सुंदर मौसम वाला दिन
यह एक और सुंदर मौसम वाला दिन था । थोड़ी सी गर्मी तो थी पर विरल समीर इसे सुहावना बना रही थी – ऐसा सुहावना जब युवक और युवतिआं आइस क्रीम की दुकान की ओर खिंचते हैं । जानी ने सैरा को फ़ोन करके आइस क्रीम की दुकान पर जाने को पूछा । सैरा ने तो हां कहनी ही थी क्योंकि वह कभी भी अपने प्रेमी के साथ होने का अवसर नहीं खोती थी । दोनो गए – जानी अपनी नई साइकिल पर और सैरा पैदल । वहां जाकर दोनो ने आइस क्रीम खरीदी । जानी को पिछले दिन दोनो के इकट्ठे स्कूल की गोल सड़क पर टहलने में बड़ा मजा आया था । उसके कहने पर, दोनो आइस क्रीम खाते खाते स्कूल कि ओर चले गए । जानी को यह भी पता था कि सैरा इस स्कूल की सैर का भी उसे ट्रिग विज़ बनाने के लिए प्रयोग करेगी । जानी तो आनंदमय था – उसके पास दोनो थे उसकी प्रेमिका और नई साइकिल । स्कूल पहुंच कर दोनो फिर स्कूल के पूर्वी दरवाज़े के पास उस गोल सड़क पर पहुंचे, और चहकते हुए उत्तर की ओर चलने लगे ।
सैरा: जानी, क्या तुझे पता है कि कोणो के ट्रिग फलन की मूल्य संख्या कि सारणी मिलती हैं, वैसे तो यह सब हमारे कैल्कुलेटर से भी निकल सकता है । मैं आज अपना कैल्कुलेटर साथ ले कर आई हूं, ताकि हम जांच सकें कि, तेरी साइकिल पर ठीक जवाब मिलते हैं या नहीं ।
जानी: मेरी साइकिल पर शक मत कर । यह सैक्सी दिखती है ना ?
कल वाले स्थान से आरंभ
सैरा: क्या मेरे से अधिक सैक्सी है (खिलवाड़ी भाव में) ? चुप रह इसका उत्तर मत दे । हम आज भी टहलना कल वाले स्थान से आरंभ करेंगे, पूर्वी दरवाज़े के निकट से और उत्तर की ओर चलेंगे । किसी भी समय तो साइकिल से परिक्रमण का कोण बताएगा, मैं तुझे अपेक्षित दूरियां बताऊंगी कि हम कितना उत्तर की ओर चले, और कितना पश्चिम की ओर ।
दोनो थोड़ी देर चले और फिर जानी रुका, और उसने कहा: मेरी साइकिल के अनुसार हमने 30° का घुमाव कर लिया है ।
सैरा: मेरे कैल्कुलेटर के अनुसार sin 30° = 0.5 और cos 30° = 0.866 है । क्योंकि कर्ण 100 मीटर है, हम उत्तर की ओर 100 x 0.5 = 50 मीटर और पश्चिम की ओर 100 – 100 cos 30° = 100 – 86.6 =13.4 मीटर चले हैं ।
जानी: बिल्कुल, मेरी साइकिल भी यही दिखाती है । इसका मतलब तेरा ट्रिग का हिसाब ठीक है ।
जानी चलते चलते फिर से रुका और उसने कहा: मेरी साइकिल के अनुसार परिक्रम का कोण 90° है । तो इसके sin और cos क्या होंगे ?
