आज शिक्षण के बदले एक प्रश्न का हल निकालना होगा । विद्यार्थी गुटों में काम करेंगे । कक्षा में तीन लाइने हैं । तो तीन गुट बना लो – हर लाइन का एक गुट । प्रश्न अगले 20 मिनट में करना है ।
अपने त्रिकोणमिति के ज्ञान से π का अंकीयमूल्य निकालो
अधिकतर व्यार्थी तो असमंजस में थे कि शक्ती सर इतना सितम क्यों ढाल रहे हैं । उन्हें कोई अंदाज़ा ही नहीं था कि इसके हल को कहां से आरंभ करें क्योंकि सर जी ने इस तरह का कुछ पढ़ाया ही नहीं था । उनके कार्य पत्रकों में भी ऐसा कुछ नहीं था । उन्होंने सारे त्रिकोणमिति फलन के और सर्वसमिकाएं रटे हुए थे, और वह तो सर ने पूछे भी नहीं । कैसा अन्याय है ? एक दूसरे की ओर देखते रहे कि शायद कोई और हल बता दे ।
बस 20 मिनट बीत गए ।
शक्ती सर जी ने पहली लाइन के विद्यार्थिओं को पूछा तो उत्तर मिला: सर जी अभी तक तो यह क्लास में पढ़ाया ही नहीं गया ।
दूसरी लाइन की एक लड़की ने गर्व से कहा: सर जी हम जानते हैं कि arccos (1) = π रेडियन । तो हमने कैल्कुलेटर से arccos (1) निकाला । उत्तर था 3.14159265359 । इसलिए π = 3.14159265359 है ।
शक्ती सर तो अत्यंत निराश हुए क्योंकि यह कहना इतना ही खराब था जैसे कि पुस्तक में π का यह अंकीयमूल्य दिया गया है । फिर भी कहा: अच्छा यत्न किया है ।
तब अध्यापक तीसरे गुट की ओर गए और कहा: सैरा, आशा है कि तुम लोगों ने अच्छा काम किया होगा ।
सैरा ने हामी भरी और सर जी ने उसे बोर्ड पर आने के लिए कहा ।
पिज़्ज़ा एक सुराग
सैरा: असल में हमारा सारा काम जीनियस टामी के कारण हुआ । उसने कहा कि उसे भूख लगी थी और उसकी हवायन पिज़्ज़ा खाने की इच्छा थी । हमने पिज़्ज़ा शब्द सुना तो हमें एक सुराग मिल गया । थोड़ी देर वार्तालाप के बाद हमने तय किया कि वृत्त केवल एक असंख्य भुजाओं वाला बाहुभुज होगा, जैसे कि एक लाखों फांकों वाला महापिज़्ज़ा । टामी को अनानास और हैम के टुकड़ों की चिंता सता रही थी । हमने उसको चुप रहने को कहा क्योंकि वह तो अंत में डाले जाते हैं । उसे धमकी भी दी गई कि चुप नहीं रहा तो कुछ भी नहीं मिलेगा । हमने 6-फांक वाले पिज़्ज़ा से शुरू किया । पहले सिर्फ़ एक ही फांक का निरीक्षण किया । यह फांक पिज़्ज़ा के मध्य बिंदु A से शुरू होती है । हमने इस फांक के दो कोनो को मिलाने के लिए एक रेखा BC खींची । फांक की जगह यह एक त्रिकोण ABC बन गई । त्रिकोण में फांक से थोड़ा सा कम पिज़्ज़ा था, पर हमने सोचा कि इस बात की चिंता बाद में करेंगे ।
हमने A से BC पर एक लंब AD रेखा बनाई । AD इस बाहुभुज की अंत:त्रिज्या (apothem) है जैसे एक वृत्त का अर्धव्यास (radius) होता है । हमने मान लिया कि AD = r जो लगभग इस वृत्त के अर्धव्यास समान होगा ।