सैरा ज़ोर ज़ोर से हंसी
सैरा ज़ोर ज़ोर से हंसी । जब जानी ने पूछा कि 90° के बारे में इतना क्या हास्यप्रद है, तो सैरा ने कहा: मुझे इसके लिए कैल्कुलेटर की ज़रूरत नहीं है । हम जितना भी उत्तर जा सकते थे, आ गए । इस स्थान पर ऊंचाई और कर्ण एक समान हैं जिसका मतलब sin 90° = 1 है । हम आरंभिक स्थान से 100 मीटर पश्चिम भी चल चुके हैं जिसके कारण हम स्कूल के केंद्र के ऊपर खड़े हैं । इसलिए हमारी समकोण त्रिकोण का आधार शून्य है और, आधार और कर्ण का अनुपात भी शून्य, यानी cos 90° = 0 है ।
जानी के दिमाग में स्कूल की एक तसवीर थी और वह जानता था की स्कूल का सबसे उत्तर वाला किनारा कहां था । वह सारी स्थिति को कुछ कुछ समझा था पर उसी सड़क पर आगे चलता गया । उसे साइकिल पर कुछ अजीब दिखाई दिया । उत्तर की दिशा में चलने की दूरी बढ़ने की जगह कम होने लगी थी पर पश्विम की ओर जाने की दूरी अभी भी बढ़ रही थी । सैरा ने उसको इस चित्र की सहायता से समझाया ।
सैरा: याद है, बीजगणित में जहां X और Y अक्ष एक दूसरे को काटते हैं, उस स्थान को origin कहते हैं ? यहां स्कूल की पूर्व – पश्विम वाली पटरी X-अक्ष है और उत्तर-दक्षिन वाली पटरी Y-अक्ष । ऊंचाई अधकतम होती है जब हम Y-अक्ष के ऊपर पहुंचते हैं यानी जब हमारा घुमाव 90° हो जाता है । उसके बाद ऊंचाई का कम होना आरंभ होता है । इसका मतलब है कि अब हम दक्षिन की ओर जा रहे हैं, उत्तर की ओर नहीं । किंतु हम अभी भी पश्चिम की ओर जाते रहते हैं ।
जानी: अब मेरी साइकिल पूरे घुमाव के कोण के लिए 150° दिखा रही है ।
वृत्त में बनाए चार मंडल
सैरा: प्रथम मंडल 0° से 90° तक को कहते हैं और दूसरा मंडल 90° से 180° तक को । अब 150° होगा तो दूसरे मंडल में पर इसकी ऊंचाई पहले मंडल के 30° के समान होगी । दूसरे मंडल में ऊंचाई तो positive पर आधार negative है क्योंकि यह origin के बाईं ओर है ।
जानी: क्या इसका मतलब है कि sin 150° = sin 30° = 0.5 और cos 150° = -cos 30° = – 0.866 है । यह तो बौखलाने वाली बात है । तो क्या का tan भी positive से negative हो जाता है ?
सैरा: अच्छा मेरे सवालों का जवाब अंग्रेज़ी में दे । (क्षमा याचता हूं । निम्नलिखित छोटा सा विभाग हिंदी में नहीं लिख पाया । परिवर्णी वाक्यों का अनुवाद सब कुछ बिगाड़ देता था ।)
Sara: Genius. Now, tell me, if you divide the school into four quadrants, where is the Assembly Hall and who goes there?
Johnny: It would be in the first quadrant. All of us go there for the assembly – the students and the teachers.
Sara: Your Science class is in the second quadrant and the Trig class is in the third.
Johnny: Cafeteria is in the fourth quadrant. That’s my favourite place. Remember, that’s where we met two years ago.
Sara: All go to the Assembly (first quadrant) positively – sin, cos and tan. Only sin is positive in the Science (second) quadrant, only tan is positive in the Trig (third) quadrant and cos in the Cafeteria (fourth) quadrant.
Johnny: That’s a nice way to remember.
Sara: I guess my dad’s school was not round like ours. He said that their teacher told them to remember, “After school time cinema” for all, sin, tan and cos. If you don’t like going to the cinema, you could also say, “After school time chocolates” or “All Silver Tea Cups”. There’s one more thing.
कोण को व्यवसाय संबंधी कार्य में अधिकतर डिग्री की जगह रेडियन (radian) में नापा जाता है । सिद्धांत यह है के एक बिंदु पर घूम कर वापिस वहीं आने में 2π रेडियन या 360° का कोण बनता है । याद है हमने रेखागणित में पढ़ा था कि एक (वृत्त) गोलधारे की परिधि (circumference) और व्यास (diameter) का अनुपात (ratio) π होता है । π लगभग 22/7 होती है । इसलिए एक रेडियन लगभग 360°/ 2π ≈ 57° होता है । इस प्रणाली के अनुसार, पहला मंडल होता है 0 से π/2 तक, दूसरा π/2 से π तक, तीसरा π से 3π/2 तक और चौथा 3π/2 से 2π तक ।
sin x, cos x और tan x के रेखा चित्र
शायद जानी के लिए आज का उपदेश जटिल था । फिर भी सैरा ने उसे 0 से 2π तक के sin x, cos x और tan x के रेखा चित्र दिखाए ।
जानी ने देखा कि sin x और cos x की मूल्य संख्या 0 और 1 के बीच में ही रही थी । यह तो होना ही था क्योंकि एक समकोण त्रिकोण की कोई भी भुजा उसके कर्ण से बड़ी नहीं हो सकती । पहले और दूसरे मंडल में sin x पोज़िटिव था और पहले और चौथे में cos x । यह भी सैरा ने पहले ही चित्र में दिखाया था । उसने इन दोनो फलन का एक और गुण देखा । जब sin x बढ़ता था तो cos x कम हो जाता था और जब cos x बढ़ता था तो sin x कम हो जाता था । उसे याद आया यह भी प्राक्रितिक था क्योंकि पाइथागोरस प्रमेय के अनुसार sin2x + cos2x =1 या sin2x = 1 – cos2x होता है ।
सबसे लुभावना था tan x का रेखा चित्र । यह sin x और cos x के रेखा चित्रों से अलग था, क्योंकि इसकी मूल्य संख्या 1 पर नहीं रुकती थी । बल्कि पहले मंडल के अंत पर (90° पर) यह असंख्य थी और फिर दूसरे मंडल के आरंभ होते ही नीचे नैगेटिव असंख्य । फिर तीसरे मंडल से अंत (270° पर) से चौथे मंडल में जाने पर भी यही हुआ: पोज़िटिव असंख्य से एक दम नैगेटिव असंख्य । जानी को तो एक लड़के की याद आ गई । वह हंसना शुरू करता था और उसकी हंसी पहले तो इतनी ज़ोर की होती थी कि सब देखते रह जाएं, फिर वह हंसी बिना रुके, उतने ही ज़ोर के रोने में बदल जाती थी ।
जानी क्लास के ट्रिग लैसन सरलता से समझ लेता था, और उसे होमवर्क में भी कठिनाई नहीं होती थी । जैसे उमीद थी, सैरा ने भी सारा होमवर्क बिना किसी गल्ती के किया । मध्यावधि परीक्षा में दोनो के 100 प्रतिशत नंबर आए । जानी तो खुशी से मस्त हो कर कूद रहा था और सैरा को बाहर डिन्नर पर भी ले गया ।
चुनौती
जानी और सैरा गप्पें मार रहे थे और टी वी देख रहे थे जब उन्होंने लास वेगास के हाई रोलर फ़ैरिस वील को देखा । वील का व्यास 520 फ़ुट (158.5 मीटर) था और इसमें बैठने के लिए डिब्बे बने हुए थे जो सब एक दूसरे से समान दूरी पर थे । यह वील एक पूरे चक्कर लगाने में 30 मिनट लेता था । इस नज़ारे को लुभाते हुए उन्होंने कल्पना की कि यदि दोनो इस पर सवारी के लिए जाएं तो कौन कहां बैठेगा । टिकट की मंहगाई के कारण दोनो एक ही चक्कर के लिए सैर करेंगे । फ़ैसला हुआ कि सैरा पहले नीचे आए हुए डिब्बे में बैठ जाएगी, और सात डिब्बे चलने के बाद जानी बैठेगा । जब दोनो के डिब्बे समान ऊंचाई पर होंगे, दोनो एक दूसरे को हैलो बोलेंगे । बड़ा मज़ा आएगा । कितनी ऊंचाई पर होगा यह मिलन ? सैरा को तो पता है, आप भी दिमाग लड़ाएं ।
उत्तर: फ़ैरिस वील के एक चक्कर यानी 360° में 28 डिब्बे हैं (चित्र देखें) । सैरा (S) पहले ही 7 डिब्बे (360° x 7/28 = 90°) आगे है, जब जानी (J) अपने डिब्बे में बैठता है । वील का अर्धव्यास 158.5/2 = 79.25 मीटर है । वील के केंद्र (C) से एक लंब रेखा खींचो । S और J एक ही ऊंचाई पर होंगे जब ∠SCV = ∠VCJ । ∠SCV + ∠VCJ = 90° इस लिए ∠VCJ = 45° है । CJ से लंबरेखा CV खींचने से एक समकोण त्रिकोण CVJ बन जाती है, जिसमें ∠VCJ = 45° है । इस लिए CV = 79.25 cos 45° = 79.25 x 1/√2 = 56.04 मीटर है । कुल ऊंचाई 56.04 + 79.25 (केंद्र की ऊंचाई) = 135.3 मीटर होगी ।
ध्यान दें कि यदि उन्होंने दो चक्कर की टिकट ली होती तो वह दोबारा भी एक दूसरे के बराबर की ऊंचाई पर पहुंच सकते थे । कैसे, यह तो आप को स्वयं समझना पड़ेगा ।
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