∠ABC = 360°/6 क्योंकि सब फांकों के कोणो का योगफल 360°/6 होगा । क्योंकि सभी फांकें समान हैं, ABC एक समद्विबाहू त्रिकोण है जिसमें AB = AC, इसलिए BD = DC ।
∠BAD = 1/2 ∠ABC = 30 ° और BD = DC = L/2 जबकि BC की लंबाई L है ।
अब L/2r = tan (BAD) = tan 30° = 0.57735
त्रिकोण ABC का क्षेत्रफल r x L/2 = 0.57735 r2 है ।
पर पिज़्ज़े में 6 फांकें हैं, इसलिए पिज़्ज़े का क्षेत्रफल 6 x 0.57735 r2 = 3.4641 r2 है । क्योंकि वृत्त का क्षेत्रफल πr2 होता है, इससे हमें मिला π = 3.4641 ।
12 फांक वाले पिज़्ज़ा का निरीक्षण
याद रखें, हमने तय किया था कि वृत्त एक असंख्य भुजाओं वाली बाहुभुज है । इस लिए आगे हमने 6 के स्थान 12 फांक वाले पिज़्ज़ा का निरीक्षण किया । हमने एक फांक का पहली तरह ही निरीक्षण किया । इसकी त्रिकोण में भी वैसी ही रेखाएं बनाई ।
यहां BD/AD = L/2r = tan (360/12 x 2) = tan 15°= 0.26795.
इसलिए त्रिकोण ABC का क्षेत्रफल 0.26795 r2 हो गया ।
तो पूरे पिज़्ज़ा का क्षेत्रफल हो गया 12 x 0.26795 r2 = 3.2154 r2 ।
इससे π = 3.2154 मिली । 6-फांक वाले पिज़्ज़ा से निकला था π = 3.4641, यानी फांकों की संख्या बढ़ाने से निकाला हुआ π का अंकीयमूल्य थोड़ा सा कम हो गया ।
अंकीयमूल्य निकालने का समीकरण
हमने देखा कि 6 और 12 भुजाओं वाली बाहुभुजों से अंकीयमूल्य निकालने का समीकरण तो वही था । त्रिकोण ABC का क्षेत्रफल = tan (360°/2n) x r2 और बाहुभुज का क्षेत्रफल = n tan (360°/2n) x r2 यहां n बाहुभुज की भुजासंख्या है ।
फिर हमने इसी विधि से 100 फांकों वाले पिज़्ज़ा का क्षेत्रफल निकाला, यानी n = 100 कर दिया । यह क्षेत्रफल था: 100 x tan (360°/200) x r2 = 100 x 0.03142626604 r2 = 3.142626604 r2 । इससे π = 3.142626604 मिली । फिर फांकों की संख्या बढ़ाने से निकाला हुआ π का अंकीयमूल्य थोड़ा सा कम हो गया ।
इसी विधि से एक 10,000 भुजा वाली बाहुभुज का क्षेत्रफल होगा 10000 x 0.00031415927 r2 = 3.1415927 r2 । इससे π = 3.1415927 मिली ।
अलग अलग फांकों वाले पिज़्ज़ा से के यह क्षेत्रफल निकले: 3.4641 r2 (6 फांकें), 3.2154 r2 (12 फांकें), 3.142626604 r2 (100 फांकें), 3.1415927 r2 (10000 फांकें) । हम और भी आगे करते जाते पर 20 मिनट पूरे हो गए थे ।
क्योंकि वृत्त का क्षेत्रफल r2 है, और 10,000 भुजा वाली बाहुभुज का क्षेत्रफल 3.1415927 r2 था, हमारा उत्तर 3.1415927 है ।
शक्ती सर जी को उत्तर देने वालों पर गर्व हुआ । क्लास को उन्होंने बताया कि यह अच्छी विधि थी पर इसके लिए और विधियां भी हैं ।
ट्रिग का प्रयोग किसी भी आकार के लिए
शक्ती सर जी: देखो तुमने ट्रिग शुरू की थी समकोण त्रिकोण से । अब तुम्हें पता है कि इसे दूसरी तरह के त्रिकोण के लिए भी प्रयोग कर सकते हो । मैं तो यह कहूंगा किसी भी आकार के लिए प्रयोग कर सकते हो । आज के उदाहरण थे बाहुभुज और वृत्त । आज की चुनौती में उदाहरण होगा समलंबाभ (trapezoid) चतुर्भुज का ।
जानी सीख गया था कि ट्रिग से कैसी कैसी अद्भुत काम कर सकते हैं, कुछ हद तक अपनी प्रेमिका सैरा के कारण । छमाही के अंत तक उसके ट्रिग में 99% नंबर आए । उसके सारे विषयों के औसत नंबर 85% से कहीं ऊपर थे । उसे डैड को साइकिल वाले पैसे वापिस नहीं करने पड़े ।
सैरा ने नैना को सारी बात बताई तो नैना ने कहा: मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि तू तो विद्या की देवी सरस्वती है, सैरा तो तेरा एक उपनाम है ।
चुनौती
जानी ने एक साइकिल रेस में भाग लिया । घर आने पर सैरा ने पूछा कितनी दूरी की रेस थी । जानी: मुझे पता नहीं । हमें यह नक्शा दिया गया था । प्रारंभिक स्थान से हम 20 कि.मी. एक सड़क पर पश्चिम की ओर गए । वहां से एक सड़क उत्तर-पूर्व 70° की ओर मुड़ी । हम उस पर 18 कि.मी. गए । वहां से एक सड़क 110° का कोण बनाकर पूर्व की ओर जा रही थी जिसपर हम 15 कि.मी. गए । वहां से फिर एक सीधी सड़क हमें आरंभिक स्थान पर वापिस ले आई ।
सैरा: तो तुम्हारा मार्ग एक समलंबाभ (trapezoid) चतुर्भुज था । कुल कितनी दूरी निकाल सकता है क्या ?
उत्तर: एक चतुर्भुज ABCD बनाएं । हम जानते हैं कि AB = 20 कि.मी., BC = 18 कि.मी., CD = 15 कि.मी., ∠ABC = 70°, ∠BCD = 110° । क्योंकि ∠ABC + ∠BCD = 180°, रेखाएं AB और CD समांतर हैं और यह एक समलंबाभ (trapezoid) चतुर्भुज है । कुल दूरी चारों भुजाओं का योगफल होगी पर हमें भुजा DA की लंबाई नहीं दी गई है ।
दो लंब रेखाएं खींचो CE, C से AB पर, और AF, A से CD पर ।
त्रिकोण EBC में, ∠EBC = ∠ABC = 70°
इसलिए, CE/BC = sin 70° यानी CE = BC sin 70° = 18 x 0.9397 = 16.9146 कि.मी.
BE/BC = cos 70° or BE = BC cos 70° = 18 x 0.342 = 6.156 कि.मी.
AE = AB – BE = 20 – 6.156 =13.844 कि.मी.
क्योंकि AB और CD समांतर हैं, CE और AF, इन पर लंब रेखाएं होने के कारण, भी समांतर होंगी ।
इसलिए AF = CE = 16.9146 कि.मी.
और CF = EA = 13.844 कि.मी.
क्योंकि CD = 15 कि.मी., FD =15 – 13.844 = 1.156 कि.मी.
क्योंकि AF एक CD पर खींची हुई लंब रेखा है, त्रिकोण AFD एक समकोण है ।
पाइथागोरस प्रमेय से:
DA2 = AF2 + FD2 = 13.8442 + 1.1562 = 192.993 यानी DA = 13.892 कि.मी.
इसलिए साइकिल रेस की पूरी दूरी = 20 + 18 +15 + 13.892 = 66.892 कि.मी. ।